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भारत परिषद अधिनियम 1919 (Indian Council Act 1919)

1919 का भारत परिषद अधिनियम (Indian Council Act 1919) या मान्टेग्यू चेम्सफोर्ड सुधार (Montague Chelmsford Reforms)-

  • भारत सचिव (India Secretary)- मान्टेग्यू (Montague)
  • गवर्नर जनरल (Governor General)- चेम्सफोर्ड (Chelmsford)
  • भारत परिषद अधिनियम 1919 को "भारत सरकार अधिनियम 1919" (Government of India Act 1919) भी कहा जाता है।


भारत परिषद अधिनियम 1919 द्वारा किये गये परिवर्तन (Changes made by Council of India Act 1919)-

  • 1. गृह सरकार में परिवर्तन (Change in Home Government)
  • 2. भारत सरकार में परिवर्तन (Change in Government of India)


      1. गृह सरकार में परिवर्तन (Change in Home Government)-

      • (I) भारत परिषद् के खर्चे भारत से समाप्त कर दिये गये तथा ब्रिटेन पर डाल दिये गये थे।
      • (II) भारत परिषद के सदस्यों की संख्या कम कर दी गई। अब भारत परिषद में न्यूनतम 8 व अधिकतम 12 सदस्य हो सकते हैं।
      • (III) लंदन में हाई कमिश्नर (High Commissioner) की नियुक्ति की गई जो भारत सरकार को भेजे जाने वाले सामान की जाँच करता था तथा हाई कमिश्नर का खर्चा भारत देना था।


      2. भारत सरकार में परिवर्तन (Change in Government of India)-

      • (A) भारत की केंद्र सरकार में परिवर्तन (Changes in Central Government of India)

      • (B) भारत के प्रांतों में परिवर्तन (Changes in Provinces of India)


      (A) भारत की केंद्र सरकार में परिवर्तन (Changes in Central Government of India)-

      • गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद () में 3/8 सदस्य भारतीय होंगे। तथा इन सदस्यों को विधि (Law), शिक्षा (Education) एवं स्वास्थ्य (Health) जैसे विषय दिये गये।े
      • केंद्र में द्विसदनीय व्यवस्था (Bicameral System) लागू की गई जैसे-
      • (I) राज्य परिषद (State Council)- 60 सदस्य
      • (II) केंद्रीय विधानसभा (Central Assembly)- 145 सदस्य
      • भारतीयों को प्रत्यक्ष मताधिकार (Direct Suffrage) प्रदान किया गया। लेकिन यह सार्वभौमिक (Universal) नहीं था बल्कि संपत्ति पर आधारित था। इसमें भी महिलाओं को मताधिकार नहीं दिया गया था।
      • सिक्खों (Sikh) व एंग्लो इंडियन (Anglo-Indian) को भी पृथक निर्वाचन (Separate Election) दिया गया।
      • शक्तियों का विभाजन किया जायेगा। जैसे-
      • (I) केंद्रीय सूची (Central List)
      • (II) प्रांतीय सूची (Provincial List)


      (B) भारत के प्रांतों में परिवर्तन (Changes in Provinces of India)-

      • प्रांतों में द्वैध शासन (Diarchy) लागू किया गया। तथा प्रांतीय विषयों को दो भागों में बांट दिया गया जैसे-
      • (I) आरक्षित विषय (Reserved Subject)
      • (II) हस्तांतरित विषय (Transferable Subject)


      (I) आरक्षित विषय (Reserved Subject)-

      • आरक्षित विषय में वित्त (Finance), सिंचाई (Irrigation), व्यापार-वाणिज्य (Trade-Commerce) आदि शामिल थे।

      • आरक्षित विषयों पर गवर्नर द्वारा मनोनीत मंत्री (Nominated Ministers) कानून बनाते थे।


      (II) हस्तांतरित विषय (Transferable Subject)-

      • हस्तांतरित विषय में शिक्षा (Education), स्वास्थ्य (Health), कृषि (Agriculture). उद्योग (Industry) आदि शामिल थे।

      • हस्तांतरित विषयों पर जनप्रतिनिधि (Representatives) कानून बनाते थे।


      1919 के भारत परिषद अधिनियम के कारण (Reasons for Indian Council Act of 1919)-

      • (I) 1909 के भारत परिषद अधिनियम में कहा गया था कि 10 वर्ष बाद भारत में नये सुधार किये जायेगें।
      • (II) प्रथम विश्व युद्ध के कारण भारतीय जनता में असंतोष था अतः अंग्रेज इसे सुधारों के माध्यम से कम करना चाहते थे।
      • (III) होमरूल आंदोलन में स्वशासन (Self-government) की माँग की गई थी जिससे भारतीयों में राजनीतिक चेतना (Political Consciousness) का विकास हुआ।
      • (IV) मॉन्टेग्यू घोषणा (Montague Declaration) से भारतीयों की अपेक्षायें बढ़ गई थी।
      • (V) सरकार क्रांतिकारी आंदोलन पर नियंत्रण स्थापित करना चाहती थी।
      • (VI) नरम पंथियों को संतुष्ट करने के लिए ये सुधार किये गये थे।


      1919 के भारत परिषद अधिनियम की कमियां (Drawbacks of Council of India Act 1919)-

      • (I) गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद (Executive Council of Governor General) में अभी भी भारतीयों को उचित प्रतिनिधित्व (Proper Representation) नहीं था।
      • (II) भारतीयों को सार्वभौमिक मताधिकार (Universal Suffrage) नहीं दिया गया तथा महिलाओं को मताधिकार नहीं दिया गया था।
      • (III) प्रांतों में द्वैध शासन (Diarchy) लागू कर दिया गया।
      • (IV) पृथक निर्वाचन (Separate Electorate) को न केवल जारी रखा गया बल्कि उसे और बढ़ा दिया गया।
      • (V) गवर्नर जनरल के पास वीटो (Veto) एवं अध्यादेश (Ordinance) के अधिकार थे।


      द्वैध शासन की कमियां (Drawbacks of Dyarchy Rule)-

      • (I) द्वैध शासन में विषयों का विभाजन अवैज्ञानिक (Unscientific) था। जैसे- सिंचाई आरक्षित विषय (Reserved Subject) तथा कृषि हस्तांतरित विषय (Transferable Subject) था।
      • (II) वित्त (Finance) आरक्षित विषय था अतः हस्तांतरित विषय के मंत्रियों को भी उस पर निर्भर रहना पड़ता था।
      • (III) आरक्षित विषय के मंत्री केवल गवर्नर के प्रति उत्तरदायी थे तथा हस्तांतरित विषय के मंत्री जनता के प्रति उत्तरदायी थे।
      • (IV) प्रशासनिक अधिकारी (Administrative Officer) हस्तांतरित विषय के मंत्रियों का सहयोग नहीं करते थे।
      • (V) जनप्रतिनिधियों (Representatives) में मंत्री बनने की प्रतिस्पर्धा (Competition) उत्पन्न हुई इससे राष्ट्रीय आंदोलन कमजोर हुआ।


      अन्य तथ्य (Other Facts)-

      • बाल गंगाधर तिलक ने 1919 के भारत परिषद अधिनियम को "बिना सूरज का सवेरा" कहा था।

      • 1919 के भारत परिषद अधिनियम के बाद सुरेन्द्र नाथ बनर्जी ने 1919 ई. में "अखिल भारतीय उदारवादी संघ" (All India Liberal Association) का गठन कर लिया था।

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