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राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC)

राज्य लोक सेवा आयोग (State Public Service Commission- SPSC)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग एक संवैधानिक आयोग (Constitutional Commission) है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग एक सलाहकारी आयोग (Advisory Commission) है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग का गठन राज्यपाल द्वारा किया जाता है।

  • प्रावधान- राज्य लोक सेवा आयोग का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 315 से 323 तक किया गया ैह।


नियुक्ति (Appointment)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री व मंत्रिपरिषद की सलाह पर की जाती है।

  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की नियुक्ति का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 316 (1) में किया गया है।


अध्यक्ष के पुनर्नियुक्ति के प्रावधान (Provision for Reappointment of Chairperson)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष को राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) में अध्यक्ष व सदस्य के रूप में पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष को किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग (OPSC) में अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है। (अपवाद)
  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष को किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग (OPSC) में सदस्य के रूप में नियक्त नहीं किया जा सकता है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के अध्यक्ष को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में अध्यक्ष व सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।


सदस्य के पुनर्नियुक्ति के प्रावधान (Provision for Reappointment of Member)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के सदस्य को राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) में अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।

  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के सदस्य को राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) में सदस्य के रूप में पुनः नियुक्त नहीं किया जा सकता है।

  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के सदस्य को किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग (OPSC) में अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।
  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के सदस्य को किसी अन्य राज्य लोक सेवा आयोग (OPSC) में सदस्य के रूप में नियक्त नहीं किया जा सकता है।

  • राज्य लोक सेवा आयोग (SPSC) के सदस्य को संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में अध्यक्ष व सदस्य के रूप में नियुक्त किया जा सकता है।


वेतन (Salary)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन व भत्ते राज्य की संचित निधि (Consolidated Fund) पर भारीत होते हैं। अर्थात् राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के वेतन व भत्ते राज्य की संचित निधि से दिये जाते हैं।


कार्यवाहक अध्यक्ष (Acting Chairperson)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग में कार्यवाहक अध्यक्ष की नियुक्ति राज्यपाल के द्वारा की जाती है। इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 316 (1-A) में किया गया है।

  • यदि राज्य लोक सेवा आयोग में अध्यक्ष का पद रिक्त रहता है तो राज्यपाल राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों में से ही किसी एक को कार्यवाहक अध्यक्ष बना सकता है।


योग्यता (Qualification)-

  • संविधान में राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों की योग्यता का उल्लेख नहीं किया गाय है।

  • राज्य लोक सेवा आयोग में आधे सदस्य (50% सदस्य) ऐसे होंगे जिन्हें केंद्र या राज्य सरकार के अधीन न्यूनतम 10 वर्ष का अनुभव हो। (इसमें से न्यूनतम 4 सदस्य होगें और अधिक भी हो सकते हैं।)

  • आधे सदस्य (50% सदस्य) शिक्षाविद (Educationist), वकील (Advocate), पत्रकार (Journalist) (इनमें से सामान्यतः 4 सदस्य होते हैं।)


निलंबन (Suspension)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों के निलम्बन का उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 317 (2) में किया गया है।

  • सर्वोच्च न्यायालय की जाँच के दौरान राज्यपाल द्वारा अध्यक्ष या सदस्य को निलम्बित किया जा सकता है।


कार्यकाल (Tenure)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष की आयु जो भी पहले हो।
  • भारत के संविधान के 41वें संविधान संशोधन 1976 के द्वारा राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 62 वर्ष किया गया था।
  • पहले राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्ष या 60 वर्ष की आयु था।


त्यागपत्र (Resignation Letter)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्य अपना त्यागपत्र राज्यपाल के देते हैं।


वार्षिक प्रतिवेदन (Annual Report)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग अपना वार्षिक प्रतिवेदन राज्यपाल को सौंपता है। इसका उल्लेख संविधान के अनुच्छेद 323 (2) में किया गया है।


सेवा शर्तों में बदलाव (Changes to Terms of Service)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग में सेवा शर्तों में बदलाव राज्यपाल द्वारा किया जा सकता है।


अतिरिक्त कार्यभार (Stretch Assignment)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग को राज्य विधानमण्डल के द्वारा कोई अतिरिक्त कार्यभार दिया जा सकता है अर्थात् अगर कोई अतिरिक्त कार्य देना हो तो राज्य विधामण्डल लोक सेवा आयोग को दे सकता है।


राज्य लोक सेवा आयोग के कार्य (Functions of State Public Service Commission)-

  • राज्य लोक सेवा आयोग के कार्यों का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।

  • भारत के संविधान के अनुच्छेद 320 के अनुसार राज्य लोक सेवा आयोग के निम्नलिखित कार्य है-
  • 1. विभिन्न भर्ती परिक्षाओं व साक्षात्कारों का आयोजन करवाना।
    • 2. राज्य सरकार को विभिन्न मामलों में सलाह प्रदान करना जैसे-
      • (I) भर्ती की पद्धति
      • (II) राज्य सरकार के कर्मचारियों के पेंशन संबंधित मामले
      • (III) राज्य सरकार के कर्मचारियों के अनुशासनात्मक कार्यवाही के मामले
      • (IV) पदोन्नति में अनुभव में छुट
      • (V) किसी सेवा का अन्य सेवा में विलय
      • (VI) राज्य सरकार के कर्मचारियों से संबंधित नीति निर्माण में सलाह जैसे- स्थानांतरण नीति (Transfer Policy), प्रशिक्षण नीति (Training Policy), पदोन्नति नीति (Promotion Policy)
    • 3. संविधान के अनुच्छेद 320 (2) के अनुसार विभागीय पदोन्नती समिति (Departmental Promotion Committee- DPC) की बैठकों का आयोजन करवाना।
    • 4. संविधान के अनुच्छेद 323 (2) के अनुसार राज्यपाल को वार्षिक प्रतिवेदन सौंपना।

    • 5. राज्य विधानमण्डल द्वारा सौंपा गया कोई अतिरिक्त कार्य करना।


    निष्कासन प्रक्रिया या हटाने की प्रक्रिया (Removal Process)-

    • अनुच्छेद 317 के अनुसार निम्नलिखित मामलों में राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष व सदस्यों को पद से हटाया जा सकता है।
    • (I) कदाचार (Misbehaviour) के मामले में राष्ट्रपति द्वारा सर्वोच्च न्यायालय की जाँच के पश्चात हटाया जा सकता है।
    • (II) असमर्थता (Inability), दिवालियापन (Bankruptcy), लाभ का पद ग्रहण (Office of Profit) तथा नैतिक पतन (Moral Fall) के मामलों में सीधे राष्ट्रपति द्वारा बिना किसी जाँच के ही हटाया जा सकता है।

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