दर्पण (Mirror)-
- जब किसी शीशे की एक सतह पर जिंक ऑक्साई़ड (Zinc Oxide- ZnO), पारा (Mercury- Hg), चाँदी (Silver- Ag) आदि के मिश्रण से लेप किया जाता है तो उसे दर्पण कहते हैं।
- दर्पण में प्रकाश का परावर्तन (Reflection) होता है।
दर्पण के प्रकार (Types of Mirror)-
- दर्पण दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
- 1. समतल दर्पण (Plane Mirror)
- 2. गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)
1. समतल दर्पण (Plane Mirror)-
- दर्पण जिसकी परावर्तक सतह समतल होती है समतल दर्पण कहलाता है।
- समतल दर्पण पर टकराने वाले प्रकाश के आपतित कोण (Incidence Angle) का मान परावर्तित कोण (Reflection Angle) के मान के बराबर होती है।
- समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब आभासी (Virtual) बनता है।
- समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब सीधा (Upright) बनता है।
- समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब पार्श्व ऊल्टा (Partially Inverted) बनता है।
- समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब समान आकार (Same Size) का बनता है।
- समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब समान दूरी (Same Distance) पर बनता है।
- समतल दर्पण में प्रतिबिम्ब आभासी (Virtual), सीधा (Upright), पार्श्व ऊल्टा (Partially Inverted), समान आकार (Same Size) व समान दूरी (Same Distance) पर बनता है।
- यदि कोई व्यक्ति V वेग से दर्पण की ओर गति करता है तो उसका प्रतिबिम्ब 2V वेग से गति करता हुआ प्रतित होता है।
- किसी व्यक्ति को अपना पूर्ण प्रतिबिम्ब प्राप्त करने हेतु अपनी लम्बाई के आधे लम्बाई के दर्पण की आवश्यकता होती है।
- h ≥ H/2
- दर्पण की लम्बाई ≥ व्यक्ति की लम्बाई/ 2
- h = दर्पण की लम्बाई
- H = व्यक्ति की लम्बाई
- यदि दो दर्पण θ कोण पर झुके हुए हो तो उनके मध्य रखी वस्तु के अनेक प्रतिबिम्ब बनते हैं।
- दर्पण में प्रतिबिम्बों की संख्या दर्पणों के मध्य के कोण पर निर्भर करती है।
- प्रतिबिम्ब की संख्या (Number of Images- n) = (360/θ)-1 यदि 360/θ = सम संख्या
- प्रतिबिम्ब की संख्या (Number of Images- n) = 360/θ यदि 360/θ = विषम संख्या
- समतल दर्पण के उपयोग (Uses of Plane Mirror)-
- (I) घरों में उपयोग में लिया जाने वाला दर्पण। (Mirror used in houses)
- (II) बहुरूपदर्शी (Kaleidoscope)
- (III) पेरीस्कोप (Periscope)- बंकर में बैठा हुआ सैनिक सतह पर होने वाली गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए पेरीस्कोप का उपयोग करता है।
2. गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)-
- वह दर्पण जिसकी परावर्तक सतह गोलीय होती है गोलीय दर्पण कहलाता है।
- गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
- (I) अवतल दर्पण (Concave Mirror)
- (II) उत्तल दर्पण (Convex Mirror)
(I) अवतल दर्पण (Concave Mirror)-
- वह गोलीय दर्पण जिसकी बाह्य सतह पर लेप किया जाता है वह आंतरिक सतह परावर्तिक होती है।
- अवतल दर्पण की परावर्तक सतह अन्दर की ओर धंसी हुई होती है।
- अवतल दर्पण अनन्त से आने वाली प्रकाश किरणों को परावर्तन के बाद फोकस बिन्दु पर केंद्रित करता है इसलिए अवतल दर्पण को अभिसारी दर्पण (Converging Mirror) कहते हैं।
- अवतल दर्पण में अनन्त से आने वाली प्रकाश किरण परावर्तन के बाद फोकस (Focus) बिन्दु से गुजरती है।
- अवतल दर्पण में फोकस बिन्दु से आने वाली प्रकाश किरण परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समानांतर हो जाती है।
- अवतल दर्पण में केंद्र से आने वाली प्रकाश किरण परावर्तन के बाद पुनः केंद्र से गुजरती है। अर्थात् उसी पाथ में वापस आती है।
- (A) यदि अवतल दर्पण में बिम्ब (Object) को अनन्त पर रख दिया जाये तो प्रतिबिम्ब (Image) फोकस पर बनता है तथा वह प्रतिबिम्ब एक बिन्दु के रूप में दिखायी देता है।
- (B) यदि अवतल दर्पण में बिम्ब (Object) को अनन्त व केंद्र के मध्य रख दिया जाये तो प्रतिबिम्ब (Image) फोकस व केंद्र के मध्य में बनता है तथा वह प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा व छोटा बनता है।
- (C) यदि अवतल दर्पण में बिम्ब (Object) को केंद्र पर रख दिया जाये तो प्रतिबिम्ब (Image) केंद्र पर बनता है तथा वह प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा व समान बनता है।
- (D) यदि अवतल दर्पण में बिम्ब (Object) को केंद्र व फोकस के मध्य रख दिया जाये तो प्रतिबिम्ब (Image) केंद्र व अनन्त के मध्य बनता है तथा वह प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा व बड़ा बनता है।
- (E) यदि अवतल दर्पण में बिम्ब (Object) को फोकस पर रख दिया जाये तो प्रतिबिम्ब (Image) अनन्त पर बनता है तथा वह प्रतिबिम्ब वास्तविक, उल्टा व बहुत बड़ा बनता है।
- (F) यदि अवतल दर्पण में बिम्ब (Object) को फोकस व दर्पण (ध्रुव/पोल) के मध्य रख दिया जाये तो प्रतिबिम्ब (Image) दर्पण के पीछे बनता है तथा प्रतिबिम्ब आभासी, सीधा व बड़ा बनता है।
अवतल दर्पण के उपयोग (Uses of Concave Mirror)-
- (A) वाहनों की हैडलाईट व सर्चलाईट में (Head light in vehicles and search light)- प्रकाश को केंद्र की ओर फोकस करने के लिए अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है।
- (B) कान, नाक, गला विशेषज्ञ डॉ. बड़ा प्रतिबिम्ब प्राप्त करने के लिए अवतल दर्पण का प्रयोग करते हैं। (ENT doctor uses it to get large image of ears, nose, throat)
- (C) सोलर कूकर में प्रकाश को केंद्रित करने के लिए
- (D) सेविंग दर्पण (Shaving Mirror)
(II) उत्तल दर्पण (Convex Mirror)-
- वह दर्पण जिसकी आंतरिक सतह पर लेप किया जाता है तथा बाह्य सतह परावर्तक सतह (Reflective Surface) होती है।
- उत्तर दर्पण में बाह्य सतह (परावर्तक) उभरी हुई होती है।
- उत्तर दर्पण अनन्त से आने वाली प्रकाश किरणों को परावर्तन के बाद सभी दिशाओं में फैला देता है इसलिए उत्तल दर्पण को अपसारी दर्पण (Diverging Mirror) भी कहते हैं।
- उत्तल दर्पण से बनने वाला प्रतिबिम्ब आभासी (Virtual), सीधा (Upright) व छोटा (Small) होता है।
उत्तल दर्पण के उपयोग (Uses of Convex Mirror)-
- वाहनों में साइड दर्पण में (Side mirror/rear view mirror in vehicles)
- रोडलाईटों में प्रकाश को फैलाने हेतु (To spread light from road light)
- पार्किंग दर्पण में (Parking Mirror)
- एटीएम मशीन में (ATM Machine)
सुत्र (Formula)-
- Mirror Formula = 1/V + 1/u = 1/f
- V = दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी
- u = दर्पण से बिम्ब की दूरी
- f = दर्पण की फोकस दूरी
आवर्धन (M) = प्रतिबिम्ब की ऊँचाई/ बिम्ब की ऊँचाई
Magnification (M) = Height of Image/ Height of Object