भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (Comptroller and Auditor General of India- CAG)-
- CAG Full Form = Comptroller and Auditor General of India
- CAG का पूरा नाम = भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक
- प्रावधान- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 148-151 तक किया गया है।
- भारत में नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ब्रिटेन की देन है।
- ब्रिटिश सरकार द्वारा भारत में "Indian Audit and Account" विभाग की स्थापना की गई थी।
- इस विभाग पर नियुक्त अधिकारी महालेखाकार (Auditor General) कहलाता था जिसकी नियुक्ति भारत सचिव द्वारा की जाती थी।
- 1858 में सर एडवर्ड ड्रमंड को भारत का पहला महालेखाकार बनाया गया।
- महालेखाकार का कार्यकाल ब्रिटिश सम्राट के प्रसाद पर्यन्त था।
- 1884 में महालेखाकार पद का नाम बदलकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) कर दिया गया।
- 1935 के भारत शासन अधिनियम में ब्रिटिश क्राउन द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) व राज्य स्तर पर महालेखाध्यक्ष (Accountant General) नियुक्ति किया गया।
- 1950 में संविधान लागू होने पर भारत में केवल CAG का पद रखा गया।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक एक सदस्यीय आयोग है।
अनुच्छेद- 148
- अनुच्छेद 148 में आयोग की संरचना का उल्लेख किया गया है। जैसे- यह एक सदस्यी आयोग है।
नियुक्ति (Appointment)-
- अनुच्छेद 148 (1) के अनुसार CAG की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा की जाती है।
कार्यकाल (Tenure)-
- अनुच्छेद 148 (1) के अनुसार CAG का कार्यकाल 6 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।
त्यागपत्र (Resignation Letter)-
- अनुच्छेद 148 (1) के अनुसार CAG अपना त्यागपत्र राष्ट्रपति को देता है।
निष्कासन प्रक्रिया या पद से हटाने की प्रक्रिया (Removal Process)-
- अनुच्छेद 148 (1) के अनुसार CAG को पद से हटाने की प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान है।
शपथ (Oath)-
- अनुच्छेद 148 (2) के अनुसार CAG को शपथ तीसरी अनुसूची के अनुसार राष्ट्रपति द्वारा दिलाई जाती है।
वेतन एवं सेवा शर्तें-
- अनुच्छेद 148 (3) के अनुसार CAG के वेतन व सेवा शर्तों का निर्धारण संसद द्वारा दूसरी अनुसूची के अनुसार तय किया जाता है। (वेतन दूसरी अनुसूचनी में लिखा गया है।)
- CAG का वेतन सर्वोच्च न्यायालय के न्यायधीश के समान है।
- CAG का वर्तमान वेतन 2.5 लाख रुपये है।
- CAG का वेतन भारत की संचित निधि पर भारीत है।
अनुच्छेद 148 (4)-
- अनुच्छेद 148 (4) के अनुसार CAG सेवानिवृति के बाद केंद्र सरकार व राज्य सरकार के अधीन किसी पद का पात्र नहीं होगा।
अनुच्छेद 148 (5)-
- अनुच्छेद 148 (5) के अनुसार लेखा परीक्षक व लेखा विभाग के कर्मचारियों की सेवा शर्तों का निर्धारण CAG की सलाह से राष्ट्रपति तय करेगा।
अनुच्छेद 148 (6)-
- अनुच्छेद 148 (6) के अनुसार CAG कार्यालय के प्रशासनिक व्यय भारत की संचित निधि पर भारीत है।
अनुच्छेद 149-
- अनुच्छेद 149 में CAG के कार्य एवं शक्तियों का उल्लेख किया गया है।
- अनुच्छेद 149 के अनुसार केंद्र व राज्यों के लेखों के रखरखाव एवं व्यवस्थित करने के लिए संसद कानून बनाएं।
- वर्ष 1971 में संसद ने CAG के कार्य एवं शक्तियों को लेकर कानून बनाया जिसमें 1976 में संशोधन किया गया तथा लेखांकन व लेखा परीक्षण को पृथक किया गया।
CAG कार्य (Function of CAG)-
- केंद्र व राज्यों के खर्चों का लेखा परीक्षण करना।
- भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India- CFI) के खर्चों का लेखा परीक्षण करना।
- केंद्र की आकस्मिक निधि (Contingency Fund- CF) के खर्चों का लेखा परीक्षण करना।
- केंद्र की लोक भविष्य निधि (Public Provident Fund- PPF) के खर्चों का लेखा परीक्षण करना।
- राज्य की संचित निधि (Consolidated Fund) के खर्चों का लेखा परीक्षण करना।
- सरकारी निगमों एवं कंपनियों के के खर्चों का परीक्षण करना।
- राष्ट्रपति या राज्यपाल के आग्रह से स्थानीय निकायों का लेखा परीक्षण भी किया जा सकता है।।
- केंद्र व राज्य सरकारों के सभी विभागों के खातों का लेखा परीक्षण करना।
- केंद्र व राज्य सरकारों की आय व्यय का लेखा परीक्षण करना।
- केंद्र व राज्य सरकार के लेखा प्रपत्र विवरण को लेकर राष्ट्रपति को सलाह देना है।
- लोकसेवा समिति को सहयोग प्रदान करना है इसलिए उसे दिशा निर्देशक, मित्र एवं दार्शनिक कहा जाता है।
- लेखों का प्रारूप कैसा होना चाहिए इसकी सलाह सरकार को देना।
- केंद्र के लेखों का विवरण या लेखा परीक्षण की रिपोर्ट राष्ट्रपति को सौंपता है तथा राष्ट्रपति उसे संसद के समक्ष रखता है।
- राज्य के लेखा परीक्षण की रिपोर्ट राज्यपाल को सौंपता है तथा राज्यपाल उसे विधानमंड के समक्ष रखता है।
अनुच्छेद 150-
- अनुच्छेद 150 के अनुसार CAG द्वारा केंद्र व राज्यों के लेखों का प्रारूप तैयार करना।
अनुच्छेद 151-
- अनुच्छेद 151 के अनुसार नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक केंद्र सरकार का वार्षिक प्रतिवेदन राष्ट्रपति को व राज्य सरकार का वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को देता है।
- राष्ट्रपति वार्षिक प्रतिवेदन को केंद्रीय वित्तमंत्री के माध्यम से संसद में रखवाता है।
- राज्यपाल वार्षिक प्रतिवेदन को राज्य वित्तमंत्री के माध्यम से विधानमंडल में रखवाता है।
CAG द्वारा दो प्रकार की रिपोर्ट बनायी जाती है। जैसे-
- (I) सरकारी खर्चों की अलग रिपोर्ट- यह रिपोर्ट लोक लेखा समिति (PAC- public Account Committee) में पेश की जाती है तथा लोक लेखा समिति ही इसकी जाँच करती है।)
- (II) सरकार की सरकारी कंपनियों की (PSU) खर्चे की रिपोर्ट अलग- यह रिपोर्ट P.U.C लोक उपक्रम समिति में रखी जाती है तथा लोक उपक्रम समिति ही इसकी जाँच करती है।)
- उपर्युक्त दोनों प्रकार की रिपोर्ट पहले राष्ट्रपति के पास जाती है बाद में राष्ट्रपति इनको संसद में पेश करने के लिए भेजता है।
वर्तमान नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक-
- श्री गिरीश चंद्र मुर्मू- वर्तमान CAG (कार्यकाल 8 अगस्त 2020 से जारी)
- CAG से पूर्व श्री गिरीश चंद्र मुर्मू जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल थे।
अन्य महत्वपूर्ण तथ्य (Other Important Facts)-
- भारत का पहला नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक वी. नरहरि राव है। (कार्यकाल 1948 से 1954 तक)
- भारत का वर्तमान नियंत्रक एवं महालेख परीक्षक गिरीश चन्द्र मुर्मू है।
- नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक को सार्वजनिक वित्त का सजग प्रहरी (Watchdog) कहा जाता है।
- CAG को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के समान दर्जा प्रदान किया गया है।
- आलोचक कभी-कभी CAG को जागरुक पहरेदार (सजग प्रहरी) के स्थान पर रक्त पिपाशु शिकारी कुत्ता कहते हैं जो सरकारी अधिकारियों की टाँग को पकड़ लेता है उन्हें नहीं बढ़ने देता है।
- पॉल एच. एपल्बी ने CAG की कटु आलोचना की और इसके कार्यों को औपनिवेशिक विरासत कहा था।
- CAG के पद पर सामान्यतः भारतीय प्रशासनिक सेवा या भारतीय लेखा सेवा के अधिकारी की नियुक्ति की जाती है।
महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-