कांग्रेस का लाहौर अधिवेशन (Lahore Session of Congress)-
- समय- 1929 ई.
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में कांग्रेस ने सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) चलाने का निर्णय लिया।
- अध्यक्ष- जवाहर लाल नेहरू
- लौहार अधिवेशन में पूर्ण स्वराज की माँग की गई।
सविनय अवज्ञा आंदोलन के कारण (Causes of Civil Disobedience Movement)-
- 1. संघर्ष-विराम-संघर्ष (Struggle-Rest-Struggle) की रणनीति के तहत असहयोग आंदोलन को एक लम्बा समय बीत चुका था अतः अब एक नये जन आंदोलन की आवश्यकता थी।
- 2. स्वराज पार्टी से भारत में राजनीतिक चेतना का विकास हुआ।
- 3. साइमन कमीशन से भारत में राजनीतिक जागरूकता उत्पन्न हुई तथा लाला लाजपत राय की मृत्यु से भारतीयों में आक्रोश था।
- 4. नेहरू रिपोर्ट (Nehru Report) को नजरअंदाज किया जाना।
- 5. लाहौर अधिवेशन (Lahore Session) में पूर्ण स्वराज की माँग।
- 6. क्रांतिकारी आंदोलन (Revolutionary Movement) से राजनीतिक चेतना का विकास हुआ।
- 7. साम्यवादी (Communist Movement) और समाजवादी आंदोलन (Socialist Movement) से राजनीतिक चेतना का विकास हुआ। (मुख्यतः निम्न वर्ग)
- 8. 1929 की वैश्विक आर्थिक मंदी (Global Economic Recession of 1929) से बेरोजगारी बढ़ रही थी।
- 9. कठोर नमक कानून (Strict Salt Law)
सविनय अवज्ञा आंदोलन का तात्कालिक कारण (Immediate Cause of Civil Disobedience Movement)-
- सविनय अवज्ञा आंदोलन का तात्कालिक कारण गाँधीजी की 11 सूत्रीय माँगों को अस्वीकार किया जाना था।
गाँधीजी की 11 सूत्री माँगें (Gandhiji's 11 Points Demands)- 1 जनवरी, 1930
- गाँधीजी ने 1 जनवरी 1930 ई. को भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड इरविन के सामने अपनी 11 माँगे रखी जैसे-
- 1. रुपये का 50% अवमूल्यन किया जाये। (Rupee should be devalued by 50%)
- 2. भू-राजस्व में 50% कमी लाई जाये। (Land revenue should be reduced by 50%)
- 3. सैन्य व्यय में 50% कमी लाई जाये। (Military expenditure should be reduced by 50%)
- 4. उच्च वेतन वाली नौकरियों की संख्या में 50% कमी लाई जाये। (The number of high paying jobs should be reduced by 50%)
- 5. नमक कर समाप्त किये जाये। (Salt tax should be abolished)
- 6. शराबबंदी लागू की जाये। (Liquor ban should be done)
- 7. तटकर अधिनियम लागू किया जाये। (Costal Shipping Act should be implemented)
- 8. विदेशी कपड़े पर विशेष आयात शुल्क लगाया जाये। (Special import duty should be imposed on foreign cloth)
- 9. भारतीयों को आत्मरक्षा के लिए हथियार रखने की अनुमति दी जाये। (Indians should be allowed to keep arms for self-defense)
- 10. गुप्तचर व्यवस्था बंद कर दी जाये। (Intelligence system should be stopped)
- 11. राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया जाये। (Political prisoners should be released)
दांडी यात्रा (Dandi March)-
- समय- 12 मार्च - 6 अप्रैल, 1930 ई.
- गाँधीजी ने अपने 78 सहयोगियों के साथ साबरमती आश्रम (Sabarmati Ashram) से यात्रा प्रारम्भ की।
- अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर (Web Miller) भी इनमें शामिल था।
- सुभाष चन्द्र बोस ने दांडी यात्रा की तुलना नेपोलियन के पेरिस मार्च व मुसोलिनी के रोम मार्च से की थी।
- 12 मार्च, 1930 ई. को दांडी यात्रा से सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) प्रारम्भ हुआ।
- इस समय भारत के अन्य भागों में भी नमक यात्राओं का आयोजन किया गया। जैसे-
- 1. सी. राजगोपालाचारी ने त्रिचनापल्ली (Trichanapalli) से वेदारण्यम (Vedaranyam) तक की याज्ञा की।
- 2. के. केलप्पन व टी. माधवन ने कालीकट (Calicut) से पयान्नूर (Payyannur) तक की यात्रा की।
- 3. असम के लोगों ने सिल्हट (Sylhet) से नोआखली (Noakhali) तक की यात्रा की।
- इन सभी यात्राओं में नमक कानून (Salt Law) तोड़ा गया।
- महाराष्ट्र में सरोजनी नायडू के नेतृत्व में धरासना सत्याग्रह (Dharasana Satyagraha) किया गया।
- बिहार में चौकीदारी कर (Chowkidari Tax) के खिलाफ आंदोलन किया गया।
- मध्य प्रांत में वन कानून (Forest Law) के खिलाफ आंदोलन किया गया।
- संयुक्त प्रांत तथा गुजरात में कर नहीं देने का आंदोलन चलाया गया।
- असम में कनिंघम सर्कुलर का विरोध किया गया।
- कनिघंम सर्कुलर (Cunningham Circular) = अभिभावकों का चरित्र प्रमाण पत्र (Character Certificates of Parents)
- मणिपुर में मदोनांग या जदोनांग ने जियालरंग या जियातरंग आंदोलन (Zeliangrong Movement) चलाया।
- मदोनांग ने हेर्का पंथ (Heraka Cult) की स्थापना की।
- मदोनांग की 17 वर्षीय बहिन गोडिनेल्यू (Godinelu) को गिरफ्तार कर लिया गया।
- जवाहर लाल नेहरू ने गोडिनेल्यू को रानी की उपाधि दी थी।
- पेशावर में चन्द्र सिंह गढ़वाली नामक सैनिक ने आंदोलनकारियों पर गोली चलाने से मना कर दिया।
- उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत (North West Frontier Province) में खान अब्दुल गफ्फार खान ने खुदाई खिदमतगार (लाल कुर्ती दल) की स्थापना की।
- सीमांत गांधी (Frontier Gandhi) = खान अब्दुल गफ्फार खान (Khan Abdul Ghaffar Khan)
- खान अब्दुल गफ्फार खान की पत्रिका (Magazine)- पख्तून (Pakhtun) या दसरोजा (Dasroja)
गाँधी-इरविन समझौता (Gandhi-Irwin Pact)-
- समय- 5 मार्च, 1931 ई.
- गाँधी-इरविन समझौते को दिल्ली समझौता (Delhi Pact) भी कहा जाता है।
- गाँधी-इरविन समझौते की शर्तें (Terms of Gandhi-Irwin Pact)-
- 1. कांग्रेस सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) वापस लेगी।
- 2. कांग्रेस दूसरे गोलमेज सम्मेलन (Roundtable Conference) में भाग लेगी।
- 3. समुद्र तट के पास रहने वाले लोग नमक बना सकते हैं।
- 4. सरकार द्वारा जब्त संपत्ति को वापस दिया जायेगा। लेकिन यदि जब्त संपत्ति किसी तीसरे पक्ष को नहीं बेचा गया हो। अर्थात् तीसरे पक्ष को बेची हुई संपत्ति वापस नहीं होगी।
- 5. कांग्रेस ने पुसिल अत्याचारों की जाँच की माँग को वापस ले लिया।
- 6. राजनीतिक कैदियों (Political Prisoners) को रिहा किया जायेगा।
गोलमेज सम्मेलन (Roundtable Conference)-
- ब्रिटिश सरकार द्वारा लंदन में 3 गोलमेज सम्मेलन आयोजित किये गये थे। जैसे-
- 1. पहला गोलमेज सम्मेलन- 1930 ई.
- 2. दूसरा गोलमेज सम्मेलन- 1931 ई.
- 3. तीसरा गोलमेज सम्मेलन- 1932 ई.
- कांग्रेस ने केवल दूसरे गोलमेज सम्मेलन (1931) में भाग लिया था।
- कांग्रेस की तरफ से केवल गाँधीजी ने भाग लिया था।
- गाँधीजी गोलमेज सम्मेलन में भाग लेने 'राजपूताना' (Rajputana) नामक जहाज पर लंदन गये थे।
- सरोजनी नायडू (Sarojini Naidu) तथा मदन मोहन मालवीय (Madan Mohan Malviya) ने भी दूसरे गोलमेज सम्मेलन (1931) में भाग लिया था। (कांग्रेस की तरफ से नहीं थे।)
- पत्रकार 'फ्रेंक मोरेस' (Frank Moraes) ने गाँधीजी की लंदन यात्रा का वर्णन किया था।
- दूसरे गोलमेज सम्मेलन से लौटकर गाँधीजी ने 1932 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) वापस शुरू किया।
पटना (Patna)-
- 1934 ई. में सविनय अवज्ञा आंदोलन समाप्त कर दिया गया।
- सविनय अवज्ञा आंदोलन के समाप्ती की घोषणा पटना से की गई थी।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का महत्व (Importance of Civil Disobedience Movement)-
- 1. भारत का पहला अखिल भारतीय आंदोलन (All India Movement) था जो असम से लेकर उत्तर-पश्चिम सीमा प्रांत तक विस्तृत था।
- 2. आंदोलन में सभी वर्गों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था। यहाँ तक कि मजदूर भी आंदोलन में शामिल हुये थे।
- 3. यह आंदोलन ग्रामीण क्षेत्रों में भी लोकप्रिय हुआ था।
- 4. कांतिकारियों की ऊर्जा सकारात्मक रूप से अभिव्यक्ति हुई।
- 5. यह भारत का पहला आंदोलन था जो पूर्व स्वराज (Complete Independence) के लक्ष्य के साथ प्रारम्भ हुआ था।
- 6. इस आंदोलन में महिलाओं ने बड़े स्तर भाग लिया था। (कमला देवी चटोपाध्याय के कहने पर आंदोलन में महिलाओं को शामिल किया गया था)
- 7. आंदोलन के दबाव के कारण अंग्रेजों को बराबरी का गाँधी-इरविन समझौता (Gandhi-Irwin Pact) करना पड़ा।
- 8. 1935 का भारत शासन अधिनियम (Government of India Act, 1935) आंदोलन के दबाव का ही नजीता था।