1909 का भारत परिषद अधिनियम (Indian Council Act of 1909) या मार्ले मिंटो सुधार (Morley-Minto Reforms)-
- 1909 के भारत परिषद अधिनियम को मार्ले मिंटो सुधार (Morley Minto Reform) भी कहा जाता है।
- भारत सचिव (India Secretary)- मार्ले (Morley)
- भारत का गर्वनर जनरल (Governor General of India)- मिंटो (Minto)
मार्ले मिंटो सुधार के कारण (Reason for Morley Minto Reform)-
- 1. 1892 ई. के सुधारों को लम्बा समय बीच चुका था तथा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) सुधारों की माँग कर रही थी। (1909 से पहले भारत में सुधार 1861, 1892, 1909)
- 2. बांटों और राज करो की नीति के तहत ब्रिटिश सरकार हिन्दू मुस्लिम एकता को समाप्त करना चाहती थी।
- 3. भारत में स्वदेशी आंदोलन चल रहा था तथा ब्रिटिश सरकार को डर था की यह आंदोलन भी 1857 के विद्रोह की तरह हिंसक हो सकता है।
- 4. सुधारों के माध्यम से सरकार नरमपंथियों को संतुष्ट करना चाहती थी।
- 5. ब्रिटिश सरकार गरमपंथी आंदोलन एवं क्रांतिकारी आंदोलन के प्रभाव को समाप्त करना चाहती थी।
1909 के भारत परिषद अधिनियम के प्रावधान (Provisions of Indian Council Act of 1909)-
- 1. गृह सरकार में परिवर्तन (Change in Home Government)
- 2. भारत की केंद्र सरकार में परिवर्तन (Changes in the Central Government of India)
- 3. भारत की प्रांतीय सरकार में परिवर्तन (Change in Provincial Government of India)
1. गृह सरकार में परिवर्तन (Change in Home Government)-
- (I) भारत परिषद में एक भारतीय सदस्य की नियुक्ति की जायेगी।
- विशेष- हालांकि भारत परिषद में पहले भी (1907 ई. में) भारतीय सदस्य होते थे लेकिन अब (1909 ई. में) अनिवार्य कर दिया गया था।
- 1907 ई. में भारत परिषद में 2 भारतीय सदस्य थे। जैसे-
- (A) सैयद हुसैन बिलग्रामी (Syed Hussain Bilgrami)
- (B) K.G. गुप्ता (K.G. Gupta)
2. भारत की केंद्र सरकार में परिवर्तन (Changes in the Central Government of India)-
- (I) केन्द्रीय विधानपरिषद (Central Legislative Council) में सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई। अब केन्द्रीय विधानपरिषद में 69 सदस्य थे। जैसे-
- (A) स्थायी सदस्य (Permanent Member)- 9 (1 गवर्नर जनरल + 8 परिषद)
- (B) अतिरिक्त सदस्य (Additional Member)- 60 [28 सरकारी (मनोनीत) + 32 गैर सरकारी]
- स्थायी सदस्य- 9
- (A) गवर्नर जनरल (Governor General)- 1
- (B) गवर्नर जनरल की परिषद (Governor General's Council)- 8
- अतिरिक्त सदस्य- 60
- (A) सरकारी सदस्य (मनोनीत)- 28
- (B) गैर सरकारी सदस्य- 32 (5 मनोनीत + 27 निर्वाचित)
- (II) विधानपरिषद के सदस्यों को पूरक प्रश्न (Supplementary Questions) पूछने का अधिकार दिया गया। अर्थात् बजट पर बहस की जा सकती थी लेकिन मतदान नहीं।
- (III) विधानपरिषद के सदस्य निम्नलिखित विषयों से संबंधित प्रश्न नहीं पूछ सकते थे।-
- (A) विदेशी मामले (Foreign Affairs)
- (B) देशी रियासतें (Princely States)
- (C) रेल्वे (Railway)
- (D) ऋण (Loan)
- (E) ब्याज (Interest)
- (IV) मुस्लमानों को पृथक निर्वाचन (Separate Electorate) दिया गया। तथा विधानपरिषद में 27 निर्वाचित सीटों में से 6 सीट मुस्लमानों को दी गई थी।
गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में परिवर्तन (Change in Executive Council of Governor General)-
- गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद (कुल सदस्य-8) में एक भारतीय सदस्य होगा।
- सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा (S.P. Sinha) प्रथम भारतीय सदस्य थे जिन्हें गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में सदस्य बनाया गया था।
- सत्येन्द्र प्रसाद सिन्हा (Satyendra Prasad Sinha) को गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में विधि सदस्य (Legal Member) बनाया गया था।
3. भारत की प्रांतीय सरकार में परिवर्तन (Change in Provincial Government of India)-
- (I) प्रांतीय विधानपरिषदों में भी सदस्यों की संख्या बढ़ाई गई। जैसे-
- (A) बंगाल, मद्रास, बॉम्बे, United Province- 50 सदस्य
- (B) पंजाब, बर्मा, असम- 30 सदस्य
1909 के भारत परिषद अधिनियम की कमियां (Drawbacks of Indian Council Act of 1909)-
- 1. मुस्लिमों को पृथक निर्वाचन (Separate Electorate) देने से भारत में साम्प्रदायिकता (Communalism) फैली जो कालांतर में द्विराष्ट्र सिद्धांत (Two Nation Theory) में बदल गई जिससे भारत का विभाजन हुआ।
- 2. सामान्य मतदाता एवं मुस्लिम मतदाता के बीच अंतर रखा गया। सामान्य मतदाता पहले प्रांतीय विधानपरिषद के सदस्यों को चुनता था तथा वे केंद्रीय विधानपरिषद के सदस्यों को चुनते थे। जबकि मुस्लिम मतदाता सीधे केंद्रीय विधानपरिषद के सदस्यों को चुनता था।
- 3. जब मुस्लिमों को पृथक निर्वाचन दिया गया तो सिक्खों व आंग्ल भारतीयों ने भी पृथक निर्वाचन की माँग की इससे राष्ट्रीय एकता कमजोर हुई।
- 4. गवर्नर जनरल की कार्यकारी परिषद में भारतीयों को उचित प्रतिनिधित्व नहीं दिया।
- 5. विधानपरिषद के सदस्यों को वित्तीय मामलों से संबंधित प्रश्न पूछने का अधिकार नहीं दिया गया। तथा बजट पर मत विभाजन का अधिकार नहीं दिया गया।
- 6. गवर्नर जनरल के पास वीटो (Veto) और अध्यादेश (Ordinance) की शक्ति होती थी।