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केंद्रीय सूचना आयोग (CIC)

केंद्रीय सूचना आयोग (Central Information Commission- CIC)-

  • स्थापना- 12 अक्टूबर, 2005
  • यह एक सांविधिक या वैधानिक आयोग (Statutory Commission) है।
  • यह उच्च सत्तायुक्त स्वतंत्र निकाय है।
  • आयोग की स्थापना सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 (1) के अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा की गई है।


उद्देश्य (Objective)-

  • भारत के नागरिको को सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत अवधारित सूचना के नागरिक सापेक्ष दृष्टिकोण के द्वारा निर्बाध तथा सुगम्य पहुँच सुनिश्चित करना।


संरचना (Structure)-

  • आयोग की संरचना का उल्लेख सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 (2) में किया गया है।
  • आयोग में कुल 11 सदस्य होते हैं। जैसे-
  • (I) मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner- CIC)- 1
  • (II) केंद्रीय सूचना आयुक्त (Central Information Commissioner)- 10


नियुक्ति (Appointment)-

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 (3) के तहत आयोग के सदस्यों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा एक चयन समिति की सिफारिश पर की जाती है जिसमें कुल 3 सदस्य होते हैं। जैसे-
  • (I) प्रधानमंत्री- अध्यक्ष
  • (II) लोकसभा में विपक्ष का नेता
  • (III) कैबिनेट मंत्री (प्रधानमंत्री द्वारा नामनिर्दिष्ट संघ का एक मंत्री अर्थात् केंद्रीय मंत्रिमंडल से प्रधानमंत्री द्वारा निर्दिष्ट एक सदस्य)


शपथ (Oath)-

  • आयोग के सदस्य को शपथ राष्ट्रपति द्वारा दिलायी जाती है।


कार्यकाल (Tenure)-

  • वर्तमान में आयोग के सदस्यों का कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है जो की 2019 में संशोधन कर किया गया है।

  • वर्तमान में आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष है।

  • पहले आयोग के सदस्यों का कार्यकाल 5 वर्ष या 65 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।
  • विशेष- राज्य सूचना आयोग में भी कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है।


वेतन (Salary)-

  • वेतन व भत्ते का निर्धारण केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है जो की 2019 में संशोधन कर किया गया है।
  • वर्तमान में मुख्य सूचना आयुक्त का वेतन 2.50 लाख रुपये प्रतिमाह है।
  • वर्तमान में अन्य सूचना आयुक्त का वेतन 2.25 लाख रुपये प्रतिमाह है।
  • पहले आयोग के सदस्यों को वेतन निर्वाचन आयोग के सदस्यों का समान मिलती थी।


योग्यता (Qualification)-

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 (5) के तहत मुख्य सूचना आयुक्त व सूचना आयुक्त विधि, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, समाज सेवा, प्रबंध, पत्रकारिता, जनसंपर्क माध्यम या प्रशासन तथा शासन का व्यापक ज्ञान और अनुभव रखने वाले जन जीवन में प्रख्यात व्यक्ति होंगे।


अयोग्यता (Disqualification)-

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 12 (6) के तहत निम्नलिखित आयोग के सदस्य नहीं बन सकते हैं।-
  • (I) संसद का सदस्य (MP)
  • (II) विधानमंडल का सदस्य (MLA/MLC)
  • (III) जो लाभ के पद पर हो।


निष्कासन प्रक्रिया या पद से हटाने की प्रक्रिया (Removal Process)-

  • आयोग के सदस्यों को पट से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 14 में किया गया है।
  • आयोग के सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा हटाया जाता है।
  • आयोग के सदस्यों को हटाने का आधार-
  • (I) सिद्ध कदाचार व अक्षमता के आधार पर सर्वोच्च न्यायालय की जाँच के पश्चात राष्ट्रपति द्वारा पद से हटाया जाता है।
  • (II) अन्य आधार पर राष्ट्रपति द्वारा बिना किसी जाँच के हटाया जा सकता है। जैसे-
  • (A) दिवालिया घोषित होने पर।
  • (B) अपराध में दोषसिद्ध जो राष्ट्रपति की नजर में नैतिक अक्षमता होने पर।
  • (C) कर्तव्य से परे अन्य लाभ का पद प्राप्त करने पर।
  • (D) शारिरिक या मानसिक रूप से अक्षम होने पर।
  • (E) ऐसा लाभ का पद धारण करने पर जिससे कार्य या निष्पक्षता प्रभावित हो।


पुनर्नियुक्ति (Reappointment)-

  • आयोग के सदस्यों को आयोग में पुनिर्नियुक्ति नहीं की जा सकता है।


आयोग का कार्य (Functions of CIC)-

  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 18 के तहत किसी भी नागरिक से शिकायत प्राप्त करना एवं उसकी जाँच करना। जैसे-
  • (I) यदि किसी व्यक्ति द्वारा मांगी गई जानकारी देने से मना कर दिया हो।
  • (II) निर्धारित समय में जानकारी नहीं दी हो।
  • (III) जानकारी देने के लिए ज्यादा शुल्क लिया हो।
  • (IV) दी गई सूचना झूठी या भ्रामक हो।
  • (V) यदि कार्यालय में जन सूचना अधिकारी की नियुक्ति न हो जिसके कारण सूचना प्रदान करने में विभाग या कार्यालय असमर्थ रहा हो।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 19 एवं RTI नियमावली 2012 के तहत किसी भी नागरिक से द्वितीय अपील प्राप्त करना एवं उसका निर्णय करना।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 की धारा 25 के तहत "मॉनिटर करना और रिपोर्ट करना" के कर्तव्य का पालन करना।
  • सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत केंद्रीय सूचना आयोग को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करना।
  • किसी भी मामलें में ठोस आधार पर आयोग द्वारा स्वः प्रेरणा से जाँच करना।
  • आयोग सिलिव न्यायालय की शक्तियों का प्रयोग कर सकता है। जैसे-
  • (I) समन जारी करना एवं उपस्थित होने के लिए दबाव बनाना।
  • (II) किसी न्यायालय या कार्यालय से सार्वजनिक दस्तावेज को मांगना।
  • (III) शपथ पत्र के रूप में साक्ष्य प्राप्त करना।
  • (IV) कार्यालय से दस्तावेज माँगना एवं उनकी जाँच करना।
  • (V) दस्तावेज प्रस्तुत करने एवं गवाह की उपस्थिति के लिए समन जारी करना।
  • केंद्र व केंद्र शासित प्रदेशों के अधीन कार्यालयों, वित्तीय संस्थाओं, सार्वजनिक उपक्रमों की शिकायतों एवं अपीलों की सुनवाई करना।


वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Report)-

  • आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन केंद्र सरकार को सौंपता है।


मुख्यालय (Headquarter)-

  • आयोग का वर्तमान मुख्यालय दिल्ली में स्थित है।

  • आयोग केंद्र सरकार की अनुमति से अपना मुख्यालय भारत में अन्य किसी स्थान पर भी स्थापित कर सकता है।


केंद्रीय सूचना आयोग के वर्तमान मुख्य सूचना आयुक्त व अन्य सूचना आयुक्त-

  • 1. श्री वाई के सिन्हा- मुख्य सूचना आयुक्त
  • 2. सुश्री सरोज पुनहानी- सूचना आयुक्त
  • 3. श्री उदय माहुरकर- सूचना आयुक्त
  • 4. श्री सुरेश चन्द्र- सूचना आयुक्त
  • 5. श्री हीरालाल सामरिया- सूचना आयुक्त


अन्य तथ्य (Other Facts)-

  • स्वीडन विश्व का पहला देश है जिसने सूचना का अधिकार अपनाया है।
  • स्वीडन में सूचना का अधिकार 1766 में अपना गया था।
  • भारत में सर्वोच्च न्यायालय ने 1982 में एस.पी. गुप्ता बनाम भारत संघ मामले में पहली बार कहा था की भारत सरकार को पारदर्शिता के लिए सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) लाना चाहिए।
  • भारत में RTI की माँग 6 अप्रैल 1995 को अरुणा रॉय के नेतृत्व में संचालित मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKSS) के आदोलन में की गई थी।
  • भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम में मजदूर किसान शक्ति संगठन का महत्वपूर्ण योगदान था।
  • 2005 से पूर्व भारत में 7 राज्य व केंद्रशासित प्रदेश सूचना का अधिकार (RTI) अपना चुके थे।
  • भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) सर्वप्रथम 1996-97 में तमिलनाडु में लाया गया था।
  • भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम लाने वाला दूसरा राज्य गोवा है जिसमें 1997 में लाया गया था।
  • भारत में सूचना का अधिकार अधिनियम लाने वाला तीसरा राज्य राजस्थान है जिसमें 2000 में लाया गया था।
  • राजस्थान में सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI Act) 26 जनवरी, 2001 में लागू किया गया था।
  • भारत का मुख्य न्यायाधीश (CJI) का कार्यालय भी सूचना के अधिकार (RTI) के दायरे में शामिल है।
  • सूचना के अधिकार (RTI) के तहत (Public Information Officer- PIO) के द्वारा सूचना उपलब्ध करवायी जाती है।
  • राज्य सरकार के किसी विभाग के (PIO) द्वारा सूचना उपलब्ध ना करवाने या गलत या भ्रामक जानकारी देने पर उसके खिलाफ शिकायत राज्य सूचना आयोग में की जाती है।
  • केंद्र सरकार के किसी विभाग के (PIO) द्वारा सूचना उपलब्ध ना करवाने या गलत या भ्रामक जानकारी देने पर उसके खिलाफ शिकायत राष्ट्रीय सूचना आयोग में की जाती है।
  • PIO के खिलाफ शिकायत के आधार-
  • (I) सूचना उपलब्ध ना करवाने पर
  • (II) गलत या भ्रामक सूचना उपलब्ध करवाने पर
  • (III) अधिक जानकारी उपलब्ध करवाने पर
  • (IV) तय समय में सूचना उपलब्ध ना करवाने पर
  • (V) अधिक रुपये लेने पर
  • भारत के पहले केंद्रीय सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह थे।
  • भारत के सर्वाधिक कार्यकाल वाले सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्लाह थे।
  • वर्तमान में भारत के सूचना आयुक्त श्री यशवर्धन कुमार सिन्हा (श्री वाई के सिन्हा) हैं।


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