व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन (Individual Satyagraha Movement)-
- समय- 1940
- व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन को "दिल्ली चलो आंदोलन" (Delhi Chalo Movement) भी कहा जाता है।
- आंदोलन के समर्थन में भारत में दो प्रकार की विचारधाराएं है। जैसे-
- (I) गाँधीजी के अनुसार हिटलर एक फासीवादी ताकत था तथा मानव समुदाय के लिए एक खतरा था। चूँकि ब्रिटेन हिटलर के खिलाफ लड़ रहा था अतः हमें ब्रिटेन की शक्ति को कम नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे हिटलर जीत सकता है।
- (II) वामपंथीयों के अनुसार ब्रिटेन तथा हिटलर दोनों साम्राज्यवादी ताकते हैं तथा अपने साम्राज्य विस्तार के लिए लड़ रही है। अतः भारत को इस मौके का फायदा उठाना चाहिए तथा अंग्रेजी सरकार के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन करना चाहिए।
- गाँधीजी ने अंग्रेजों की शक्ति को कम किये बिना तथा अव्यवस्था उत्पन्न किये बिना व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन चलाया।
- व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन के माध्यम से विश्व समुदाय को संदेश दिया कि ब्रिटेन जिन लोकतांत्रिक मूल्यों (Democratic Values) की वकालत यूरोप में करता है उन्हें भारत में लागू नहीं कर रहा है।
- 17 अक्टूबर, 1940 को पवनार आश्रम, महाराष्ट्र (Pavanar Ashram) से व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन प्रारम्भ हुआ था।
- विनोबा भावे व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन के पहले सत्याग्रही थे। (इस सत्य)
- जवाहर लाल नेहरू व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन के दूसरे सत्याग्रही थे। (इस सत्याग्रह में जवाहर लाल नेहरू को 4 माह की जेल हुई थी)
- ब्रह्मदत्त व्यक्तिगत सत्याग्रह आंदोलन के तीसरे सत्याग्रही थे।