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असहयोग आंदोलन (Non Cooperation Movement)

असहयोग आंदोलन (Non-Cooperation Movement)-

  • 1 अगस्त 1920 ई. को बाल गंगाधर तिलक की मृत्यु के साथ ही गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन शुरू कर दिया।
  • असहयोग आंदोलन के अनुसार ब्रिटिश सरकार के प्रत्येक पक्ष का बहिष्कार किया जाना था। जैसे-
  • (I) विदेशी वस्तुएं (Foreign Goods)
  • (II) शिक्षा (Education)
  • (III) न्यायालय (Court)
  • (IV) उपाधियां व सम्मान (Titles and Honors)
  • गाँधीजी ने अपने बोअर (Boer Medal) तथा जुलु पदक (Zulu Medal) पदक त्याग दिये थे तथा 'केसर-ए-हिन्द' (Kesar-e-Hind) की उपाधि भी त्याग दी।
  • जमनालाल बजाज ने अपनी राय बहादुर की उपाधि त्याग दी।
  • गाँधीजी ने घोषणा कि की हम एक वर्ष के भीतर स्वराज प्राप्त कर लेंगे।
  • इस आंदोलन के दौरान "तिलक स्वराज कोष" की भी स्थापना की गई।
  • इस आंदोलन के दौरान विदेशी वस्तुओं का बहिष्कार किया गया।
  • विदेशी वस्त्रों का बहिष्कार अत्यधिक लोकप्रिय हुआ।
  • अनेक प्रसिद्ध वकीलों ने अपनी वकालत त्याग दी। जैसे-
  • (I) C.R.दास
  • (II) मोतीलाल नेहरू
  • (III) जवाहर लाल नेहरू
  • (IV) वल्लभ भाई पटेल
  • (V) डॉ. राजेद्र प्रसाद
  • अनेक स्वदेशी शिक्षण संस्थाओं की स्थापना की गई। जैसे-
  • (I) बिहार विद्यापीठ
  • (II) काशी विद्यापीठ
  • (III) गुजरात विद्यापीठ
  • (IV) जामिया मिलिया
  • सुभाष चन्द्र बोस "कलकत्ता नेशनल कॉलेज" (Calcutta National College) के प्रिंसिपल बने।
  • ताड़ी की दुकानों पर धरना अत्यधिक लोकप्रिय हुआ जबकि यह मूल कार्यक्रम में शामिल नहीं था।
  • C.R. दास व उनकी पत्नी बसंती देवी असहयोग आंदोलन में सबसे पहले गिरफ्तार हुये थे।
  • मोहम्मद अली भी असहयोग आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किये गये।


असहयोग आंदोलन के कारण (Reasons for Non Cooperation Movement)-

  • स्वदेशी आंदोलन के बाद कोई बड़ा जनआंदोलन नहीं हुआ था अतः जनआंदोलन की आवश्यकता थी।
  • लखनऊ अधिवेशन में नरम दल व गरम दल का विलय हो गया था अतः लोगों की अपेक्षाऐं बढ़ गई थी।
  • होमरूल आंदोलन ने असहयोग आंदोलन के लिए आधार तैयार किया था जैसे-
  • (I) होमरूल आंदोलन के कारण राजनीतिक चेतना का विकास हुआ।
  • (II) विभिन्न समितियों के निर्माण से राष्ट्रीय आंदोलन को संगठनात्मक स्वरूप प्राप्त हुआ।
  • (III) होमरूल आंदोलन परिणामविहीन था अतः जनता में असंतोष था।
  • रोलेट एक्ट (Rowlatt Act) के कारण जनता में असंतोष था।
  • जलियावाला बाग हत्याकाण्ड (Jallianwala Massacre) तथा हन्टर कमेटी (Hunter Committee) की रिपोर्ट के कारण भारतीय नाराज थे।
  • 1919 के सुधारों से भारतीय संतुष्ट नहीं थे।
  • खिलाफत आंदोलन के कारण हिन्दु-मुस्लिम एकता स्थापित हुई।
  • भारतीय प्रथम विश्व युद्ध के कारण परेशान थे। जैसे-
  • (I) महंगाई बढ़ गई थी।
  • (II) युद्ध के दौरान युवाओं को सेना में भर्ती किया गया था लेकिन बाद में उन्हें हटा दिया गया।
  • (III) युद्ध के दौरान सरकार ने करों में वृद्धि की।
  • (IV) प्रथम विश्व युद्ध में अंग्रेजों की अनेक स्थानों पर हार हुई इससे उनकी अपराजेयता का भ्रम टूटा।
  • (V) प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटेन ने यूरोप में लोकतंत्र (Democracy) का समर्थन किया लेकिन उसे भारत में लागू नहीं किया। इससे बुद्धिजीवी वर्ग (Intellectual Class) निराश था।
  • हमे गाँधीजी के रूप में चमत्कारिक नेतृत्व प्राप्त हो गया था।


कांग्रेस का विशेष अधिवेशन (Special Session of Congress)-

  • समय- सितम्बर 1920 ई.
  • स्थान- कलकत्ता (Calcutta)
  • अध्यक्ष (President)- लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai)
  • कांग्रेस के इस अधिवेशन में गाँधीजी ने असहयोग का प्रस्ताव पेश किया।
  • C.R. दास एवं लाला लाजपत राय ने इस प्रस्ताव का विरोध किया।
  • C.R. दास ने चुनावों के बहिष्कार का विरोध किया तथा लाला लाजपत राय ने शिक्षा के बहिष्कार का विरोध किया। लेकिन मोतीलाल नेहरू व अली बंधुओं के सहयोग से यह प्रस्ताव पास हो गया।


कांग्रेस का नियमित अधिवेशन (Regular Session of Congress)-

  • समय- दिसम्बर, 1920 ई.
  • स्थान- नागपुर (Nagpur)
  • अध्यक्ष (President)- वी. राघवाचारी (V. Raghavachari)
  • कांग्रेस के इस अधिवेशन में C.R. दास ने असहयोग का प्रस्ताव पेश किया तथा यह प्रस्ताव पारित हो गया।
  • इस सम्मेलन के दौरान गाँधीजी ने कांग्रेस के संविधान में परिवर्तन किया। जैसे-
  • (I) एक 15 सदस्यीय कार्यकारी समिति का गठन किया गया।
  • (II) भाषा के आधार पर कांग्रेस की प्रांतीय समितियों का गठन किया गया।
  • (III) कांग्रेस का सदस्यता शुल्क 25 पैसे निर्धारित किया गया।


कांग्रेस का अहमदाबाद अधिवेशन (Ahmedabad Session of Congress)-

  • समय- 1921 ई.
  • स्थान- अहमदाबाद
  • अध्यक्ष- C.R. दास
  • C.R. दास जेल में थे तथा इस अधिवेशन की अध्यक्षता हकीम अजमल खान के द्वारा की गई थी। अर्थात् इस अधिवेशन में हकीम अजमल खान कार्यवाहक अध्यक्ष थे।
  • कांग्रेस के इस अधिवेशन में यह निर्णय लिया गया की कांग्रेस बारदोली से 12 फरवरी 1922 ई. को सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) शुरू करेगी।


चौरी-चौरा कांड (Chauri Chaura Incident)-

  • समय- 4 फरवरी, 1922 ई.
  • स्थान- चौरी-चौरा, गोरखपुर जिला, उत्तर प्रदेश
  • 4 फरवरी 1922 ई. को उत्तर प्रदेश के चौरा-चौरी (Chaura-Chauri) नामक स्थान पर उग्र भीड़ ने पुलिस थाने को आग लगा दी तथा इसमें 22 पुलिसकर्मी मारे गये इससे गाँधीजी ने असहयोग आंदोलन वापस ले लिया।
  • 12 फरवरी, 1922 ई. को बारदोली में कांग्रेस कार्य समिति की बैठक में असहयोग आंदोलन की समाप्ती की घोषणा कर दी गई।


असहयोग आंदोलन को वापस लेने के कारण (Reasons for Withdrawing Non-Cooperation Movement)-

  • असहयोग आंदोलन हिंसक (Violent) हो गया था तथा गलत हाथों में जा सकता था और सरकार द्वारा इसे कुचला (Crushed) जा सकता था।
  • गाँधीजी को अपने सत्य (Truth) व अहिंसा (Non-Violence) जैसे मूल्य स्वराज से भी अधिक प्रिय थे। तथा गाँधीजी जानते थे की हिंसा रूपी गलत साधन के प्रयोग से स्वराज रूपी उचित साध्य प्राप्त नहीं करना चाहिए।
  • संघर्ष-विराम-संघर्ष की रणनीति (Strategy of Struggle-Rest-Struggle) के तहत आंदोलन को एक ऐसे बिन्दु पर रोकना जरूरी था ताकि लोगों में निराशा का भाव नहीं आये तथा उनकी ऊर्जा बची रहे।
  • आंदोलन के प्रारम्भ में गाँधीजी ने कहा था कि एक वर्ष में स्वराज प्राप्त कर लेंगे। लेकिन एक वर्ष से अधिक समय बीत जाने पर भी ब्रिटिश सरकार ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी।
  • कांग्रेस के 1921 ई. के अहमदाबाद अधिवेशन के बाद से ही गाँधीजी पर कर नहीं देने के आंदोलन (No Tax Movement) का दबाव बनता जा रहा था। तथा गाँधीजी जानते थे कि इन परिस्थितियों में ऐसा करना सम्भव नहीं है।
  • खिलाफत आंदोलन के कारण मुस्लिम असहयोग आंदोलन से जुड़े थे लेकिन तुर्की में खलीफा के खिलाफ क्रांति के बाद मुस्लिमों की संख्या कम हो गयी थी।
  • आंदोलन के दौरान भारतीय समाज के अंर्तविरोध उभरने लगे थे। जैसे-
  • (I) किसान Vs जमींदार (Farmer Vs Landlord)
  • (II) मजदूर Vs पूंजीपति (Worker Vs Capitalist)
  • (III) हिन्दु Vs मुस्लिम (Hindu Vs Muslim)


असहयोग आंदोलन का महत्व (Significance of Non-Cooperation Movement)-

  • असहयोग आंदोलन भारत का पहला बड़ा आंदोलन था जिसमें सभी वर्गों ने बढ़-चढ़ कर भाग लिया था।
  • असहयोग आंदोलन से मुस्लिम बड़ी संख्या में जुड़े थे। इसके बाद के आंदोलनों में ऐसा नहीं देखा गया।
  • असहयोग आंदोलन में महिलाओं में बड़े स्तर पर भाग लिया।
  • असहयोग आंदोलन सम्पूर्ण भारत में विस्तृत था।
  • राष्ट्रीय आंदोलन को सत्य (Truth), अहिंसा (Non-Violence), सत्याग्रह (Satyagraha) जैसे नये उपकरण मिले।
  • विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार से हमारे स्वदेशी उद्योग-धंधों (Indigenous Industries) को फायदा हुआ।
  • अनेक स्वदेशी शिक्षण संस्थाओं (Educational Institutions) की स्थापना की गई।
  • स्वराज के लक्ष्य के साथ शुरू होने वाला पहला जनआंदोलन था।


असहयोग आंदोलन की कमियां (Drawbacks of Non-Cooperation Movement)-

  • असहयोग आंदोलन अनेक स्थानों पर हिंसक (Violent) हो गया था। जैसे-
  • (I) मोपला विद्रोह (Moplah Rebellion)
  • (II) 1921 ई. में प्रिंस ऑफ वेल्स (Prince of Wales) की यात्रा के समय बॉम्बे में दंगे।
  • (III) चौरा-चौरी घटना (Chaura-Chauri Incident)
  • हिन्दु-मुस्लिम एकता भी आंदोलन के प्रारम्भ में स्थापित हुई थी।
  • कालांतर में मुस्लिमों की संख्या कम हो गई थी।
  • असहयोग आंदोलन अनेक स्थानों पर साम्प्रदायिक हो गया था। जैसे-
  • (I) मोपला विद्रोह (Moplah Rebellion)
  • विदेशी बहिष्कार में भी केवल वस्त्रों का ही बहिष्कार ही लोकप्रिय हुआ था।
  • गाँधीजी ने कहा था कि एक वर्ष में स्वराज प्राप्त कर लेंगे। लेकिन स्वराज को परिभाषित नहीं किया गया तथा ना ही स्वराज को प्राप्त किया जा सका।
  • राजद्रोह की धारा 124-ए (Invoking Section 124-A) लगाकर गाँधीजी को गिरफ्तार कर लिया गया तथा गाँधीजी को 6 वर्ष की सजा दी गई।
  • यद्यपि स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से गाँधीजी को 2 वर्ष बाद रिहा कर दिया गया।

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