भारत में क्रांतिकारी आंदोलन का दूसरा चरण (Second Phase of Revolutionary Movement in India)-
- 1. हिन्दूस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (Hindustan Republican Association- H.R.A.)
- 2. हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (Hindustan Socialist Republican Association- H.S.R.A)
- 3. इंडियन रिपब्लिकन आर्मी (Indian Republican Army- I.R.A.)
1. हिन्दूस्तान रिपब्लिक एसोसिएशन (Hindustan Republican Association- H.R.A.)-
- स्थापना- 1924 ई.
- स्थान- कानपुर
- हिन्दूस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक-
- 1. शचीन्द्र सान्याल (Shachindra Sanyal)-
- शचीन्द्र सान्याल की पुस्तकें- बंदी जीवन (Bandi Jeevan), वर्तमान रणनीति (Current Strategy)
- 2. भगवती चरण बोहरा (Bhagwati Charan Bohra)-
- भगवती चरण बोहरा की पुस्तक- द फिलोसोफी ऑफ बॉम्ब (The Philosophy of Bomb)
- 3. चन्द्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad)
- 4. राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil)
- 5. जोगेश चंद्र चटर्जी (Jogesh Chandra Chatterjee)
- 9 अगस्त, 1925 को काकोरी (UP) में सरकारी खजाने वाली 8 डाउन ट्रेन को लूट लिया गया।
- 1927 ई. में इस मुकदमें में 4 लोगों को फाँसी हुई जैसे-
- 1. राम प्रसाद बिस्मिल (Ram Prasad Bismil)
- 2. अशफाक उल्ला खाँ (Ashfaq Ullah Khan)
- 3. रोशन सिंह (Roshan Singh)
- 4. राजेन्द्र लाहिड़ी (Rajendra Lahiri)
- सरकारी रिकोर्ड के अनुसार भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के कारण फाँसी जी सजा पाने वाले पहले मुस्लिम अशफाक उल्ला खाँ है।
2. हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन (Hindustan Socialist Republican Association- H.S.R.A)-
- स्थापना- 1928 ई.
- स्थान- फिरोजशाह कोटला, दिल्ली (Ferozeshah Kotla, Delhi)
- हिन्दूस्तान सोशलिस्ट रिपब्लिकन एसोसिएशन के संस्थापक-
- (I) चन्द्रशेखर आजाद (Chandrashekhar Azad)
- (II) भगत सिंह (Bhagat Singh)
- (III) सुखदेव (Sukhdev)
- (IV) राजगुरु (Rajguru)
- 17 नवम्बर, 1928 को लाहौर में लाला लाजपत राय की मृत्यु हो गई।
- इसके प्रत्युतर में 17 दिसम्बर, 1928 को सांडर्स की हत्या कर दी गई।
- 8 अप्रैल, 1929 को भगतसिंह व बटुकेश्वर दत्त ने "पब्लिक सेफ्टी बिल" (Public Safety Bill) के विरोध में केंद्रीय विधानमंडल (Central Legislature) की खाली बेंच पर बम फेंके थे।
- क्रांतिकारियों ने जेल में भूख हड़ताल की।
- 64 दिन की भूख हड़ताल (Hunger Strike) के बाद जतिन दास शहीद हो गये।
- 23 मार्च, 1931 ई. को सांडर्स की हत्या के आरोप में भगतसिंह, राजगुरु व सुखदेव को फाँसी दे दी गई थी इसे "द्वितीय लाहौर षड्यंत्र केस" (Second Lahore Conspiracy Case) कहा जाता है।
- 27 फरवरी, 1931 ई. को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क (Alfred Park) में 'चंद्रशेखर आजाद' पुलिस मुठभेड़ में शहीद हो गये।
- भगत सिंह के संगठन (Organization of Bhagat Singh)-
- (I) नौजवान भारत सभा (Naujawan Bharat Sabha)- 1926, लाहौर
- (II) लाहौर छात्र संघ (Lahore Stundents Union)
- भगत सिंह की पुस्तक (Book of Bhagat Singh)- "मैं नास्तिक क्यों हूँ।" (Why I am an Atheist)
3. इंडियन रिपब्लिकन आर्मी (Indian Republican Army- I.R.A.)-
- संस्थापक- सूर्य सेन (Surya Sen)
- सूर्य सेन को मास्टरदा (Masterda) के नाम से जाना जाता था।
- सूर्य सेन चटगाँव के राष्ट्रीय विद्यालय (National School) में शिक्षक थे।
- सूर्य सेन ने 'विद्रोही संघ' (Rebel Union) की भी स्थापना की थी।
- सूर्य सेन के अन्य सहयोगी-
- (I) अनन्त सिंह
- (II) गणेश घोष
- (III) लोकीनाथ बाउले
- (IV) प्रीतिलता वाडेदर
- (V) कल्पना दत्त
- (VI) अम्बिका चक्रवर्ती
- (VII) निर्मल सेन
- 18 अप्रैल, 1930 को चटगाँव में शस्त्रागार पर हमला किया गया तथा वहाँ से हथियार प्राप्त किये।
- चटगाँव में सूर्य सेन के नेतृत्व में एक अंतरिम सरकार (Interim Government) का गठन किया गया।
- प्रीतिलता वाडेकर रेलवे कारखाने पर आक्रमण के दौरान शहीद हो गयी।
- 1934 ई. में सूर्य सेन को फाँसी दे दी गई।
- दूसरे चरण में महिला क्रांतिकारियों की भूमिका बढ़ी जैसे-
- (I) शांति घोष तथा सुनीति चौधरी नामक 2 स्कूली छात्राओं ने 14 दिसम्बर, 1931 ई. को कोमिल्ला (बंगाल) के जिलाधिकारी (District Magistrate) को गोली मार दी।
- (II) 6 फरवरी, 1932 को बीना दास ने दीक्षान्त समारोह (कलकत्ता) में गवर्नर को गोली मार दी।
भारत में क्रांतिकारी आंदोलन के दूसरे चरण का महत्व (Importance of Second Phase of Revolutionary Movement)-
- 1. व्यक्तिगत त्याग व बलिदान (Sacrifice) के उदाहरण से युवा राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ा।
- 2. निष्क्रियता के दौर में राष्ट्रीय आंदोलन (National Movement) को जारी रखा था।
- 3. राष्ट्रीय आंदोलन को धर्म-निरपेक्ष (Secular) स्वरुप प्रदान किया।
- 4. समाजवादी विचारधारा (Socialist Ideology) को लोकप्रिय बनाया जिससे राष्ट्रीय आंदोलन को एक नया आयाम (New Dimension) प्राप्त हुआ।
- 5. इन्होंने सम्पूर्ण क्रांति की बात की अर्थात् भारत को केवल राजनीतिक (Political) ही नहीं सामाजिक (Social) व आर्थिक (Economic) स्वतंत्रता भी प्राप्त होनी चाहिए।
- 6. इनके दबाव में अंग्रेजों को बराबरी का गाँधी-इरविन समझौता (Gandhi-Irwin Pact) करना पड़ा।
- 7. 1935 ई. का सुधार (Government of India Act, 1935) इन्हीं के दबाव का नतीजा था।
- 8. समाजावादी विचारधारा (Socialist Ideology) के कारण मजदूरों व किसानों में राजनैतिक चेतना (Political Consciousness) का विकास हुआ तथा वे बड़ी संख्या में 'सविनय अवज्ञा आंदोलन' (Civil Disobedience Movement) से जुड़े।