खिलाफत आंदोलन (Khilafat Movement)-
- प्रथम विश्व युद्ध के बाद तुर्की के खलीफा के साथ ब्रिटेन ने "सीवर्स की संधि" (Treaty of Sevres) की थी।
- सीवर्स की संधि के तहत अंग्रेज खलीफा के ऑटोमन साम्राज्य को समाप्त करना चाहते थे। अतः भारतीय मुसलमानों ने सीवर्स की संधि के खिलाफ खिलाफत आंदोलन चलाया।
- प्रमुख नेता (Main Leaders)- खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता
- (I) अली बन्धु (मोहम्मद अली जौहर और शौक अली)
- (II) मौलाना अबुल कलाम आजाद
- (III) हसरत मोहानी
- (IV) डॉ. एम. ए. अंसारी
- मोहम्मद अली जौहर के समाचार पत्र (Newspapers of Muhammad Ali Jauhar)-
- (I) कॉमरेड
- (II) हमदर्द
- मौलाना अबुल कलाम आजाद के समाचार पत्र (Newspapers of Maulana Abul Kalam Azad)-
- (I) अल हिलाल
- शौकत अली एवं मोहम्मद अली जौहर दो भाइयों के नेतृत्व में खिलाफत आंदोलन को शुरू किया गया था।
- गाँधीजी व बाल गंगाधर तिलक ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया था।
- मदनमोहन मालवीय व लाला लाजपत राय ने खिलाफत आंदोलन का विरोध किया तथा उन्होंने खिलाफत आंदोलन को विशुद्ध धार्मिक मुद्दा (Purely Religious Issue) बताया।
- मोहम्मद अली जिन्ना ने भी खिलाफत आंदोलन का विरोध किया।
- सितम्बर 1919 ई. में "अखिल भारतीय खिलाफत समिति" (All India Khilafat Committee) का गठन किया।
- 17 अक्टूबर 1919 ई. को 'खिलाफत दिवस' (Khilafat Day) मनाया गया।
- नवम्बर 1919 ई. में अखिल भारतीय खिलाफत समिति का नेतृत्व गाँधीजी को सौंप दिया गया। (नवम्बर 1919 ई. में अखिल भारतीय खिलाफत समिति का सम्मेलन दिल्ली में हुआ था।)
- जून 1920 ई. में अखिल भारतीय खिलाफत समिति ने असहयोग आंदोलन शुरू किया।
- 31 अगस्त 1920 ई. को खिलाफत आंदोलन, असहयोग आंदोलन का भाग बन गया।
- मुस्तफा कमाल पाशा के नेतृत्व में तुर्की में क्रांति हो गई तथा 1924 ई. में खलीफा के पद को समाप्त कर दिया गया।