मराठा साम्राज्य (Maratha Empire)- मराठा साम्राज्य का इतिहास
- मराठा साम्राज्य के शासक-
- 1. छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj)
- 2. छत्रपति संभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj)
- 3. छत्रपति राजाराम (Chhatrapati Rajaram)
- 4. छत्रपति शिवाजी द्वितीय (Chhatrapati Shivaji-II)
- 5. छत्रपति साहू महाराज (Chhatrapati Shahu Maharaj)
- 6. बालाजी विश्वनाथ (Balaji Vishwanath)
- 7. बाजीराव प्रथम (Baji Rao-I)
- 8. बालाजी बाजी राव (Balaji Baji Rao)
- 9. माधव राव (Madhav Rao)
- 10. नारायण राव (Narayan Rao)
- 11. रघुनाथ राव ( Raghunath Rao)
- 12. माधव नारायण राव (Madhav Narayan Rao) या माधव राव द्वितीय (Madhav Rao-II)
- 13. बाजीराव द्वितीय (Baji Rao-II)
1. छत्रपति शिवाजी महाराज (Chhatrapati Shivaji Maharaj)-
- शासन काल (Time Period)- 1674-1680 ई.
- छत्रपति शिवाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी।
- 1674 ई. में शिवाजी ने अपना राज्याभिषेक करवाया।
- 1674 ई. में शिवाजी ने अष्टप्रधान नियुक्त किये।
- शिवाजी ने मोरपंत त्रयम्बक पिंगले को अपना पेशवा नियुक्त किया था।
- राज्याभिषेक के लिए बनारस के प्रसिद्ध ब्राह्मण गंगाभट्ट (गागाभट्ट) को आमंत्रित किया गया था।
- शिवाजी के राज्यभिषेक के 12 दिन के बाद शिवाजी की माता जीजाबाई की मृत्यु हो गयी थी।
- जीजाबाई शाहजी भोंसले की पत्नी थी।
- शिवाजी ने अपना दूसरा राज्यभिषेक तंत्र मंत्र या तांत्रिक विधि से करवाया था।
- शिवाजी की मृत्यु के समय छत्रपति संभाजी पन्हाला के किले में कैद थे।
2. छत्रपति संभाजी महाराज (Chhatrapati Sambhaji Maharaj)-
- शासन काल (Time Period)- 1680- 89 ई.
- 1689 ई. में औरंगजेब की सेना ने छत्रपति संभाजी को संगमेश्वर नामक स्थान से गिरफ्तार कर लिया था।
- औरंगजेब ने संभाजी की हत्या करवा दी थी।
3. छत्रपति राजाराम (Chhatrapati Rajaram)-
- शासन काल (Time Period)- 1689-1700 ई.
4. छत्रपति शिवाजी द्वितीय (Chhatrapati Shivaji-II)-
- शासन काल (Time Period)- 1700-1707 ई.
- इस समय सारी शक्तियां ताराबाई (Tarabai) के पास थी।
- ताराबाई राजा राम की पत्नी थी।
- 1707 ई. में औरंगजेब की मृत्यु हो गई थी।
- औरंगजेब की मृत्यु के बाद राजकुमार आजम खान ने शाहू को मुगल कैद से मुक्त कर दिया था।
- शाहू दक्कन गए।
- बालाजी विश्वनाथ और अन्य मराठों ने साहू का समर्थन किया।
खेड़ा का युद्ध (Battle of Kheda)-
- समय- 1707 ई.
- मध्य- साहू (Sahu) Vs ताराबाई (Tarabai) अर्थात् मराठा Vs मराठा
- खेड़ा के युद्ध में साहू की जीत हुई तथा ताराबाई हार गई थी।
- खेड़ा के युद्ध में हार के बाद ताराबाई कोल्हापुर (Kolhapur) चली गई थी।
- अब मराठा शक्ति के दो केंद्र बन गये थे। जैसे-
- (I) साहू (Sahu)- सतारा (Satara)
- (II) ताराबाई (Tarabai)- कोल्हापुर (Kolhapur)
5. छत्रपति साहू महाराज (Chhatrapati Shahu Maharaj)-
- शासन काल (Time Period)- 1707-1749 ई.
- साहू ने ताराबाई के पौते राजा राम को गोद लिया था।
- साहू ने बालाजी विश्वनाथ (Balaji Vishwanath) को पेशवा (Peshwa) नियुक्त किया।
- पेशवा को पंथ प्रधान (Panth Pradhan) भी कहा जाता है।
- वास्तविक शक्ति पेशवा के हाथों में आ गई थी।
विशेष- छत्रपति साहू महाराज के बाद से पेशवाओं का इतिहास शुरू हो जाता है। अर्थात् बालाजी विश्वनाथ से पेशवाओं का इतिहास शुरू हो जाता है।
6. बालाजी विश्वनाथ (Balaji Vishwanath)-
- शासन काल (Time Period)- 1713-1720 ई.
- बालाजी विश्वनाथ कोंकण (Konkan) के चितपावन ब्राह्मण थे।
- बालाजी विश्वनाथ का जन्म भट्ट परिवार में हुआ था।
- शासक बनने से पहले बालाजी विश्वनाथ 'सेनाकर्ते' (Senakarte) के पद पर थे।
- बालाजी विश्वनाथ ने 1719 ई. में सैय्यद बंधुओं के सुझाव पर मुगल शासकों के साथ एक संधि की और मुगल बादशाह फर्रुखसियर की हत्या कर दी।
- बालाजी विश्वनाथ को मराठा साम्राज्य का दूसरा संस्थापक कहा जाता है।
- मराठा साम्राज्य का पहला संस्थापक छत्रपती शिवाजी महाराज है।
7. बाजीराव प्रथम (Baji Rao-I)-
- शासन काल (Time Period)- 1720-1740 ई.
- बाजीराव प्रथम, बालाजी विश्वनाथ का बेटा था।
- उपाधि (Title)- लड़ाकू पेशवा (Warrior Peshwa)
- बाजीराव प्रथम ने मुहम्मद खाँ बंगश के खिलाफ औरछा के राजा छत्रसाल बुन्देला की सहायता की थी।
- बाजीराव प्रथम ने अपने 500 सैनिकों के साथ दिल्ली की ओर कूच किया तथा मुगल बादशाह मुहम्मदशाह रंगीला दिल्ली छोड़ कर भाग गया था।
- बाजीराव प्रथम ने पुर्तगालियों से सालसेट व बसीन क्षेत्र छीन लिये थे।
- बालीराव प्रथम ने जंजीरा के सिद्धियों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया था।
- जंजीरा के सिद्धि अफ्रीका के हब्सी थे।
- बाजीराव ने साहू से कहा था की "मराठों का झण्डा अटक (पाकिस्तान) से कटक (उडीसा) तक फहरा दिया जायेगा।"
- इसके उत्तर में साहू ने कहा था की "आप योग्य पिता के योग्य पुत्र हैं मुझे विश्वास है कि आप मराठों का झण्डा हिमालय के पार ले जायेंगे।"
पालखेड़ का युद्ध (Battle of Palkhed)-
- समय- 1728 ई.
- मध्य- बाजीराव प्रथम (Bajirao-I) Vs चिनकिलच खाँ (Chinqilich Khan)
- चिनकिलच खाँ को निजाम-उल-मुल्क (Nizam-ul-Mulk) के नाम से भी जाना जाता था।
- पालखेड़ या पालखेड़ा के युद्ध में मराठों की जीत हुई थी तथा मुंगी शिवगाँव की संधि हुई थी।
मुंगी शिवगाँव की संधि (Treaty of Mungi Shivgaon)-
- समय- 1728 ई.
8. बालाजी बाजी राव (Balaji Baji Rao)-
- शासन काल (Time Period)- 1740-1761 ई.
- बालाजी बाजीराव को नानासाहब (Nana Sahab) के नाम से जाना जाता है।
संगोला की संधि (Treaty of Sangola) या संगोला का समझौता (Agreement of Sangola)-
- समय- 1750 ई.
- मध्य- संगोला की संधि छत्रपति राजाराम द्वितीय तथा पेशवा बालाजी बाजीराव के बीच हुई थी।
- संगोला की संधि के द्वारा छत्रपति की सारी शक्तियां पेशवा को दे दी गई थी।
- अब मराठा शक्ति का मुख्य केंद्र सतारा (छत्रपति) की जगह पूना (पेशवा) हो गया था।
- संगोली की संधि में पेशवा का पद वंशानुगत कर दिया गया था।
- मराठा संघ का गठन किया गया था।
- मराठा संघ का प्रमुख पेशवा था।
- मराठा संघ में निम्न शामिल थे।-
- (I) पूरा का पेशाव (मुख्य) (Peshwa of Poona- Chief)
- (II) ग्वालियर के सिंधिया (Schindias of Gwalior)
- (III) इन्दौर के होल्कर (Holkars of Indore)
- (IV) नागपुर के भोंसले (Bhonsles of Nagpur)
- (V) बंड़ौदा के गायकवाड़ (Gaikwad of Baroda)
पानीपत का तीसरा युद्ध (Third Battle of Panipat)-
- समय- 1761 ई.
- मध्य- मराठा (Marathas) Vs अहमद शाह अब्दाली (Ahmed Shah Abdali)
- अहमद शाह अब्दाली का यह भारत पर 5वाँ आक्रमण था।
- पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठे मुगल बादशाह की तरफ से लड़ रहे थे।
- पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों का औपचारिक सेनापति (Official Commander) विश्वास राव था।
- पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों का वास्तविक सेनापति (Real Commander) सदाशिव राव भाऊ था।
- तोपखाने का प्रमुख इब्राहीम खाँ गार्दी (Ibrahim Khan Gardi) था।
- पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठे बुरी तरह से पराजित हुए थे।
- पानीपत के तीसरे युद्ध में मराठों की हार का समाचार सुनकर बालाजी बाजीराव की मृत्यु हो गई थी।
9. माधव राव (Madhav Rao)-
- शासन काल (Time Period)- 1761- 1772 ई.
- माधवराव बालाजी बाजीराव का बेटा था।
- पानीपत के तीसरे युद्ध के बाद माधवराव ने मराठा शक्ति को पुनः संगठित किया।
- माधवराव ने हैदराबाद के निजाम को हराया।
- माधवराव ने मालवा एवं बुन्देलखण्ड पर अधिकार कर लिया था।
- माधवराव ने मैसूर के शासक हैदरअली से चौथ वसूली की।
- माधवराव ने महादजी सिंधिया की सहायता से शाह आलम को दिल्ली भेजा।
- युवा पेशवा माधवराव की मृत्यु पर ग्राण्ट डफ (Grant Duff) ने कहा था "मराठों को जितना नुकसान पानीपत के मैदान में नहीं हुआ, उससे अधिक युवा पेशवा की मृत्यु से हुआ"
10. नारायण राव (Narayan Rao)-
- शासन काल (Time Period)- 1772- 1773 ई.
- नारायणराव, माधवराव का छोटा भाई तथा बालाजी बाजीराव का बेटा था।
- विश्वासराव, नारायणराव, माधवराव तीनों बालाजी बाजीराव के बेटे थे।
- बालाजी बाजीराव के भाई रघुनाथ राव (राघोबा) ने पेशवा नारायणराव की हत्या कर दी। अर्थात् चाचा रघुनाथ राव ने अपने भतीजे नारायणराव की हत्या कर दी थी।
11. रघुनाथ राव ( Raghunath Rao)-
- शासन काल (Time Period)- 1773-1774 ई.
- रघुनाथ राव अपने भतीजे नारायणराव की हत्या कर शासक बना था।
- रघुनाथ राव को राघोबा के नाम से भी जाना जाता था।
- रघुनाथ राव बालाजी बाजीराव का भाई था।
12. माधव नारायण राव (Madhav Narayan Rao) या माधव राव द्वितीय (Madhav Rao-II)-
- शासन काल (Time Period)- 1774-1795 ई.
- माधव नारायण राव को ही माधव राव द्वितीय कहा जाता है।
- माधव नारायण राव, नारायण राव का बेटा था।
- माधव नारायण राव अल्पायु में पेशवा बना था इसलिए "बार भाई परिषद" प्रशासन संभालीत थी।
- बार भाई परिषद (Bar Bhai Parishad) के मुख्य सदस्य निम्न थे।-
- (I) महादजी सिंधिया (Mahadji Schindia)
- (II) नानाजी फडनवीस (Nanaji Fadnavis)
- रघुनाथ राव (राघोबा) पेशवा बनना चाहता था इसलिए रघुनाथ राव सहायता के लिए अंग्रेजों के पास चला गया था। इसी वजह से प्रथम अंग्रेज मराठा युद्ध की शुरुआत होती है।
- 1793 ई. में महादजी सिंधिया की मृत्यु हो गई थी।
- 1795 ई. ने माधव नारायण राव ने आत्महत्या कर ली थी।
- नानाजी फडनवीस ने रघुनाथ राव (राघोबा) के पुत्र बाजीराव द्वितीय को पेशवा बनाया था।
प्रथम अंग्रेज-मराठा युद्ध (First Anglo-Maratha War)-
- समय- 1775-1782 ई.
- प्रथम अंग्रेज मराठा युद्ध में निम्न संधियां की गई थी।-
- (I) सूरत की संधि (Treaty of Surat)
- (II) पुरन्दर की संधि (Treaty of Purandar)
- (III) बड़गाँव की संधि (Treaty of Badgaon)
- (IV) सालबाई की संधि (Treaty of Salbai)
(I) सूरत की संधि (Treaty of Surat)-
- समय- 1775 ई.
- मध्य- सूरत की संधि राघवराव (राघोबा) तथा बॉम्बे प्रेजीडेन्सी (Bombay Presidency) के बीच हुई थी।
- सूरत की संधि के तहत अंग्रेज राघवराव (राघोबा) को पेशवा बनाने में सहायता देंगे तथा राघवराव (राघोबा) अंग्रेजों को सालसेट, बसीन तथा थाणे (थाणा) देगा।
(II) पुरन्दर की संधि (Treaty of Purandar)-
- समय- 1776 ई.
- मध्य- पुरन्दर की संधि पेशवा माधव नारायण राव तथा बंगाल प्रेजीडेन्सी के बीच हुई थी।
- पेशवा माधव नारायण की तरफ से नानाजी फडनवीस ने पुरन्दर की संधि की थी।
(III) बड़गाँव की संधि (Treaty of Badgaon)-
- समय- 1779 ई.
- बड़गाँव के युद्ध में हारने पर अंग्रेजों ने यह अपमानजनक संधि की थी।
(IV) सालबाई की संधि (Treaty of Salbai)-
- समय- 1782 ई.
- सालबाई की संधि के द्वारा प्रथम अंग्रेज मराठा युद्ध समाप्त हो गया था।
- महादजी सिंधिया की मध्यस्थता से सालबाई की संधि हुई थी।
- बंगाल के गवर्नर जनरल (Governor General of Bengal) वॉरेन हेस्टिंग्स (Warren Hastings) ने सालबाई की संधि को आपत स्थिति में की गई सफल संधि वार्ता कहा था।
- सालबाई की संधि के तहत अंग्रेजों ने माधवराव द्वितीय को पेशवा स्वीकार कर लिया था।
- सालबाई की संधि के तहत राघवराव (राघोबा) को पेंशन दी गई।
- सालबाई की संधि के तहत सालसेट व भरूच अंग्रेजों को दिये गये।
13. बाजीराव द्वितीय (Baji Rao-II)-
- शासन काल (Time Period)- 1795-1818 ई.
- बाजीराव द्वितीय, रधुनाथ राव (राघोबा) का बेटा था।
- 1800 ई. नानाजी फडनवीस की मृत्यु हो गई थी।
- अंग्रेज नानाजी फडनवीस को मराठों का मैकियावेली (Machiavelli) कहते थे।
- निकोलो मैकियावेली को इटली का चाणक्य कहा जाता है।
- पेशवा बाजीराव द्वितीय अयोग्य था अतः दौलतराव सिंधिया व जसवन्तराव (यशवन्तराव) होल्कर पूना में अपना प्रभाव जमाना चाहते थे।
- दौलतराव सिंधिया ने पेशवा बाजीराव द्वितीय के साथ मिलकर जसवंतराव होल्कर के भाई की हत्या कर दी थी अतः जसवंतराव होल्कर पूना पर आक्रमण करता है तथा विनायकराव को नया पेशवा बना देता है।
- बाजीराव द्वितीय भागकर अंग्रेजों के पास चला जाता है।
बसीन की संधि (Treaty of Basin)-
- समय- 1802 ई.
- मध्य- बसीन की संधि अंग्रेजों तथा पेशवा बाजीराव द्वितीय के बीच हुई थी।
- बसीन की संधि एक सहायक संधि थी।
- बसीन की संधि के तहत अंग्रेजों की सेना पूना में आ गई थी।
- दौलतराव सिंधिया, जसवंतराव या यशवंतराव होल्कर तथा भोंसले ने अंग्रेजों के खिलाफ युद्ध किया तथा तीनों हार गये तथा अंग्रेजों के साथ संधियां कर ली थी।
दूसरा अंग्रेज-मराठा युद्ध (Second Anglo-Maratha War)-
- समय- 1803-1805 ई.
- दूसरे अंग्रेज मराठा युद्ध के दौरान निम्न संधियां की गई थी।-
- (I) सुर्जी अर्जनगाँव की संधि (Treaty of Surji Arjangaon)
- (II) देवगाँव की संधि (Treaty of Devgaon)
- (III) राजपुरघाट की संधि (Treaty of Rajpurghat)
(I) सुर्जी अर्जनगाँव की संधि (Treaty of Surji Arjangaon)-
- समय- 1803 ई.
- मध्य- सुर्जी अर्जनगाँव की संधि अंग्रेजों तथा दौलतराव सिंधिया के बीच हुई थी।
(II) देवगाँव की संधि (Treaty of Devgaon)-
- समय- 1804 ई.
- मध्य- देवगाँव की संधि अंग्रेजों तथा भौंसले के बीच हुई थी।
(III) राजपुरघाट की संधि (Treaty of Rajpurghat)-
- समय- 1804 ई.
- मध्य- राजपुरघाट की संधि अंग्रेजों तथा जसवंतराव होल्कर या यशवंतराव होल्कर के बीच हुई थी।
तीसरा अंग्रेज-मराठा युद्ध (Third Anglo-Maratha War)-
- समय- 1817-1819 ई.
- तीसरा अंग्रेज मराठा युद्ध पिण्डारियों की समस्या के कारण शुरु हुआ था।
- तीसरे अंग्रेज मराठा युद्ध में मराठों को निर्णायक रूप से हरा दिया गया था।
- तीसरे अंग्रेज मराठा युद्ध के बाद मराठा संघ समाप्त कर दिया गया।
- पेशवा बाजीराव द्वितीय को पेंशन देकर बिठूर भेज दिया गया था।
- बिठूर उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर में स्थित है।
- शिवाजी के वंशज प्रतापसिंह को सतारा में राजा बना दिया गया था।