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ध्वनि तरंगें (Sound Waves)

ध्वनि तरंगें (Sound Waves)-

  • ध्वनि तरंग एक प्रकार की यांत्रिक (Mechanical Wave) तरंग है जिन्हें संचरण हेतु माध्यम की आवश्यकता होती है।
  • ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य यांत्रिक तरंगें (Longitudinal Waves) होती है इसलिए ध्वनि तरंगें ठोस (Solid), द्रव (Liquid) व गैस (Gas) तीनों माध्यम में संचरित हो सकती है।
  • ध्वनि तरंगे किसी भी वस्तु में कंपन (Vibration) के कारण उत्पन्न होती है।


ध्वनि तरंगों के प्रकार (Types of Sound Waves)-

    • आवृति के आधार पर ध्वनि तरंगों के प्रकार (Types of Sound Waves on the Basis of Frequency)-

    • आवृति के आधार पर ध्वनि तरंगों को तीन भागों में विभाजित किया गया है। जैसे-
    • 1. अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic)
    • 2. श्रव्य तरंगें (Sonic)
    • 3. पराश्रव्य तरंगें (Ultra Sonic)


    1. अवश्रव्य तरंगें (Infrasonic)-

    • F = F < 20Hz
    • अवश्रव्य तरंगों की आवृति 20Hz से कम होती है।
    • मनुष्य अवश्रव्य तरंगों के नहीं सुन सकता है।
    • पशु पक्षी अवश्रव्य तरंगों को सुन सकते हैं।
    • अवश्रव्य तरंगें भूकम्प के दौरान उत्पन्न होती है।


    2. श्रव्य तरंगें (Sonic)-

    • F = 20 - 20,000Hz
    • F = 20 - 20KHz
    • श्रव्य तरंगों की आवृति 20Hz से लेकर 20,000Hz (20KHz) तक होती है।
    • मनुष्य श्रव्य तरंगों को सुन सकता है।
    • पशु पक्षी श्रव्य तरंगों को सुन सकते हैं।


    3. पराश्रव्य तरंगें (Ultra Sonic)-

    • F = F > 20KHz
    • पराश्रव्य तरंगों की आवृति 20,000Hz (20KHz) से अधिक होती है।
    • मनुष्य पराश्रव्य तरंगों को नहीं सुन सकता है।
    • कुत्ता (Dog), कीट (Insects), चमगादड (Bat), डॉल्फिन (Dolphin) आदि पराश्रव्य तरंगें सुन सकते हैं।
    • पराश्रव्य तरंगों को सर्वप्रथम गाल्टन (Galton) के द्वारा उत्पन्न किया गया था।
    • विभिन्न प्रकार के क्रिस्टल जैसे क्वार्ट्ज (Quartz), लेडजिरकोनेट (Leadzirconate) में विद्युत धारा प्रवाहित करके पराश्रव्य तरंगों को उत्पन्न किया जा सकता है।
    • उपयोग (Uses)-
    • (I) चिकित्सा क्षेत्र में- सोनोग्राफी (In Medical Field- Sonography)
    • (II) जहाजो या पनडुब्बियों में सोनार (SONAR) तंत्र द्वारा समुद्र की गहराई व हिम शेलों का पता लगाने में किया जाता है।
    • (III) वायुमण्डल में स्थित कोहरे की मात्रा को कम करके वायुयानों की सुरक्षित लेंडिंग करवाने में किया जाता है।
    • (IV) जीवाणुओं को नष्ट करने में किया जाता है।
    • (V) चमगादड द्वारा रात्रि विचरण में किया जाता है।
    • (VI) महंगे कपड़ों, घड़ियों व मशीनों की सफाई करने में किया जाता है।
    • (VII) कुत्तो को प्रशिक्षण देने में किया जाता है। (गॉल्टन सीटी/ Galton Whistle) का प्रयोग करते हैं कुत्तो को प्रशिक्षण देने में)


    सोनार (SONAR)-

    • SONAR Full Form = Sound Navigation and Ranging
    • SONAR का पूरा नाम = साउंड नेविगेशन और रेंजिंग
    • खोजकर्ता (Inventor)- सोनार की खोज पॉल लैंग्विन (Paul Langvin) के द्वारा की गई थी।
    • सिद्धांत (Principle)- सोनार तंत्र परावर्तन (Reflection) के सिद्धांत पर काम करता है।
    • उपयोग (Uses)-
    • (I) जहाजो या पनडुब्बियों में सोनार (SONAR) तंत्र द्वारा समुद्र की गहराई व हिम शेलों का पता लगाने में किया जाता है।


    ध्वनि की चाल (Speed of Sound)-

    • ध्वनि एक यांत्रिक तरंग (Mechanical Wave) है इसलिए संचरण हेतु माध्यम की आवश्यकता होती है।
    • अलग-अलग माध्यम में ध्वनि की चाल अलग-अलग होती है।
    • ध्वनि की चाल प्रत्यास्थता (Elasticity) व घनत्व (Density) पर निर्भर करती है।
    • V = √e/d
    • e = Elasticity (प्रत्यास्थता)
    • d = Density (घनत्व)


    ध्वनि की चाल (Speed of Sound)-

    • Air = 343 m/s
    • Wood = 4000-6000 m/s
    • Water = 1400-1600 m/s
    • Rubber = 60 m/s
    • Lead = 1210 m/s
    • Gold = 3240 m/s
    • Glass = 4540 m/s
    • Copper = 4600 m/s

    • Aluminum = 6320 m/s


    ध्वनि की चाल को प्रभावित करने वाले कारक (Factors affecting the speed of sound)-

      • 1. प्रत्यास्थता (Elasticity)
      • 2. घनत्व (Density)
      • 3. तापमान (Temperature)
      • 4. दाब (Pressure)
      • 5. आर्द्रता (Humidity)
      • 6. हवा (Wind)


                1. प्रत्यास्थता (Elasticity)-

                • प्रत्यास्थता बढ़ने के साथ ध्वनि की चाल बढ़ती है।
                • ठोस की प्रत्यास्थता सर्वाधिक होती है।
                • गैस की प्रत्यास्थता न्यूनतम होती है।
                • V ठोस > V द्रव > V गैस
                • ∝ √E


                2. घनत्व (Density)-

                • घनत्व बढ़ने के साथ ध्वनि की चाल कम होती है या घटती है।
                • शुष्क वायु का घनत्व नम वायु की तुलना में अधिक होता है इसलिए नम वायु में ध्वनि की चाल शुष्क वायु में ध्वनि की चाल से अधिक होती है इसलिए वर्षा ऋतु में दूर तक सुनाई देता है जबकि ग्रीष्म ऋतु में दूर तक सुनाई नहीं देता है।
                • d शुष्क वायु > d नम वायु 
                • V नम वायु > V शुष्क वायु
                • V ∝ 1/√d


                3. तापमान (Temperature)-

                • तापमान बढ़ने के साथ ध्वनि की चाल बढ़ती है।
                • V ∝ √T
                • 1℃↑ → 0.6m/s↑ (1℃ तापमान बढ़ाने पर चाल 0.6m/s बढ़ती है।)


                4. दाब (Pressure)-

                • ध्वनि की चाल पर दाब का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।


                5. आर्द्रता (Humidity)-

                • आर्द्रता बढ़ने के साथ ध्वनि की चाल बढ़ती है।


                6. हवा (Wind)-

                • हवा के कारण ध्वनि की चाल कम या अधिक हो सकती है।
                • यदि ध्वनि की चाल हवा की दिशा में है तो ध्वनि की चाल बढ़ेगी।
                • यदि ध्वनि की चाल हवा के विपरित दिशा में है तो ध्वनि की चाल घटेगी।


                ध्वनि के लक्षण (Characteristic of Speed)-

                • ध्वनि के 3 लक्षण है। जैसे-
                • 1. ध्वनि की तीव्रता (Intensity of Sound)
                • 2 ध्वनि का तारत्व (Pitch of Sound)
                • 3. ध्वनि की गुणवत्ता (Quality of Sound)


                1. ध्वनि की तीव्रता (Intensity of Sound)-

                • ध्वनि का वह लक्षण जिससे ध्वनि के तेज या धीमे होने का पता लगाया जाता है।
                • ध्वनि की तीव्रता आयाम (Amplitude) पर निर्भर करती है। (I ∝ A^2)
                • आयाम बढ़ने के साथ ध्वनि की तीव्रता बढ़ती है।
                • ध्वनि की तीव्रता को डेसीबल (Decibel/ dB) में मापा जाता है।
                • ध्वनि के स्रोत (Source) से दूर जाने पर ध्वनि की तीव्रता कम होती है। (I ∝ 1/r^2)
                • ध्वनि का मापन "Sound Reading Meter" द्वारा किया जाता है।
                • एकांक क्षेत्रफल से प्रति सैकण्ड गुजरने वाली ध्वनि ऊर्जा की मात्रा को ध्वनि की तीव्रता कहते हैं।
                • ध्वनि की तीव्रता का मात्रक- Watt/m^2 या I/Sec×m^2 या जूल/सैकण्ड × मीटर^2
                • फुसफुसाहट (Whisper) में 15-20dB ध्वनि उत्पन्न होती है।
                • सामान्य वार्ता (Normal Talk) 30-60dB में ध्वनि उत्पन्न होती है।
                • WHO के अनुसार ध्वनि की तीव्रता 80dB से अधिक होने पर ध्वनि प्रदूषण होता है।
                • जब ध्वनि की तीव्रता 120dB से अधिक होती है तब कानों में दर्द होने लगता है।
                • जब ध्वनि की तीव्रता 160dB से अधिक होती है तब कान के पर्दे फट जाते हैं।
                • डीजे (DJ) में ध्वनि की तीव्रता 90dB होती है।
                • रेल के हॉर्न में ध्वनि की तीव्रता 100dB होती है।
                • जेट विमान में ध्वनि की तीव्रता लगभग 120-130dB होती है।
                • मिसाईल लॉन्चिंग के दौरान ध्वनि की तीव्रता 170dB होती है।
                • रॉकेट लाँचिंग के दौरान ध्वनि की तीव्रता 200dB होती है।
                • शहरी क्षेत्रों में दिन के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 55dB तक होती है।
                • शहरी क्षेत्रों में रात के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 45dB तक होती है।
                • शांत क्षेत्रों में दिन के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 50dB तक होती है।
                • शांत क्षेत्रों में रात के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 40dB तक होती है।
                • वाणिज्यिक क्षेत्र में दिन के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 65dB तक होती है।
                • वाणिज्यिक क्षेत्र में रात के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 55dB तक होती है।
                • औद्योगिक क्षेत्र में दिन के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 75dB तक होती है।
                • औद्योगिक क्षेत्र में रात के समय ध्वनि की तीव्रता की सीमा 65dB तक होती है।


                2 ध्वनि का तारत्व (Pitch of Sound)-

                • ध्वनि का वह लक्षण जिससे ध्वनि के पतले या भारी होने का पता लगाया जाता है।
                • ध्वनि का तारत्व आवृति पर निर्भर करता है।
                • आवृति बढ़ने के साथ तारत्व का मान बढ़ता है।
                • महिलाओं की आवाज की आवृति अधिक होती है तथा तारत्व भी अधिक होता है इसलिए महिलाओं की आवाज पतली होती है।
                • पुरुषों की आवाज की आवृति कम होती है तथा तारत्व भी कम होता है इसलिए पुरुषों की आवाज मोटी (Grave Sound) होती है।


                3. ध्वनि की गुणवत्ता (Quality of Sound)-

                • समान आयाम (Amplitude) व आवृति (Frequency) की ध्वनि तरंगों में विभेद उनकी गुणवत्ता के आधार पर किया जाता है।


                ध्वनि तरंगों से संबंधित घटनाएं (Phenomena Related to Sound Waves)-

                  • 1. ध्वनि तरंगों का परावर्तन (Reflection of Sound Waves)
                  • 2. ध्वनि तरंगों का अपवर्तन (Refraction of Sound Waves)
                  • 3. अनुनाद (Resonance)
                  • 4. ध्वनि का व्यतिकरण (Interference of Sound)
                  • 5. डाप्लर प्रभाव (Doppler Effect)
                  • 6. ध्वनि का विवर्तन (Diffraction of Sound)
                  • 7. मैक संख्या (Mach Number)


                              1. ध्वनि तरंगों का परावर्तन (Reflection of Sound Waves)-

                              • जब ध्वनि तरंग किसी अन्य माध्यम की सतह से टकराकर पुनः उसी माध्यम में लौट आती है तो उसे ध्वनि का परावर्तन कहते हैं।
                              • ध्वनि के परावर्तन हेतु बड़ी परावर्तक सतह की आवश्यकता होती है क्योंकि ध्वनि का तरंगदैर्ध्य (Wave Length) अधिक होता है।
                              • स्टेथोस्कोप (Stethoscope) परावर्तन के सिद्धान्त पर कार्य करता है।


                              प्रतिध्वनि (Echo of Sound)-

                              • परावर्तन के बाद सुनाई देने वाली ध्वनि को प्रतिध्वनि कहते हैं।
                              • प्रतिध्वनि के लिए शर्ते-
                              • (I) वास्तविक ध्वनि व परावर्तित ध्वनि के मध्य कम से कम 0.1 सैकण्ड का समय अंतराल होना चाहिए। (हमारे कान 0.1 सैकण्ड में आने वाली ध्वनि तरंगों में विभेद नहीं कर पाते हैं इसलिए समय अंतराल 0.1 सैकण्ड लिया गया है।)
                              • (II) स्रोत (Source) या श्रोता (Listener) तथा परावर्तक सतह के मध्य कम से कम 17 मीटर की दूरी होना आवश्यक है।


                              2. ध्वनि तरंगों का अपवर्तन (Refraction of Sound Waves)-

                              • जब ध्वनि तरंग किसी एक माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो अपने पथ या मार्ग से विचलित हो जाती है इसे ध्वनि का अपवर्तन कहते हैं।
                              • जब ध्वनि तरंग सघन (Denser) माध्यम से विरल (Rarer) माध्यम में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब (Normal) से दूर हट जाती है।
                              • जब ध्वनि तरंग विरल माध्यम से सघन माध्यम में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब की ओर झुक जाती है।
                              • अपवर्तन के कारण ही ध्वनि दिन के बजाय रात को दूर तक सुनाई देती है।


                              3. अनुनाद (Resonance)-

                              • जब कोई पिण्ड मुक्त रूप से दोलन कर रहा हो और उस पर समान आवृति (Equal Frequency) से बाह्य बल (External Force) आरोपित किया जाए तो उस पिण्ड का आयाम (Amplitude) बढ़ जाता है इसे अनुनाद कहते हैं।
                              • ध्वनि की तरंगें मुक्त रूप से दोलन करने वाले पिण्ड में अनुनाद उत्पन्न करती है।
                              • उदाहरण (Example)-
                              • (I) रेडियो अनुनाद के सिद्धान्त पर कार्य करता है। (Radio works on the principle of resonance)
                              • (II) सैनिको को पुल पर कदम से कदम न मिलाकर चलने की सलाह दी जाती है।
                              • (III) तानसेन के संगीत के कारण काँच का चटकना।
                              • (IV) मार्शल आर्ट में भी अनुनाद का उपयोग होता है


                              4. ध्वनि का व्यतिकरण (Interference of Sound)-

                              • जब समान आयाम (Amplitude) व आवृति (Frequency) की ध्वनि तरंगें किसी बिन्दु पर मिलती है तो उस बिन्दु पर ध्वनि ऊर्जा का पुनर्वितरण होता है इसे ध्वनि का व्यतिकरण कहते हैं।
                              • ध्वनि के व्यतिकरण की दो स्थितिया होती है। जैसे-
                              • (I) संपोषी व्यतिकरण (Constructive Interference)
                              • (II) विनाशी व्यतिकरण (Destructive Interference)


                              (I) संपोषी व्यतिकरण (Constructive Interference)-

                              • जब समान आयाम (Amplitude) व आवृति (Frequency) की दो ध्वनि तरंगें एक ही कला में किसी बिन्दु पर मिलती हैं तो परिणामी ध्वनि तरंग का आयाम बढ़ जाता है व उसकी तीव्रता अधिकतम होती है।


                              (II) विनाशी व्यतिकरण (Destructive Interference)-

                              • जब समान आयाम (Amplitude) व आवृति (Frequency) की दो ध्वनि तरंगें विपरित कला में किसी बिन्दु पर मिलती है तो परिणामी ध्वनि तरंग का आयाम घट जाता है व उसकी तीव्रता न्यूनतम होती है।
                              • उदाहरण (Example)-
                              • (A) पण्डाल में किसी स्थान पर ध्वनि की तीव्रता अधिकतम होती है तथा किसी स्थान पर न्यूनतम होती है।
                              • (B) समुद्र में अनेक स्थानों पर ध्वनि की तीव्रता न्यूनतम होती है इसलिए शांत क्षेत्र (Silence Zone) बनते हैं।
                              • (C) रेडियों में ध्वनि की तीव्रता किसी स्थान पर कम तो किसी स्थान पर अधिक होती है।


                              धीमा जहर (Slow Position)-

                              • ध्वनि प्रदूषण (Noise Pollution/ Sound Pollution) को धीमा जहर कहा जाता है।


                              5. डाप्लर प्रभाव (Doppler Effect)-

                              • जब ध्वनि के स्रोत (Source) एवं श्रोता (Listener) के मध्य आपेक्षित गति (Relative Motion) हो तो श्रोता को ध्वनि की आवृति बदली हुई प्रतीत होती है इस घटना को डाप्लर प्रभाव कहते हैं।
                              • यदि स्रोत (Source) व श्रोता (Listener) के मध्य की दूरी कम हो रही है तो आवृति बढ़ती हुई प्रतीत होती है।
                              • यदि स्रोत (Source) व श्रोता (Listener) के मध्य की दूरी बढ़ रही है तो आवृति घटती हुई प्रतीत होती है।
                              • F = F0 (V±V0 / V∓Vs)
                              • F = ध्वनि की आभासी आवृति (Appeared Frequency  of Sound)
                              • F0 = ध्वनि की वास्तविक आवृति (Real Frequency of Sound)
                              • V = ध्वनि की चाल (Speed of Sound)
                              • V0 = श्रोता की चाल (Speed of Listener)
                              • Vs = स्रोत की चाल (Speed of Source)
                              • प्रकाश तरंगों में भी डाप्लर प्रभाव (Doppler Effect) देखा जाता है। जैसे-
                              • (I) प्रयोगशाला में यदि तारों से प्राप्त तरंग (प्रकाश) बैंगनी रंग की ओर विस्थापित हो रहा है तो तारा पृथ्वी की ओर गति कर रहा है।
                              • (II) प्रयोगशाला में यदि तारों से प्राप्त तरंग (प्रकाश) लाल रंग की ओर विस्थापित हो रहा है तो तारा पृथ्वी से दूर गति कर रहा है।
                              • उदाहरण (Example)-
                              • (I) ट्रेन, प्लेटफोर्म की ओर आने पर उसकी आवृति प्लेटफार्म पर खड़े श्रोता को बढ़ती हुई प्रतीत होती है।
                              • (II) ट्रेन, प्लेटफोर्म से दूर जाने पर उसकी आवृति प्लेटफार्म पर खड़े श्रोता को घटती हुई प्रतीत होती है।
                              • (III) रडार (RADAR) डाप्लर प्रभाव के आधार पर ही विमान की गति का निर्धारण करता है।


                              6. ध्वनि का विवर्तन (Diffraction of Sound)-

                              • ध्वनि का वह लक्षण या गुण जिसके कारण अवरोधक सतह के किनारो से मुड़कर विभिन्न दिशाओं में गमन करती है इसे ध्वनि का विवर्तन कहते हैं।
                              • उदाहरण (Example)-
                              • (I) सड़क पर चलती हुई गाड़ी की आवाज कमरे में बैठे व्यक्ति को सुनाई देना।


                              7. मैक संख्या (Mach Number)-

                              • किसी वस्तु की चाल व ध्वनि की चाल के अनुपात को मैक संख्या कहते हैं।
                              • मैक संख्या = वस्तु की चाल / ध्वनि की चाल
                              • Mach Number (M) = Speed of Object / Speed of Sound
                              • मैक संख्या यदि 1 से कम है तो उसे सबसोनिक कहते है।
                              • M < 1 = सबसोनिक (Subsonic)
                              • मैक संख्या यदि 1 से अधिक है तो उसे सुपरसोनिक कहते हैं।
                              • M > 1 = सुपरसोनिक (Supersonic)
                              • मैक संख्या यदि 5 से अधिक हो तो उसे हाइपरसोनिक कहते हैं।
                              • M > 1 = हाइपरसोनिक (Hypersonic)

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