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लखनऊ समझौता (Lucknow Pact)

लखनऊ अधिवेशन (Lucknow Session)-

  • समय- लखनऊ अधिवेशन दिसम्बर 1916 ई. में हुआ था।
  • लखनऊ अधिवेशन में दो समझौते हुए थे जैसे-
  • (A) नरम दल व गरम दल में समझौता (Pact Between Moderates and Extremists)
  • (B) लखनऊ समझौता (Lucknow Pact)


(A) नरम दल व गरम दल में समझौता (Pact Between Moderates and Extremists)-

  • समय- नरम दल व गरम दल में समझौता 1916 ई. में हुआ था।

  • नरम दल व गरम दल में समझौता लखनऊ अधिवेशन में हुआ था।


नरम दल (Moderates) व गरम दल (Extremists) में समझौते के कारण-

  • 1. 1907 ई. के सूरत विभाजन के बाद गरम पंथी राष्ट्रीय आंदोलन में अलग-थलग हो गये थे तथा अब वे राष्ट्रीय आंदोलन में शामिल होना चाहते थे। इसके लिए कांग्रेस में शामिल होना जरूरी था क्योंकि कांग्रेस (Congress) राष्ट्रीय आंदोलन का केंद्र बिन्दु थी।
  • 2. नरमपंथियों के दो बड़े नेता गोपाल कृष्ण गोखले (Gopal Krishna Gokhale) तथा फिरोज शाह मेहता (Firoz Shah Mehta) की 1915 में मृत्यु हो गई थी।
  • 3. नरम पंथी निष्क्रिय होते जा रहे थे तथा अब उन्हें नई ऊर्जा की आवश्यकता थी।
  • 4. गरमपंथियों की विचारधारा (Ideology) बदल चुकी थी।
  • 5. नरम पंथी 1909 ई. के सुधारों से संतुष्ट नहीं थे।
  • 6. प्रथम विश्व युद्ध (First World War) से भारतीय जनता परेशान थी (महँगाई/Inflation) तथा अब एक बड़े जन आंदोलन की माँग हो रही थी तथा इसके लिए गरम दल व नरम दल का विलय जरुरी था


(B) लखनऊ समझौता (Lucknow Pact)-

  • समय- लखनऊ समझौता दिसम्बर 1916 ई. में हुआ था।
  • मध्य- लखनऊ समझौता कांग्रेस (Congress) व मुस्लिम लीग (Muslim League) के मध्य हुआ था।
  • मध्यस्थ- लखनऊ समझौते के मध्यस्थ
  • (I) बाल गंगाधर तिलक (कांग्रेस को समझाया)
  • (II) मोहम्मद अली जिन्ना (मुस्लिम लीग को समझाया)
  • लखनऊ समझौता, लखनऊ अधिवेशन में किया गया था।
  • कांग्रेस व मुस्लिम लीग के मध्य समझौते को लखनऊ समझौता भी कहा जाता है।


लखनऊ समझौते के कारण (Reasons for the Lucknow Pact)-

  • (A) लखनऊ समझौते में मुस्लिम लीग के कारण (Reasons of Muslim League in Lucknow Pact)

  • (B) लखनऊ समझौते में कांग्रेस के कारण (Reasons of Congress in Lucknow Pact)



    (A) लखनऊ समझौते में मुस्लिम लीग के कारण (Reasons of Muslim League in Lucknow Pact)-

    • लखनऊ समझाते में मुस्लिम लीग के समझौता करने के निम्न कारण थे।-
    • 1. बंगाल का विभाजन रद्द कर दिया गया था।
    • 2. अलीगढ़ कॉलेज (Aligarh College) को विश्वविद्यालय का दर्जा नहीं दिया गया था।
    • 3. मुस्लिम लीग में उदारवादियों (Liberals) की संख्या बढ़ गई थी। जैसे-
    • (I) मोहम्मद अली जिन्ना (Mohammad Ali Jinnah)
    • 4. कांग्रेस ने मुस्लिम लीग की पृथक निर्वाचन (Separate Electorate) की मांग को मान लिया था।
    • 5. प्रथम विश्व युद्ध में तुर्की ब्रिटेन के खिलाफ लड़ रहा था तथा अंग्रेज तुर्की के खलीफा (Khalifa) के पद का समाप्त करना चाहते थे इससे मुसलमानों में असंतोष था।


    (B) लखनऊ समझौते में कांग्रेस के कारण (Reasons of Congress in Lucknow Pact)-

    • लखनऊ समझौते में कांग्रेस के समझौता करने के निम्न कारण थे-
    • 1. कांग्रेस हिन्दू मुस्लिम एकता (Hindu Muslim Unity) को स्थापित करना चाहती थी ताकि राष्ट्रीय आंदोलन (National Movement) का सामाजिक आधार बढ़े।
    • 2. कांग्रेस राष्ट्रीय आंदोलन के धर्म निरपेक्ष स्वरुप (Secular Nature) को बनाये रखना चाहती थी।
    • 3. मुस्लिम लीग ने कांग्रेस की मांगे स्वीकार कर ली थी। जैसे-
    • (I) स्वराज (Swaraj)
    • (II) विधानपरिषदों का विस्तार (Expansion of Legislative Councils)


    लखनऊ समझौते के प्रभाव (Effects of Lucknow Pact)-

    • (A) लखनऊ समझौते के सकारात्मक प्रभाव (Positive Effects of Lucknow Pact)

    • (B) लखनऊ समझौते के नकारात्मक प्रभाव (Negative Effects of Lucknow Pact)


    (A) लखनऊ समझौते के सकारात्मक प्रभाव (Positive Effects of Lucknow Pact)-

    • 1. हिन्दू मुस्लिम एकता स्थापित होने से राष्ट्रीय आंदोलन का सामाजिक आधार बढ़ा।
    • 2. राष्ट्रीय आंदोलन का धर्म निरपेक्ष स्वरुप (Secular Nature) स्थापित हुआ।
    • 3. लखनऊ समझौते के कारण ब्रिटिश सरकार पर दबाव बना।


    (B) लखनऊ समझौते के नकारात्मक प्रभाव (Negative Effects of Lucknow Pact)-

    • 1. पृथक निर्वाचन (Separate Electorates) को स्वाकीर करने से द्विराष्ट्रवाद का सिद्धांत (Two Nation Theory) भी मान लिया गया जो आगे चलकर भारत के विभाजन का कारण बना।
    • 2. कांग्रेस ने मुस्लमानों का पृथक निर्वाचन स्वीकार कर लिया अतः अब 1919 ई. में सिखों (Sikh) व एंग्लों इंडियन (Anglo-Indian) को पृथक निर्वाचन दिया गया तो कांग्रेस इसका विरोध नहीं कर सकी।
    • 3. मुस्लिम लीग को अधिक महत्व देने से हिन्दू संगठनों को प्रतिक्रिया करने का मौका मिला तथा मदन मोहन मालवीय एवं लाला लाजपत राय ने इस समझोते का विरोध किया।
    • 4. हिन्दु-मुस्लिम एकता भी अल्प कालिक सिद्ध हुई जिसका कोई दीर्घकालीक लाभ नहीं हुआ।

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