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भारत में साम्यवादी आंदोलन (Communist Movement in India)

भारत में साम्यवादी आंदोलन (Communist Movement in India)-

मानवेन्द्र नाथ रॉय (Manvendra Nath Roy- M.N. Roy)-

  • 1920 ई. में लेनिन की सलाह पर मानवेन्द्र नाथ रॉय ने ताशकंद में "भारतीय साम्यवादी दल" (Communist Party of India) की स्थापना की।
  • मानवेन्द्र नाथ रॉय स्टालिन (Stalin) के परामर्शदाता थे।
  • मानवेन्द्र नाथ रॉय "कम्युनिस्ट इंटरनेशनल" (Communist International) में भाग लेने वाले एकमात्र भारतीय थे।
  • मानवेन्द्र नाथ रॉय का समाचार पत्र- "वेनगार्ड ऑफ इंडियन इंडिपेंडेस" (Vanguard of Indian Independence)
  • कालांतर में वेन गार्ड ऑफ इंडियन इंडिपेंडेस समाचार पत्र का नाम बदलकर "एडवांस्ड गार्ड" (Advanced Guard) कर दिया गया था।
  • मानवेन्द्र नाथ रॉय की पुस्तक- "इंडिया इन ट्रांजिशन" (India in Transition)
  • मानवेन्द्र नाथ रॉय के सहयोगी-
  • 1. अवनी मुखर्जी
  • 2. रोजा फीटीग्राफ
  • 3. मुहम्मद अली
  • 4. मुहम्मद शफीक
  • 1940 ई. में इन्होंने "अतिवादी लोकतंत्रा दल" (Extremist Democracy Party) की स्थापना की।
  • 1925 ई. में सत्य भक्त ने कानपुर में "कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया" (Communist Party of India) की स्थापना की।
  • कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया के महासचिव एम.सी. घोट (Secretary General- M.C. Ghate) थे।


साम्यवादी मुकदमें (Communist Cases)-

    • 1. पेशावर षड्यंत्र केस (Peshawar Conspiracy Case)
    • 2. कानपुर षड्यंत्र केस (Kanpur Conspiracy Case)
    • 3. मेरठ षड्यंत्र केस (Meerut Conspiracy Case)


        1. पेशावर षड्यंत्र केस (Peshawar Conspiracy Case)-

        • समय- 1922 ई.

        • रूस से प्रशिक्षण (Training) प्राप्त करके आ रहे साम्यवादियों को पेशावर में गिरफ्तार कर लिया गया था।


        2. कानपुर षड्यंत्र केस (Kanpur Conspiracy Case)-

        • समय- 1924 ई.
        • भारत में साम्यवादी पार्टी की स्थापना का प्रयास कर रहे नेताओं को ब्रिटिश सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था।
        • साम्यवादी नेता-
        • (I) श्रीपाद अमृत डांगे (केंद्र- बॉम्ब, समाचार पत्र- द सोशलिस्ट)
        • (II) मुजफ्फर अहमद (केंद्र- बंगाल, समाचार पत्र- नवयुग)
        • (III) गुलाम हुसैन (केंद्र- पंजाब, समाचार पत्र- इन्कलाब)
        • (IV) सिंगार वेलु चेट्टियार (केंद्र- मद्रास, समाचार पत्र- लेबर किसान गजट)
        • (V) नलिनी सेनगुप्त
        • श्रीपाद अमृत डांगे का पर्चा (लेख) गाँधी बनाम लेनिन
        • मुजफ्फर अहमद व नजरूल इस्लाम दोनों ने बंगाल नामक समाचार पत्र निकाला।


        3. मेरठ षड्यंत्र केस (Meerut Conspiracy Case)-

        • समय- 1929 ई.
        • 'पब्लिक सेफ्टी बिल' (Public Safety Bill) के कानून बनने पर सरकार ने 32 साम्यवादी नेताओं को गिरफ्तार किया जिसमें 3 अंग्रेज थे। जैसे-
        • (I) फिलिप स्प्रेट
        • (II) वेन ब्रेडले
        • (III) लेस्टर हचिन्सन
        • इनका मुकदमा लड़ने वाले वकील कैलाश नाथ काटजू, जवाहर लाल नेहरू, एम.सी छागला. एच.एफ. अंसारी थे।
        • महात्मा गाँधी इन साम्यवादियों से मिलने मेरठ जेल गये थे।
        • अनेक अंतर्राष्ट्रीय विद्वानों ने भी मेरठ षड्यंत्र केस की आलोचना की। जैसे-
        • (I) अल्बर्ट आइंस्टीन
        • (II) रोमां रोला


        भारत में साम्यवादी आंदोलन के चरण (Phases of Communist Movement in India)-

          • 1. भारत में साम्यवादी आंदोलन का प्रथम चरण (First Phase of Communist Movement in India)
          • 2. भारत में साम्यवादी आंदोलन का द्वितीय चरण (Second Phase of Communist Movement in India)
          • 3. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन का तीसरा चरण (Third Phase of Communist Movement in India)
          • 4. भारत में साम्यवादी आंदोलन का चौथा चरण (Fourth Phase of Communist Movement in India)
          • 5. भारत में साम्यवादी आंदोलन का पाँचवा चरण (Fifth Phase  of Communist Movement in India)


          1. भारत में साम्यवादी आंदोलन का प्रथम चरण (First Phase of Communist Movement in India)-

          • समय- 1920-1929 ई.
          • भारत में साम्यवादी आंदोलन को लेकर दो विचारधाराएं थी जैसे-
          • (I) प्रथम विचारधारा लेनिन की थी जिसके अनुसार साम्यवादियों को भारत में अंग्रेजी सत्ता का विरोध करना चाहिए तथा राष्ट्रीय आंदोलन में भाग लेना चाहिए चूँकि राष्ट्रीय आंदोलन कांग्रेस पार्टी चला रही है अतः साम्यवादियों को कांग्रेस का साथ देना चाहिए।
          • (I) दूसरी विचारधारा एम.एन. रॉय की थी जिसके अनुसार साम्यवादियों को अंग्रेज व कांग्रेस दोनों का विरोध करना चाहिए क्योंकि कांग्रेस बुर्जुआ पार्टी है। तथा साम्यवादियों को अपनी अलग पहचान स्थापित करनी चाहिए।
          • भारत में साम्यवादी आंदोलन के प्रथम चरण में लेनिन की विचारधारा को अपनाया गया तथा साम्यवादियों ने कांग्रेस के साथ सहयोग कर अंग्रेजों का विरोध किया।
          • इसलिए जवाहर लाल नेहरू जैसे कांग्रेसी नेताओं ने साम्यवादियों का मुकदमा लड़ा व गाँधीजी साम्यवादियों से मिलने मेरठ जेल गये थे।


          2. भारत में साम्यवादी आंदोलन का द्वितीय चरण (Second Phase of Communist Movement in India)-

          • समय- 1929-1934 ई.
          • भारत में साम्यवादी आंदोलन के दूसरे चरण में एम.एन. रॉय की विचारधारा को अपनाया गया अतः अंग्रेजों के साथ-साथ कांग्रेस का भी विरोध किया गया।
          • इन्होंने जवाहर लाल नेहरू व सुभाष चंद्र बोस की आलोचना की तथा इन्हें 'पूंजीवाद का इजेंट' (Agents of Capitalism) बताया गया।
          • गाँधी-इरविन समझौते (Gandhi-Irwin Pact) को देश के साथ विश्वासघात बताया।
          • साम्यवादियों के अतिवादी रूख के कारण अंग्रेजों ने 1934 में साम्यवादी दलों पर प्रतिबंध लगा दिया।


          3. भारत में राष्ट्रीय आंदोलन का तीसरा चरण (Third Phase of Communist Movement in India)-

          • समय- 1934-1939 ई.
          • भारतीय साम्यवादियों ने दत्त-ब्रेडले सिद्धांत को अपना।
          • इसके अनुसार पॉपुलर फ्रन्ट थ्योरी के अंतर्गत इन्होंने कांग्रेस में शामिल होने की नीति बनाई तथा कांग्रेस की विचारधारा को साम्यवाद के अनुरूप बनाने का प्रयास किया।
          • कांग्रेस में इन्होंने जवाहर लाल नेहरू तथा सुभाष चंद्र बोस का समर्थन किया। जैसे-
          • (I) जवाहर लाल नेहरू को लखनऊ व फैजपुर अधिवेशन में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया।
          • (II) सुभाष चंद्र बोस को हरिपुरा व त्रिपुरी सम्मेलन में कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया।


          4. भारत में साम्यवादी आंदोलन का चौथा चरण (Fourth Phase of Communist Movement in India)-

          • समय- 1939-1945 ई.
          • दूसरे विश्व युद्ध के समय हिटलर ने रूस पर आक्रमण कर दिया अतः रूस, ब्रिटेन के पक्ष में आग गया था।
          • भारतीय साम्यवादियों ने अंग्रेजों का सहयोग किया तथा भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध किया।
          • ये विभिन्न मुकदमों में सरकारी गवाह बन गये थे।


          5. भारत में साम्यवादी आंदोलन का पाँचवा चरण (Fifth Phase  of Communist Movement in India)-

          • समय- 1945-1947 ई.
          • इस समय भारत की आजादी तय हो चुकी थी तथा विभाजन का प्रश्न बचा था।
          • साम्यवादियों ने कैबिनेट मिशन के सामने भारत को भाषा व संस्कृति के आधार पर 17 भागों में बांटने की बात कही।


          भारत में साम्यवादी आंदोलन का महत्व (Importance of Communist Movement in India)-

          • 1. किसानों व मजदूरों में राजनैतिक चेतना (Political Consciousness) का विकास हुआ।
          • 2. किसानों व मजदूरों के मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर महत्व प्राप्त हुआ।
          • 3. साम्यवादी आंदोलन में राष्ट्रीय आंदोलन के उन रिक्त स्थानों को भरा जहाँ कांग्रेस नहीं पहुँच पाई।
          • 4. इसके कारण भारत में विभिन्न किसान व मजदूर संगठनों (Peasant & Labour Organizations) की स्थापना हुई।
          • 5. किसान व मजदूर वर्ग में आई राजनैतिक चेतना से सविनय अवज्ञा आंदोलन (Civil Disobedience Movement) को लाभ प्राप्त हुआ।
          • 6. साम्यवादी विचारधारा से राष्ट्रीय आंदोलन को नया आयाम प्राप्त हुआ।
          • 7. राष्ट्रीय आंदोलन को धर्म-निरपेक्ष स्वरुप (Secularism) प्रदान किया।
          • 8. साम्यवादी विचारधारा से क्रांतिकारी आंदोलन को बल मिला।
          • 9. इन्होंने लगातार संघर्ष की नीति अपनाई थी।


          भारत में साम्यवादी आंदोलन की कमियां (Limitations of Communist Movement in India)-

          • 1. भारत में उद्योगों का विकास नहीं हुआ था अतः यहाँ शस्कत मजदूर वर्ग नहीं था तथा भारत के किसान अशिक्षित थे इसलिए भारत साम्यवादी परिस्थितियों के लिए अनुकूल नहीं था।
          • 2. शांतिप्रिय भारतीय समाज, हिंसा (Violence) के माध्यम से व्यवस्था परिवर्तन में विश्वास नहीं रखता था।
          • 3. साम्यवाद को भारतीय परिस्थितियों के अनुसार ढालने का प्रयास नहीं किया तथा भारतीय साम्यवादी सदैव रूस से प्रेरणा प्राप्त करते रहे।
          • 4. साम्यवादी आपस में संगठित नहीं थे तथा इनके पास प्रभावी नेतृत्व का अभाव था।
          • 5. भारतीय साम्यवादियों द्वारा गलत निर्णय लिये गये। जैसे-
          • (I) कांग्रेस का विरोध
          • (II) भारत छोड़ो आंदोलन का विरोध
          • (III) भारत के 17 विभाजन


          भारत में अन्य साम्यवादी दल (Other Communist Party in India)-

          • 1. क्रांतिकारी साम्यवादी दल (Revolutionary Communist Party)-
          • संस्थापक- सोमेन्द्र नाथ टैगोर
          • 2. भारतीय बोल्शेविक दल (Indian Bolshevik Party)-
          • संस्थापक- एन.डी. मजूमदार
          • 3. बोल्शेविक लेनिनिस्ट दल (Bolshevik Leninist Party)-
          • संस्थापक- अजीत रॉय व इन्द्रसेन


          कांग्रेस समाजवादी दल (Congress Socialist Party)-

          • स्थापना- 1934 ई., बॉम्बे
          • स्थान- बॉम्बे
          • यह कांग्रेस में एक दबाव समूह था।
          • उद्देश्य (Objects)-
          • 1. कांग्रेस में 'समाजवाद' (Socialism) को लोकप्रिय बनाया।
          • 2. युवाओं को 'साम्यवाद' (Communism) की तरफ जाने से रोकना।
          • 3. युवाओं को कांग्रेस में साम्यवाद का विकल्प उपलब्ध करवाना।
          • मुख्य नेता (Main Leaders)-
          • 1. जय प्रकाश नारायण-
          • पुस्तक- समाजवाद क्यों (Why Socialism?)
          • 2. राम मनोहर लोहिया-
          • पुस्तक- भारत विभाजन के गुनहगार (Bharat Vibhajan Ke Gunahgar)
          • 3. आचार्य नरेन्द्र देव-
          • पुस्तक- समाजवाद और राष्ट्रीय आंदोलन (Socialism and National Movement)
          • 4. अच्युत पटवर्धन
          • 5. अशोक मेहता
          • 6. कमला देवी चट्टोपाध्याय

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