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प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश (Peninsular Plateau Region)

प्रायद्वीपीय पठारी प्रदेश (Peninsular Plateau Region)-

  • यह भारत का सबसे बड़ा एवं पूराना भौतिक प्रदेश है।
  • यह प्रदेश 16 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
  • यह गोंडवानालैण्ड का भाग है।
  • यह शील्ड (Shield) का उदाहरण है अतः यह भारत का सबसे खनिज सम्पन्न क्षेत्र है।
  • यह प्रदेश विवर्तनिक (Tectonically) दृष्टि से स्थित है।
  • इस प्रदेश की ऊँचाई लगभग 600 से 900 मीटर है।
  • इस क्षेत्र में बहुत से पर्वत, पहाड़ियां एवं पठार सम्मिलित है।


मध्यवर्ती उच्चभूमि (Central Highland)-

  • अरावली तथा विंध्याचल श्रेणी के बीच स्थित पठारी क्षेत्र को मध्यवर्ती उच्चभूमि कहते हैं।
  • मध्यवर्ती उच्चभूमि में 4 प्रमुख पठार सम्मिलित है। जैसे-
  • 1. मेवाड़ का पठार (Mewar Plateau)
  • 2. मध्य भारत का पठार (Madhya Bharat Plateau)
  • 3. बुंदेलखण्ड का पठार (Bundelkhand Plateau)

  • 4. मालवा का पठार (Malwa Plateau)


प्रायद्वीपीय प्रदेश के पठार (Plateau of Peninsular Region)-

  • 1. मेवाड़ का पठार (Mewar Plateau)
  • 2. मध्य भारत का पठार (Madhya Bharat Plateau)
  • 3. बुंदेलखण्ड का पठार (Bundelkhand Plateau)
  • 4. मालवा का पठार (Malwa Plateau)
  • 5. बघेलखण्ड का पठार (Baghelkhand Plateau)
  • 6. छोटा नागपुर का पठार (Chota Nagpur Plateau)
  • 7. मेघालय का पठार (Meghalaya Plateau)
  • 8. करबीआंगलोंग का पठार (Karbi Anglong Plateau)
  • 9. दण्डकारण्य का पठार (Dandakaranya Plateau)
  • 10. दक्कन का पठार (Decan Plateau)


1. मेवाड़ का पठार (Mewar Plateau)-

  • यह पठार राजस्थान में अरावली पर्वत के पूर्व में स्थित है।
  • इस पठार पर बनास नदी बहती है।
  • इस पठार का ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।


2. मध्य भारत का पठार (Madhya Bharat Plateau)-

  • यह पठार उत्तर-पश्चिमी मध्य प्रदेश में स्थित है।

  • इस पठार पर चम्बल नदी बहती है तथा बीहड़ का निर्माण करती है।


3. बुंदेलखण्ड का पठार (Bundelkhand Plateau)-

  • यह पठार उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में स्थित है।
  • इस पठार पर अर्द्धशुष्क परिस्थितिया पायी जाती है।
  • बेतवा तथा केन नदियां इस पठार पर बहती है।
  • ये नदियां यहाँ गरही घाटियां एवं जलप्रपात का निर्माण करती है।


4. मालवा का पठार (Malwa Plateau)-

  • यह लावा से निर्मित त्रिभुजाकार पठार है।
  • यह पठार मध्य प्रदेश में स्थित है।
  • इस पठार पर काली मृदा पायी जाती है जो कपास की खेती के लिए उपयोगी होती है।
  • सिगार टॉप (Sigar Top) इस पठार की सर्वोच्च चोटी है।
  • इस पठार पर चम्बल, कालीसिंध, पार्वती, शिप्रा नदियां बहती है।
  • शिप्रा नदी के किनार मध्य प्रदेश का उज्जैन शहर स्थित है।
  • इस पठार पर मध्य प्रदेश के इंदौर तथा भोपाल शहर भी स्थित है।
  • इस पठार से कर्क रेखा गुजरती है।


5. बघेलखण्ड का पठार (Baghelkhand Plateau)-

  • यह पठार मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में स्थित है।

  • इस पठारी क्षेत्र में विंध्याचल तथा सतपुरा श्रेणियां मिलती है।
  • यह पठार सोन तथा महा नदी के अपवाह तंत्र को अलग करता है।


6. छोटा नागपुर का पठार (Chota Nagpur Plateau)-

  • यह पठार झारखंड, बिहार, पश्चिम बंगाल, ओडिशा तथा छत्तीसगढ़ में स्थित है।
  • इस पठार की औसत ऊँचाई 700 मीटर है।
  • इस पठार की सर्वोच्च चोटी पारसनाथ है।
  • पारसनाथ को सम्मेद शिखर भी कहते हैं।
  • पारसनाथ एक प्रमुख जैन धार्मिक स्थल है।
  • यह भारत का सबसे खनिज सम्पन्न पठार है।
  • यहाँ धात्विक, अधात्विक एवं ऊर्जा खनिज पाये जाते हैं।
  • इस पठार पर मुंडा तथा संथाल जनजातीयां निवास करती है।
  • इस पठार का कुछ भाग वनाच्छादित है।
  • इस पठार से बहुत सी नदियों का उद्गम होता है। जैसे- बराकर, दामोदर, स्वर्ण रेखा, उत्तरी कोयल, दक्षिणी कोयल, शंख आदि।
  • दामोदर घाटी क्षेत्र में बिटुमिनस कोयला पाया जाता है।
  • दामोदर नदी इस पठार को दो भागों में विभाजित करती है। जैसे-
  • (I) इस पठार का उत्तरी भाग कोडरमा एवं हजारीबाग कहलाता है।
  • (II) इस पठार का दक्षिणी भाग रांची का पठार कहलाता है।
  • इस पठार का पश्चिमी भाग लावा से ढका पाट क्षेत्र है।
  • पाट क्षेत्र का सबसे ऊंचा पाट नेतरहाट पाट है।
  • नेतरहाट पाट को छोटानागरपुर की रानी कहते हैं।
  • छोटा नागरपुर का पठार अग्रगंभीर (Escarpment) का उदाहरण है तथा रांची का पठार समप्राय मैदान (Peneplain) का उदाहरण है।
  • अग्रगंभीर- तीव्र ढाल


7. मेघालय का पठार (Meghalaya Plateau)-

  • मेघालय पठार छोटा नागरपुर पठार का ही भाग मान जाता है।
  • दोनों पठार मालदा भ्रंश (Malda Fault) द्वारा अलग हो गये।
  • इन पठारों के बीच राजमहल-गारो गेंप (Rajmahal-Garo-Gap) स्थित है।
  • मेघालय पठार पर गारो (Garo), खासी (Khasi), जैनतियां (Jaintia) पहाड़ियां स्थित है।
  • गारो पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी नोरकेक (Nokrek) है।
  • खासी पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी शिलौंग (Shillong) है।
  • जैनतिया पहाड़ियों की सबसे ऊंची चोटी मरंगक्षी (Marangkshi) है।
  • नोकरेक एक जैव आरक्षित क्षेत्र है।
  • शिलौंग मेघालय पठार की सर्वोच्च चोटी है।
  • इस पठार पर लौह अयस्क (Iron Ore), कोयले (Coal) एवं यूरेनियम (Uranium) के भंडार पाये जाते हैं।
  • खासी पहाड़ियों में मॉसिनराम तथा चेरापूंजी नामक स्थान स्थित है जहाँ विश्व की सर्वाधिक औसत वार्षिक वर्षा प्राप्त होती है।


8. करबीआंगलोंग का पठार (Karbi Anglong Plateau)-

  • यह असम में स्थित पठार है।

  • इस पठार पर मिकिर तथा रेंगमा पहाड़ियां स्थित है।


9. दण्डकारण्य का पठार (Dandakaranya Plateau)-

  • यह पठार छत्तीसगढ़, ओडिशा, तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में स्थित है।
  • दण्डकारण्य पठार को छत्तीसगढ़ में बस्तर का पठार कहते हैं।
  • बस्तर का पठार लौह अयस्क के भंडार के लिए प्रसिद्ध है।
  • बस्तर के पठार में लौह अयस्क की प्रसिद्ध खान दल्लीराजहरा तथा बेलाडिला खान स्थित है।
  • बस्तर के पठार की सर्वोच्च चोटी बेलाडिला है।
  • बस्तर के पठार पर इंद्रावती नदी बहती है।
  • दण्डकारण्य पठार को ओडिशा में कालाहांडी पठार कहते हैं।
  • कालाहांडी पठार बॉक्साइड के भंडार के लिए प्रसिद्ध है।
  • कालाहांडी पठार में बॉक्साइड के लिए प्रसिद्ध तीन जिले स्थित है। जैसे-
  • (I) कालाहांडी
  • (II) कोरापुट
  • (III) बलानगिर
  • कालाहांडी पठार पर सबरी तथा सिलेरु नदियां बहती है।


10. दक्कन का पठार (Decan Plateau)-

  • यह लावा से निर्मित त्रिभुजाकार पठार है जो 8 राज्यों में विस्तृत है। जसै-
  • (I) महाराष्ट्र
  • (II) कर्नाटक
  • (III) तेलंगाना
  • (IV) आंध्र प्रदेश
  • (V) मध्य प्रदेश
  • (VI) छत्तीसगढ़
  • (VII) केरल
  • (VIII) तमिलनाडु
  • इस पठार के उत्तर-पूर्वी भाग में डॉली गुट्टा चोटी स्थित है।
  • इस पठार का दक्षिणतम भाग तिरुवन्नामलाई (तमिलनाडु) तक विस्तृत है।
  • यह भारत का सबसे बड़ा पठार है जो 5 लाख वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में विस्तृत है।
  • इस पठार का सामान्य ढाल पश्चिम से पूर्व की ओर है।
  • इसकी औसत ऊँचाई 600 मीटर है।
  • प्रादेशिक आधार पर इस पठार को 3 भागों में बांटा जाता है। जैसे-
  • (I) महाराष्ट्र का पठार (Maharashtra Plateau)
  • (II) तेलंगाना पठार या आंध्रा पठार (Telangana Andhra Plateau)
  • (III) कर्नाटक का पठार (Karnataka Plateau)


(I) महाराष्ट्र का पठार (Maharashtra Plateau)-

  • इस पठार पर गोदावरी तथा कृष्णा नदियां बहती है।
  • इस पठार पर काली मृदा पायी जाती है।
  • यह भारत का सबसे प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र है।


(II) तेलंगाना पठार या आंध्रा पठार (Telangana Plateau or Andhra Plateau)-

  • कृष्णा नदी इस पठार को विभाजित करती है।
  • इसका उत्तरी भाग तेलंगाना पठार, दक्षिणी भाग रायलसीमा पठार (पेनेरु नदी) तथा पूर्वी भाग सीमांध्रा कहलाता है।
  • रायलसीमा पठार पर पेनेरु नदी बहती है।


(III) कर्नाटक का पठार (Karnataka Plateau)-

  • 600 मीटर की समोच्च रेखा इस पठार को दो भागों में विभाजित करती है।
  • इसका उत्तरी भाग बैंगलोर का पठार तथा दक्षिणी भाग मैसूर का पठार कहलाता है।
  • बैंगलोर के पठार पर तुंगभद्रा नदी बहती है।
  • मैसूर के पठार पर कावेरी नदी बहती है।
  • कर्नाटक के पठार के पश्चिमी भाग को मलनाद कहा जाता है।
  • मलनाद की सर्वोच्च चोटी मुलयानागिरी है।
  • मुलयानागिरी कर्नाटक की सर्वोच्च चोटी है।
  • कुद्रेमुख कर्नाटक की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है जो मलनाद में स्थित है।
  • कलहट्टा गिरी कर्नाटक की तीसरी सबसे ऊंची चोटी है जो मलनाद में स्थित है।


प्रायद्वीपीय प्रदेश के पर्वत एवं पहाड़ियां (Mountains and Hills of Peninsular Region)-

    • 1. काठियावाड़ पहाड़ियां (Kathiawar Hills)
    • 2. विंध्याचल श्रेणी (Vindhyachal Range)
    • 3. सतपुड़ा श्रेणी (Satpura Range)
    • 4. पश्चिमी घाट (Western Ghat)
    • 5. पूर्वी घाट (Eastern Ghat)
    • 6. नीलगिरी पहाड़ियां (Nilgiri Hills)
    • 7. बिलीगिरीरंगाना पहाड़ियां (Biligirirangana Hills/B.R. Hills)
    • 8. अरावली पर्वतमाला (Aravalli Mountain)


    1. काठियावाड़ पहाड़ियां (Kathiawar Hills)-

    • इन पहाड़ियों में बरदा, माण्डव, गिरनार एवं गिर पहाड़ियां सम्मिलित है।
    • यहाँ की सर्वोच्च चोटी गोरखनाथ (Gorakhnath Peak) है।
    • ये पहाड़ियां जैन धार्मिक स्थलों के लिए प्रसिद्ध है।
    • यहाँ एशियाई शेर पाया जाता है।
    • यहाँ गिर राष्ट्रीय उद्यान (Gir National Park) स्थित है।
    • गोरखनाथ चोटी गुजरात की सर्वोच्च चोटी है।


    2. विंध्याचल श्रेणी (Vindhyachal Range)-

    • यह चूना पत्थर से निर्मित खंड पर्वत है।
    • यह पर्वत श्रेणी गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ तथा बिहार में विस्तृत है।
    • यह श्रेणी दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की ओर 1050 किलोमीटर की दूरी में विस्तृत है।
    • इस श्रेणी की सर्वोच्च चोटी सदभावना चोटी (Goodwill Peak) है जो मध्य प्रदेश में स्थित है।
    • सदभावना चोटी की ऊँचाई 752 मीटर है।
    • यह श्रेणी महान जलविभाजक का भाग है।
    • यह श्रेणी उत्तर भारत तथा दक्षिण भारत को अलग करती है।
    • इस श्रेणी के दक्षिण में नर्मदा भ्रंश घाटी स्थित है।
    • इस श्रेणी में बहुत सी पहाड़ियां एवं पठार सम्मिलित है। जैसे- विन्धयाचल पहाड़ी, भारनेर पहाड़ी, कैमूर पहाड़ी, भांडेर पठार, रेवा-पन्ना का पठार
    • पन्ना हीरे के भंडार के लिए प्रसिद्ध है।
    • पन्ना एक जैव आरक्षित क्षेत्र भी है।


    3. सतपुड़ा श्रेणी (Satpura Range)-

    • यह बालू पत्थर से निर्मित खंड पर्वत है जो गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ में विस्तृत है।
    • यह श्रेणी पश्चिम से पूर्व तक 900 किलोमीटर की दूरी में विस्तृत है।
    • इसकी औसत ऊँचाई 760 मीटर है।
    • इस श्रेणी में राजपीपला, गाविलगढ़, महादेव तथा मैकाल पहाड़ियां सम्मिलित है।
    • इस श्रेणी की सर्वोच्च चोटी धूपगढ़ है जो महादेव पहाड़ियों में स्थित है।
    • धूपगढ़ चोटी की ऊँचाई 1350 मीटर है।
    • इन्हीं पहाड़ियों में पंचमढ़ी (बिहार) नामक जैव आरक्षित क्षेत्र स्थित है।
    • महादैव पहाड़ियों के दक्षिण में बेतुल का पठार स्थित है जहाँ से तापी नदी का उद्गम (मुलताई) होता है।
    • मैकाल पहाड़ियों में अमरकंटक चोटी से सोन तथा नर्मदा नदियों का उद्गम होता है।
    • अमरकंटक चोटी की ऊँचाई 1036 मीटर है।
    • सतपुड़ा श्रेणी नर्मदा तथा तापी भ्रंश घाटी के मध्य स्थित है।


    4. पश्चिमी घाट (Western Ghat)-

    • यह तापी घाटी से कन्याकुमारी तक 1600 किलोमीटर की दूरी में विस्तृत भ्रंश कगार (खंड पर्वत) है।
    • यह एक सतत् पर्वत श्रेणी है।
    • इसकी औसत ऊँचाई 1200 मीटर है।
    • पश्चिमी घाट का पश्चिमी ढ़ाल तीव्र तथा पूर्वी ढ़ाल मंद है।
    • पश्चिमी ढ़ाल पर मानसून पवनों द्वारा भारी वर्षा प्राप्त होती है।
    • यहाँ उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनस्पति पायी जाती है।
    • यह जैव विविधता संपन्न क्षेत्र है।
    • यह विश्व के 36 जैव विविधता तप्त स्थल (Hotspots) में सम्मिलित है।
    • इसे सहयाद्री भी कहते हैं।
    • दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों का उद्गम इस श्रेणी से होता है।
    • प्रादेशिक आधार पर इस श्रेणी को तीन भागों में बांटा जाता है। जैसे-
    • (I) उत्तरी सहयाद्री (Northern Sahyadri)
    • (II) मध्य सहयाद्री (Middle Sahyadri)
    • (III) दक्षिणी सहयाद्री (Southern Sahyadri)


    (I) उत्तरी सहयाद्री (Northern Sahyadri)-

    • उत्तरी सहयाद्री 16° उत्तरी अक्षांश तथा तापी घाटी के मध्य स्थित है।
    • यह भाग गुजरात तथा महाराष्ट्र में विस्तृत है।
    • इस भाग की सर्वोच्च चोटी कलसुबाई है।
    • इस भाग की दूसरी सबसे ऊंची चोटी सलहेर है।
    • महाबलेश्वर यहाँ की अन्य प्रमुख चोटी है।
    • कलसुबाई चोटी से गोदावरी नदी का उद्गम होता है।
    • महाबलेश्वर चोटी से कृष्णा नदी का उद्गम होता है।
    • इस भाग में दो प्रमुख दर्रे स्थित है। जैसे-
    • (A) थालघाट दर्रा (Thalghat Pass)
    • (B) भोरघाट दर्रा (Bhorghat Pass)


    (A) थालघाट दर्रा (Thalghat Pass)-

    • थालघाट दर्रा मुम्बई तथा नासिक को जोड़ता है।

    • थालघाट दर्रे से NH3 गुजरता है।


    (B) भोरघाट दर्रा (Bhorghat Pass)-

    • भोरघाट दर्रा मुम्बई तथा पुणे को जोड़ता है।

    • थालघाट दर्रे से NH4 गुजरता है।


    (II) मध्य सहयाद्री (Middle Sahyadri)-

    • मध्य सहयाद्री 16° उत्तरी अक्षांश तथा नीलगिरी पहाड़ी के मध्य स्थित है।
    • यह मुख्यतः गोवा तथा कर्नाटक में स्थित है।
    • पश्चिमी घाट को कर्नाटक में मलनाद कहते हैं।
    • कर्नाटक की सर्वोच्च मुलयानागिरी इसी भाग में स्थित है।
    • यहाँ कुद्रेमुख चोटी भी स्थित है जो लौह अयस्क के भंडार के लिए प्रसिद्ध है।
    • इसी भाग में बाबा बुदन पहाड़ियां स्थित है जो कॉफी के खेती के लिए प्रसिद्ध है।


    (III) दक्षिणी सहयाद्री (Southern Sahyadri)-

    • दक्षिणी सहयाद्री नीलगिरी पहाड़ियों से कन्याकुमारी के मध्य स्थित है।
    • यह मुख्य रूप से केरल तथा तमिलनाडु में विस्तृत है।


    दक्षिणी सहयाद्री के प्रमुख पहाड़ियां (Major Hills of Southern Sahyadri)-

    • इस भाग में तीन प्रमुख पहाड़ियां सम्मिलित है। जैसे-
    • (A) अन्नामलाई पहाड़ियां (Annamalai Hills)
    • (B) कार्डमम या इलायची पहाड़ियां (Cardamom Hills)
    • (C) पलनी पहाड़ियां (Palni Hills)


    (A) अन्नामलाई पहाड़ियां (Annamalai Hills)-

    • दक्षिण भारत की सर्वोच्च चोटी अनाईमुड़ी है जो अन्नामलाई पहाड़ियों में स्थित है।
    • अनाईमुड़ी चोटी की ऊँचाई 2695 मीटर है।
    • दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी मीसापुलिमाला है।
    • पश्चमी घाट की दूसरी सबसे ऊंची चोटी मीसापुलिमाला है जो अन्नामलाई पहाड़ियों में स्थित है।
    • मीसापुलिमाला चोटी की ऊँचाई 2640 मीटर है।
    • केरल की सबसे ऊंची चोटी अनाईमुड़ी है।
    • केरल की दूसरी सबसे ऊंची चोटी मीसापुलिमाला है।


    (B) कार्डमम या इलायची पहाड़ियां (Cardamom Hills)-

    • ये पहाड़ियां मसालों की खेती की लिए प्रसिद्ध है जिसमें मुख्यतः इलायची की खेती की जाती है।

    • इन पहाड़ियों की सर्वोच्च चोटी अगस्त्यमलाई है।

    • अगस्त्यमलाई एक जैव आरक्षित क्षेत्र भी है।


    (C) पलनी या पालानी पहाड़ियां (Palni Hills)-

    • इन पहाड़ियों में तमिलनाडु का प्रसिद्ध पर्वतीय स्थल (Hills Station) कोडईकनाल स्थित है।


    दक्षिणी सहयाद्री के प्रमुख दर्रे (Major Passes of Southern Sahyadri)-

    • दक्षिणी सहयाद्री में दो प्रमुख दर्रे स्थति है। जैसे-
    • (A) पालघाट दर्रा (Palghat Pass)
    • (B) सेनकोटा दर्रा (Senkota Pass)

    (A) पालघाट दर्रा (Palghat Pass)-

    • पालघाट दर्रा, नीलगिरी पहाड़ियों तथा अन्नामलाई पहाड़ियों के मध्य स्थित है।
    • पालघाट दर्रे से NH47 गुजरता है। (नया नाम NH544)
    • पालघाट दर्रा कोची (केरल) को कोयम्बटूर (तमिलनाडु) से जोड़ता है।

    • पालघाट दर्रे से मानसून पवने प्रवेश करती है तथा तमिलनाडु के आंतरिक भाग में वर्षा करती है।


    (B) सेनकोटा दर्रा (Senkota Pass)-

    • सेनकोटा दर्रा, नागरकोइल पहाड़ियों तथा ईलायची पहाड़ियों के मध्य स्थित है।

    • सेनकोट दर्रे से NH49 गुजरता है।

    • सनेकोट दर्रा तिरुवनन्तपुरम (केरल) को मदुरई (तमिलनाडु) से जोड़ता है।


    5. पूर्वी घाट (Eastern Ghat)-

    • यह प्राचीन वलित पर्वत (Fold Mountain) है जो महानदी से नीलिगिरी पहाड़ियों तक 800 किलोमीटर दूरी में विस्तृत है।
    • इस श्रेणी की औसत ऊँचाई 600 मीटर है।
    • पूर्वी घाट की सर्वोच्च चोटी अरमाकोंडा है।
    • अरमाकोंडा चोटी को सीताम्मा चोटी या विशाखापट्टनम चोटी भी कहा जाता है।
    • अरमाकोंडा चोटी की ऊँचाई 1680 मीटर है।
    • NCERT के अनुसार पूर्वी घाट की सर्वोच्च चोटी महेन्द्रगिरी है जो ओडिशा की मालिया श्रेणी में स्थित है।
    • महेन्द्रगिरी चोटी की ऊँचाई 1501 मीटर है।
    • इस श्रेणी की अन्य प्रमुख चोटी जिंदागाढ़ा है जो आंद्रप्रदेश में स्थित है। (1690 मीटर अनुमानित)
    • शेषचलम पहाड़ियां लाल चंदन के वृक्ष के लिए प्रसिद्ध है।
    • शेषचलम पहाड़ियां एक जैव आरक्षित क्षेत्र भी है।
    • पूर्वी घाट माही नदी से गोदावरी नदी तक सतत् है।
    • गोदावरी के दक्षिण में यह श्रेणी नदियों द्वारा अपरदित हो जाती है।
    • इस श्रेणी में बहुत सी पहाड़ियां स्थित है। जैसे-
    • (I) मालिया श्रेणी पूर्वी घाट में ओडिशा में स्थित है।
    • मालिया श्रेणी की प्रमुख चोटियां-
    • (A) देओमाली चोटी- ओडिशा की सर्वोच्च चोटी (1672 मीटर)
    • (B) महेंद्रगिरी चोटी- ओडिशा की दूसरी सबसे ऊँची चोटी (1510 मीटर)
    • (II) आंध्रप्रदेश की पहाड़ियां-
    • (A) नालामल्ला पहाड़ियां
    • (B) वेलिकोंडा पहाड़ियां
    • (C) पालकोंडा पहाड़ियां
    • (D) नगारी पहाड़ियां
    • (E) शेषचलम पहाड़ियां
    • (F) एरामल्ला पहाड़ियां
    • (III) मदुगुलाकोंडा श्रेणी पूर्वी घाट में आंद्रप्रदेश में स्थति है।
    • मदुगुलाकोंडा श्रेणी की प्रमुख चोटियां-
    • (A) अमरकोंडा चोटी- पूर्वी घाट की सर्वोच्च चोटी (1680 मीटर)
    • (B) गलीकोंडा चोटी- पूर्वी घाट की तीसरी सबसे ऊंची चोटी (1643 मीटर)
    • (C) सिंकरामगुट्टा चोटी- पूर्वी घाट की चौथी सबसे ऊंची चोटी (1620 मीटर)
    • विशेष- पूर्वी घाट की दूसरी सबसे ऊंची चोटी देओमाली है (1672 मीटर)
    • (IV) तमिलनाडु की पहाड़ियां-
    • (A) मेलागिरी पहाड़ियां
    • (B) थालामलाई पहाड़ियां
    • (C) जावड़ी पहाड़ियां
    • (D) शेवरॉय पहाड़ियां
    • (E) पंचईमलाई पहाड़ियां
    • (F) सिकमलाई पहाड़ियां


    6. नीलगिरी पहाड़ियां (Nilgiri Hills)-

    • यह एक खंड पर्वत है जो केरल, तमिलनाडु व कर्नाटक में विस्तृत है।
    • इस पहाड़ी क्षेज्ञ में पश्चिमी तथा पूर्वी घाट आकर मिलते हैं।
    • इन पहाड़ियों की सर्वोच्च चोटी डोडाबेटा है।
    • NCERT के अनुसार डोडाबेटा दक्षिण भारत की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।
    • डोडाबेटा चोटी की ऊँचाई 2636/2637 मीटर है।
    • डोडाबेटा तमिलनाडु की सर्वोच्च चोटी है।
    • नीलगिरी पहाड़ियों की दूसरी सबसे ऊंची चोटी कोलारीबेटा है।
    • कोलारीबेटा चोटी की ऊँचाई 2629 मीटर है।
    • कोलारीबेटा तमिलनाडु की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है।
    • इन पहाड़ियों में चाय की रोपण कृषि की जाती है।
    • यहां टोडा जनजाति निवास करती है जो भैंस पालन के लिए प्रसिद्ध है।
    • नीलगिरी पहाड़ियां जैव विविधता सम्पन्न है।
    • 1986 में यहाँ भारत का पहला जैव आरक्षित क्षेत्र स्थापित किया गया था।
    • इन पहाड़ियों का नाम नीलकुरंजी फूल के आधार पर रखा गया है।
    • यहाँ उटी नामक पर्वतीय स्थल (Hill Station) स्थित है।
    • उटी तमिलनाडु में स्थित है।


    7. बिलीगिरीरंगाना पहाड़ियां (Biligirirangana Hills/B.R. Hills)-

    • यह पूर्वी घाट व पश्चिमी घाट के मिलन बिंदु पर स्थित है।
    • यहा की सर्वोच्च चोटी कट्टाहीबेटा है।
    • कट्टाहीबेटा चोटी की ऊँचाई 1822 मीटर है।


    पूर्वी घाट व पश्चिमी घाट में अंतर (Difference Between Eastern Ghat and Western Ghat)-

      • 1. पूर्वी घाट (Eastern Ghat)
      • 2. पश्चिमी घाट (Western Ghat)


        1. पूर्वी घाट (Eastern Ghat)-

        • यह महानदी से नीलगिरी पहाड़ियों तक विस्तृत है।
        • यह प्राचीन वलित पर्वत (Old Fold Mountain) है।
        • यह असतत् पर्वत श्रेणी है।
        • यह कम ऊंची पर्वत श्रेणी है जिसकी औसत ऊँचाई 600 मीटर है।
        • इसकी सर्वोच्च चोटी अरमाकोंडा है जिसकी ऊँचाई 1680 मीटर है।
        • कम ऊँचाई एवं मानसून पवनों की दिशा में ना स्थित होने के कारण यहाँ कम वर्षा प्राप्त होती है।
        • यहाँ उष्ण कटिबंधीय आर्द्र पतझड़ वनस्पति पायी जाती है।
        • यहाँ तुलनात्मक रूप से कम जैव विविधता पायी जाती है।
        • नदियां इस पर्वत श्रेणी को अपरदित करते हुए जाती है।


        2. पश्चिमी घाट (Western Ghat)-

        • यह तापी से कन्याकुमारी तक विस्तृत है।
        • यह एक भ्रंश कगार (Fault Scarp) है।
        • यह सतत् पर्वत श्रेणी है जिससे दर्रों के माध्यम से पार किया जाता है।
        • यह ऊंची पर्वत श्रेणी है जिसकी औसत ऊँचाई 1200 मीटर है।
        • इसकी सर्वोच्च चोटी अनाईमुड़ी है जिसकी ऊँचाई 2695 मीटर है।
        • अधिक ऊँचाई एवं मानसून पवनों की दिशा में स्थित होने के कारण यहाँ भारी वर्षा प्राप्त होती है।
        • यहाँ उष्ण कटिबंधीय सदाबहार वनस्पति पायी जाती है।
        • यहाँ उच्च जैव विविधता पायी जाती है तथा यह विश्व के 36 जैव विविधता तप्त स्थलों में सम्मिलित है।
        • इस श्रेणी से दक्षिण भारत की प्रमुख नदियों का उद्गम होता है।

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