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आर्द्रभूमि (Wetland)

आर्द्रभूमि या नमभूमि (Wetland)-

  • नम भूमि क्षेत्र जलीय तथा स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के मध्य संक्रमण क्षेत्र होते हैं जो स्थायी या अस्थायी रूप से जल संतृप्त रहते हैं।
  • नम भूमि क्षेत्रों में झील का किनारा, नदी के किनारे वाले क्षेत्र तथा समुद्र तटीय क्षेत्रों को शामिल किया जाता है।
  • नमभूमि क्षेत्रों में जल की उपलब्धता अधिक होती है अतः यहाँ पर विभिन्न प्रकार की प्रजातियां पायी जाती है।
  • नमभूमि क्षेत्रों में मैंग्रोव वनस्पति (Mangrove Vegetation) विशेष रूप से पायी जाती है जिनमें न्यूमेटोफोर जड़े (Pneumatophore Roots) होती है।


आर्द्रभूमि परिभाषा (Definition of Wetland)-

  • दलदल (Marsh), पंकभूमि (Fen), पीटभूमि (Peatland) जो की कृषिम (Artificial) या प्राकृतिक (Natural), स्थायी (Permanent) या अस्थायी (Temporary), स्थिर या गतिमान जल तथा ताजा (Fresh), खारा (Brackish) या लवणीय (Salt) जल के कारण बनती है आर्द्रभूमि कहलाती है।
  • नमभूमि क्षेत्रों में ऐसे सागरीय क्षेत्र भी आते है जिनकी गरहाई निम्न ज्वार के समय 6 मीटर से अधिक नहीं होती है।


आर्द्रभूमि क्षेत्रों का महत्व (Importance of Wetland)-

  • इन क्षेत्रों में विभिन्न प्रकार की प्रजातियों का विकास होने के कारण यहाँ की जैव विविधता अधिक होती है।
  • ये क्षेत्र पक्षी प्रजातियों को के लिए विशेष रूप से अनुकूलित होते हैं तथा प्रवासी पक्षीयों को आकृषित करते हैं।
  • नमभूमि क्षेत्रों में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती है जिसके कारण यहाँ की उत्पादकता भी अधिक होती है।
  • ये क्षेत्र जलीय तथा स्थलीय पारिस्थितिकी तंत्रों के मध्य बफर जोन (Buffer Zone) का निर्माण करते हैं जिसके कारण बाढ़ एवं मृदा अपरदन की तीव्रता कम हो जाती है।
  • इनसे स्थानीय लोगों को खाद्य पदार्थ, ईंधन तथा अन्य संसाधन प्राप्त होते हैं।
  • पर्यटन की दृष्टि से ये स्थल महत्वपूर्ण होते हैं जिसके कारण आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा मिलता है।
  • नम भूमि क्षेत्र भू-जल पुनर्भरण तथा पोषक तत्वों के पुनः चक्रण में सहायक होते हैं।


आर्द्रभूमि क्षेत्रों को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Affecting for Wetland Area)-

  • (I) स्थानीय समुदायों द्वारा नमभूमि क्षेत्रों को कृषि भूमि में परिवर्तित किया जा रहा है।
  • (II) उद्योगों तथा शहरी क्षेत्रों से आने वाले प्रदूषक इन्हें नकारात्मक रूप से प्रभावित कर रहे है।
  • (III) इन क्षेत्रों में सुपोषण जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही है।
  • (IV) इनके संसाधनों का अत्यधिक दोहन किया जा रहा है।
  • (V) जलवायु परिवर्तन के कारण ये प्रभावित हो रहे है।


आर्द्रभूमि क्षेत्रों का संरक्षण (Conservation of Wetland)-

    • 1. रामसर अभिसमय (Ramsar Convention)- 1971


    1. रामसर अभिसमय (Ramsar Convention)- 1971

    • नम भूमि क्षेत्रों के संरक्षण तथा सतत उपयोग के लिए 2 फरवरी 1971 को ईरान के रामसर शहर में अन्तर्राष्ट्रीय समझौता किया गया था इसलिए 2 फरवरी को विश्व नम भूमि दिवस (World Wetland Day) के रूप में मनाया जाता है।
    • इसका मुख्यालय ग्लैण्ड, स्वीट्जरलैण्ड (Gland, Switzerland)
    • रामसर समझौते के सदस्य देशों के तीन प्रमुख दायित्व तय किये गये है। जैसे-
    • (I) नम भूमियों का यथा सम्भव सतत उपयोग करना।
    • (II) आर्द्रभूमियों में अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि की सूची (रामसर सूची) में अपने देश की आर्द्रभूमियों को शामिल करना।
    • (III) अन्तर्राष्ट्रीय सीमाओं पर स्थित आर्द्रभूमियों, साझा जल व्यवस्थाओं तथा साझा प्रजातियों के संरक्षण में अन्तर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
    • भारत 1 फरवरी 1982 को रामसर अभिसमय का हिस्सा बना तथा चिलका झील (ओडिशा) भारत का पहला रामसर स्थल घोषित किया गया।
    • वर्तमान में विश्व में कुल लगभग 2500 रामसर स्थल है।
    • वर्तमान में भारत में कुल 75 रामसर स्थल है। (राजस्थान में 2 )
    • वर्तमान में राजस्थान में कुल 2 रामसर स्थल है। जैसे-
    • (I) सांभर (जयपुर)
    • (II) केवलादेव (Keoladeo), भरतपुर


    मॉट्रेक्स रिकार्ड (Montreux Record)-

    • यह उन नम भूमि या आर्द्रभूमि क्षेत्रों का रजिस्टर है जिसमें अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की नम भूमियों का शामिल किया गया है जहाँ तकनीकी विकास, प्रदूषण या मानवीय हस्तक्षेप के कारण वहाँ के पर्यावरण में अत्यधिक परिवर्तन हो जाता है।
    • वर्तमान में भारत के दो रामसर स्थलों को मॉट्रेक्स रिकार्ड में शामिल किया गया है। जैसे-
    • (I) केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान (Keoladeo National Park)- राजस्थान को सन् 1990 में शामिल किया गया।
    • (II) लोकटक झील (Loktak Lake)- मणिपुर को सन् 1993 में शामिल किया गया।
    • ओडिशा की चिल्का झील (Chilika Lake) को सन् 1993 में मॉट्रेक्स रिकार्ड में शामिल किया गया था लेकिन सन् 2002 में चिल्का झील को मॉट्रेक्स रिकार्ड से बाहर कर दिया गया है।

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