- (A) खनिज दृष्टिकोण (Minerals View)
- (B) खनिज- चट्टाने (Mineral- Rocks)
- (C) खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals)
- (D) खनिज उत्पादन (Minerals Production)
- (E) राजस्थान में खनिज नीतियां (Mineral Policies in Rajasthan)
- (F) राजस्थान में खनिज संस्थान (Minerals Institutes in Rajasthan)
(A) खनिज दृष्टिकोण (Minerals View)-
- 1. खनिज विविधता (Mineral Diversity)
- 2. खनिज भंडारण (Minerals Storage)
- 3. खनिज उत्पादन (Minerals Production)
- 4. खनिज आय (Minerals Income)
1. खनिज विविधता (Mineral Diversity)-
- भारत में खनिज विविधता की दृष्टि से राजस्थान का पहला स्थान
- राजस्थान में कुल 81 प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।
- राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहते हैं।
2. खनिज भंडारण (Minerals Storage)-
- भारत में खनिज भंडारण की दृष्टि से पहला स्थान झारखंड (छोटा नागपुर का पठार) का है।
- भारत में खनिज भंडारण की दृष्टि से दूसरा स्थान राजस्थान का है।
- अरावली को राजस्थान का खनिज भंडार गृह कहते हैं।
3. खनिज उत्पादन (Minerals Production)-
- खनिज उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का भारत में दूसरा स्थान है।
- राजस्थान में कुल 58 प्रकार के खनिजों का उत्पादन होता है।
- भारत के कुल खनिज उत्पादन का राजस्थान 22% खनिज उत्पादित करता है।
- राजस्थान में खनिज उत्पादन जैसे (100%)-
- (I) धात्विक खनिज (Metallic Mineral)- 15%
- (II) अधात्विक खनिज (Non Metallic Mineral)- 25%
- (III) अन्य खनिज (Other Mineral)- 60%
- भारत में अधात्विक खनिजों की दृष्टि से राजस्थान का पहला स्थान है।
4. खनिज आय (Minerals Income)-
- भारत में खनिज आय की दृष्टि से राजस्थान का पहला स्थान है क्योंकि राजस्थान से कीमती अधात्विक खनिजों का उत्पादन होता है। जैसे- पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयला, ग्रेनाईट, मार्बल
(B) खनिज- चट्टाने (Mineral- Rocks)-
- राजस्थान में खनिज निम्न चट्टानों में पाये जाते हैं।
- 1. अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)
- 2. धारवाड़ चट्टानें (Dharwar Rocks)
- 3. विन्ध्यन चट्टानें (Vindhyan Rocks)
1. अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)-
- अवसादी चट्टानें पश्चिमी राजस्थान में पायी जाती है।
- अवसादी चट्टानों में ऊर्जा खनिज या अधात्विक खनिज अधिक पाये जाते हैं। जैसे-
- (I) पेट्रोलियम
- (II) प्राकृतिक गैस
- (III) कोयला
2. धारवाड़ चट्टानें (Dharwar Rocks)-
- धारवाड़ चट्टानें (आग्नेय चट्टानें) अरावली में पायी जाती है।
- धारवाड़ चट्टानों में धात्विक खनिज अधिक पाये जाते हैं। जैसे-
- (I) तांबा
- (II) लौहा
- (III) सीसा-जस्ता-चाँदी
- धारवाड़ चट्टानें सबसे कीमती होती है।
3. विन्ध्यन चट्टानें (Vindhyan Rocks)-
- विन्ध्यन चट्टानें राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में पायी जाती है।
- विन्ध्यन चट्टानों में खनिज पत्थर अधिक पाये जाते हैं। जैसे-
- (I) बलूआ पत्थर (Sand Stone)
- (II) चूना पत्थर (Lime Stone)
- (III) कोटा स्टोन (Kota Stone)
- (IV) लाल पत्थर (Red Stone)
(C) खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals)-
- 1. धात्विक खनिज (Metallic Mineral)
- 2. अधात्विक खनिज (Non Metallic Mineral)
1. धात्विक खनिज (Metallic Mineral)-
- (अ) लौह धात्विक खनिज- कोबाल्ट, क्रोमाइट, लोहा, मैंगनीज, टंगस्टन, टाईटेनियम
- (ब) अलौह धात्विक खनिज- सोना, चाँटी, प्लेटिनम, सीसा, जस्ता, टिन, ताबां, बॉक्साईट, एल्युमिनियम, मैग्नीशियम, पारा या मर्करी
- सीसी-जस्ता को जुड़वा खनिज (Twin Minerals) कहा जाता है।
2. अधात्विक खनिज (Non Metallic Mineral)-
- अधात्विक खनिज- अभ्रक या माईका, जिप्सम, क्ले खनिज, खनिज पत्थर, ऊर्जा खनिज (पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयल)
- भारत में अभ्रक का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य आंध्रप्रदेश है।
- भारत में अभ्रक का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य राजस्थान है।
- भारत में अभ्रक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादन राज्य झारखंड है।
अभ्रक या माईका के उपयोग-
- (I) विद्युत उपकरणों में उपयोगी।
- (II) ईमारत बनाने में उपयोगी।
- (III) पॉलीथीन बनाने में उपयोगी।
(D) खनिज उत्पादन (Minerals Production)-
- 1. अरावली पेटी के खनिज (Minerals of Aravalli Belt)
- 2. वागड़ पेटी के खनिज (Minerals of Vagad Belt)
- 3. क्ले खनिज (Clay Minerals)
- 4. खनिज पत्थर (Stone Minerals)
- 5. पोटाश (Potash)
- 6. अरावली क्षेत्र के खनीज (Minerals of Aravalli Zone/Region)
- 7. जिप्सम (Gypsum)
- 8. टंगस्टन (Tungsten)
- 9. एकाधिकार वाले खनिज (100%) या पूर्णतः राजस्थान से उत्पादिक खनिज
- 10. बेंटोनाइट (Bentonite)
- 11. बॉक्साइट (Bauxite)
- 12. बेरिलियम (Beryllium)
- 13. आण्विक खनिज (Nuclear Minerals)
- 14. ऊर्जा खनिज (Energy Minerals)
1. अरावली पेटी के खनिज (Minerals of Aravalli Belt)-
- (I) तांबा (Copper)
- (II) लोह अयस्क (Iron Ore)
- (III) सीसा-जस्ता एवं चाँदी (Lead-Zinc & Silver)
(I) तांबा (Copper)-
- भंडार- राजस्थान में तांबा सर्वाधिक झुंझुनूं, सीकर, चूरू, अलवर, अजमेर, भीलवड़ा, उदयपुर एवं चित्तौड़गढ़ जिलों में भंडारित है।
- उत्पादन क्षेत्र या खान-
- झुंझुनू- कोल्हन, खेतड़ी, चांदमारी, मदान-कूदान
- सीकर- बन्नों की ढ़ाणी (नीम का थाना)
- चूरू- बिदासर
- अलवर- खो-दरिबा
- अजमेर- हनोतिया, सावर
- भीलवाड़ा- देवतलाई, पुर बनेड़ा, दरिबा-बनेड़ा
- उदयपुर- अंजनी-सलूम्बर
- चित्तौड़गढ़- भागेल-बारी
- उपयोग-
- विद्युत तार बनाने में उपयोगी।
- ओटोमोबाईल उद्योग में उपयोगी।
- बर्तन बनाने में उपयोगी।
- यंत्र या उपकरण बनाने में उपयोगी।
(II) लोह अयस्क (Iron Ore)-
- भंडार- राजस्थान में लोहे की मैग्नेटाइट एवं हैमेटाइट किस्में पायी जाती है। जिनका भंडारण जयपुर, दौसा, सीकर, झुंझुनूं, उदयपुर एवं भीलवाड़ा में है।
- उत्पादन क्षेत्र-
- झुंझुनूं- सिंघाना-खेतड़ी
- सीकर- डाबला
- जयपुर- मोरिजा-बानोला
- दौसा- नीमला-रायसैला
- भीलवाड़ा- तिरंगा क्षेत्र
- उदयपुर- नाथरा की पाल, थूर हुण्डेर
- उपयोग-
- ऑटोमोबाइल उद्योग में उपयोगी।
- रेलवे संबंधि उपकरणों में उपयोगी।
- इमारतों के निर्माण में उपयोगी।
- सड़क एवं पूल निर्माण में उपयोगी।
(III) सीसा-जस्ता एवं चाँदी (Lead-Zinc & Silver)-
- सीसा-जस्ता एवं चाँदी भंडार- राजस्थान में सीसा-जस्ता एवं चाँदी भणडारण भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, सवाई माधोपुर (चौथ का बरवाड़ा) एवं अलवर (गुढ़ा-किशोरीदासपुरा) में है।
- सीसा-जस्ता एवं चाँदी के उत्पादन क्षेत्र-
- भीलवाड़ा- रामपुरा-आगुचा, गुलाबपुरा-आगुचा
- राजसमंद- राजपुरा-दरिबा, सिंदेसर खुर्द, सिंदेसर कला
- उदयपुर- जावरमाल (वर्तमान सलूम्बर)
- सीसा-जस्ता एवं चाँदी की सबसे पुरानी खान जावरमाला (वर्तमान सलूम्बर) है।
- सीसा-जस्ता का मुख्य अयस्क गैलेना है।
- सीसा अयस्क का उपयोग-
- बूलेट्स या कारतूस निर्माण में उपयोगी।
- शुष्क सेल के निर्माण में उपयोगी।
- रंग बनाने में उपयोगी।
- जस्ता या जिंक का उपयोग-
- औषधी बनाने में उपयोगी।
- रंग बनाने में उपयोगी।
- ऑटोमोबाईल उद्योग में ऑटो पार्ट्स बनाने में उपयोगी।
- चाँदी का उपयोग-
- आभूषण निर्माण में उपयोगी।
- पदक व सिक्के बनाने में उपयोगी।
- विद्युत उपकरणों में उपयोगी।
- औषधि उपयोग में।
2. वागड़ पेटी के खनिज (Minerals of Vagad Belt)-
- (I) सोना (Gold)
- (II) हीरा (Diamond)
- (III) मैंगनीज (Manganese)
- (IV) फ्लोराईट या फ्लोर्सपार (Fluorspar)
(I) सोना (Gold)-
- भंडार- राजस्थान में सोने का भंडारण बांसवाड़ा, उदयपुर एवं भीलवाड़ा में है।
- उत्पादन क्षेत्र-
- (A) बांसवाड़ा- आनंदपुरा-भूकिया, जगपुरा-भूकिया, घोटिया-अम्बा
- (B) भीलवाड़ा- देवतलाई (सोना एवं तांबा)
- उपयोग-
- (A) आभूषण निर्माण में उपयोगी।
- (B) पदक व सिक्के बनाने में उपयोगी।
- (C) तकनीकी उपकरणों (कंप्यूटर) में उपयोगी।
- (D) औषधि उपयोग में।
(II) हीरा (Diamond)-
- भंडार- राजस्थान में हीरे का भंडारण प्रतापगढ़ में है।
- उत्पादन क्षेत्र-
- (A) प्रतापगढ़- हीरा-केसरपुरा
- उपयोग-
- (A) आभूषण बनाने में उपयोगी।
- (B) काँच को काटने में उपयोगी।
- (C) सजावटी सामान बनाने में उपयोगी।
(III) मैंगनीज (Manganese)-
- भंडार- राजस्थान में मैंगनीज का भंडारण बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर एवं राजसमंद में है।
- उत्पादन क्षेत्र-
- (A) बांसावड़ा- लीलवानी, कालाखूंटा, तलवाड़ा
- उपयोग-
- (A) इस्पात बनाने में उपयोगी।
- (B) रंग और उपकरण बनाने में उपयोगी।
(IV) फ्लोराईट या फ्लोर्सपार (Fluorspar)-
- भंडार- राजस्थान में फ्लोराईट या फ्लोर्सपार का भंडारण डूंगरपुर में है।
- उत्पादन- मांडो की पाल (डूंगरपुर)
3. क्ले खनिज (Clay Minerals)-
- उत्पादन-
- (I) बॉल-क्ले (Ball Clay) या बीकानेर क्ले (Bikaner Clay)- बीकानेर
- (II) फायर क्ले (Fire Clay)- बीकानेर
- (III) चीनी मिट्टी (China Clay)- बीकानेर, सीकर
- (IV) ब्लीचिंग क्ले (Bleaching Clay) या फूलर्स अर्थ (Fuller's Earth) या मुल्तानी मिट्टी (Multani Mitti)- बाड़मेर, बीकानेर
- ब्लीचिंग क्ले या मुल्तानी मिट्टी के उपयोग-
- (I) सौंदर्य प्रसाधन बनाने में उपयोगी।
- (II) साबुन में उपयोगी।
- (III) नमकीन या भोजन बनाने में उपयोगी।
विशेष- सिलिका रेत (Silica Sand)-
- उत्पादन- बूंदी (बाड़ोदिया), जयपुर
4. खनिज पत्थर (Stone Minerals)-
- उत्पादन-
- (I) स्लेट स्टोन- अलवर
- (II) बलुआ पत्थर- बंसीपहाड़पुर (भरतपुर)
- (III) लाल पत्थर या धौलपुर स्टोन- धौलपुर (सर्वाधिक), करौली
- (IV) कोटा स्टोन- कोटा (सर्वाधिक), चित्तौड़गढ़
- (V) मार्बल या संगमरमर- राजसमंद
- (VI) ईमारती पत्थर- जोधपुर
- (VII) ग्रेनाईट- जालौर (सर्वाधिक), बाड़मेर, सिरोही, अजमेर
- पत्थर के उपयोग-
- (I) ईमारते बनाने में उपयोगी।
- (II) मूर्तियां बनाने में उपयोगी।
- (III) सड़क निर्माण में उपयोगी।
- (IV) फर्श बनाने में उपयोगी पत्थर जैसे- संगमरमर, ग्रेनाईट, कोटा स्टोन
मार्बल या संगमरमर की अन्य किस्में-
- उत्पादन-
- (I) सफेद मार्बल- मकराना (डीडवाना कुचामन- पहले नागौर)
- (II) काला मार्बल- भैंसलाना (जयपुर ग्रामीण- पहले जयपुर)
- (III) पीला मार्बल- पीथला (जैसलमेर)
- (IV) सतरंगी मार्बल- खांदरा (पाली)
- (V) हरा मार्बल- ऋषभदेव (उदयपुर)
- (VI) गुलाबी मार्बल- ऋषभदेव (उदयपुर), बाबरमाल (उदयपुर), जालौर, भरतपुर
- राजस्थान में मार्बल या संगमरमर सर्वाधिक राजसमंद से उत्पादित होता है क्योंकि राजसमंद में मार्बल या संगमरमर की उत्पादक इकाइयां अधिक है।
चूना पत्थर (Limestone)-
- उत्पादन-
- (I) स्टील ग्रेड- सोनू क्षेत्र (जैसलमेर)
- (II) केमिकल ग्रेड (सफेद चूना पत्थर)- जोधपुर, नागौर
- (III) सीमेंट ग्रेड- चित्तौड़गढ़, कोटा
- चूना पत्थर की सबसे अच्छी किस्म स्टील ग्रेड है।
- राजस्थान में चूना पत्थर का सर्वाधिक उत्पादन जोधपुर से होता है।
- चूना पत्थर के उपयोग-
- (I) सीमेंट उद्योग में उपयोगी।
- (II) भवन निर्माण में उपयोगी।
- (III) घरों में रंग के रूप में उपयोगी।
- (IV) तंबाकू के साथ उपयोगी।
5. पोटाश (Potash)-
- भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
- (I) हनुमानगढ़
- (II) बीकानेर
- (III) श्री गंगानगर
- (IV) चूरू
6. अरावली क्षेत्र के खनीज (Minerals of Aravalli Zone/Region)-
- भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
- (I) केल्साइट- सीकर
- (II) पाइराइट्स- सलादीपुरा (सीकर)
- (III) वर्मीक्यूलाइट- अजमेर
- (IV) क्वार्ट्ज- अजमेर
- (V) लिथियम- अजमेर
- (VI) फेलस्पार- अजमेर
- (VII) ग्रेफाइट- अजमेर (सर्वाधिक), अलवर
- (VIII) एस्बेस्टॉस- ऋषभदेव (उदयपुर), खेरवाड़ा (उदयपुर)
- (IX) घीयापत्थर (Soap Stone)- देवपुरा-सालोज (उदयपुर)
- (X) रॉक फॉस्फेट- झामर-कोटड़ा (उदयपुर- सर्वाधिक), लाठी-बिरमानिया क्षेत्र (जैसलमेर)
- केल्साइट के उपयोग-
- (I) रंग बनाने में उपयोगी।
- (II) तेजाब बनाने में उपयोगी।
- लीथियम के उपयोग-
- (I) मिश्रित धातु बनाने में उपयोगी।
- (II) इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में उपयोगी।
- (III) रिचार्जेबल बैटरी बनाने में उपयोगी। (लेपटॉप, मोबाईल)
- ग्रेफाइट के उपयोग-
- (I) पेंसिल बनाने में उपयोगी।
- (II) परमाणु ऊर्जा में मंदक के रूप में उपयोगी।
- ऐस्बेस्टॉस के उपयोग-
- (I) ईमारते बनाने में उपयोगी।
- (II) टाइल्स बनाने में उपयोगी। (सिरेमिक)
- (III) सीमेंट की चद्दर बनाने में उपयोगी।
- (IV) तापरोधी उपकरणों में उपयोगी।
- (V) फॉल्स सीलिंग में उपयोग किया जाता है।
7. जिप्सम (Gypsum)-
- भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
- (I) नागौर- गौठ-मांगलोद, भदवासी
- (II) श्री गंगानगर
- (III) बीकानेर- जामसर, लूणकरणसर
- (IV) जैसलमेर- पोकरण, चांदन, मोहनगढ़
- (V) बाड़मेर- कवास, उत्तरलाई
- राजस्थान में जिप्सम की सबसे बड़ी खान जामसर (बीकानेर) है।
- राजस्थान में जिप्सम का सर्वाधिक उत्पादन बीकानेर से होता है।
- उपयोग-
- (I) सीमेंट उद्योग में उपयोगी।
- (II) रासायनिक उर्वरकों में उपयोगी।
- (III) प्लास्टर ऑफ पेरिस में उपयोगी।
8. टंगस्टन (Tungsten)-
- भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
- (I) नागौर- रेवत की पहाड़ी (डेगाना)
- (II) पाली- नाना कराब
- (III) सिरोही- आबू-रेवदर, बाल्दा या वाल्दा
- भारत में टंगस्टन की सबसे बड़ी खान "रेवत की पहाड़ी" (डेगाना, नागौर) है जो वर्तमान में बंद है।
- उपयोग-
- (I) विद्युत उपकरणों या बल्ल बनाने में उपयोगी।
- (II) बुलेट्स बनाने में उपयोगी।
9. एकाधिकार वाले खनिज (100%) या पूर्णतः राजस्थान से उत्पादिक खनिज-
- पुराने आंकड़े-
- (I) वॉलेस्टोनाइट- बेल का मागरा (सिरोही)
- (II) जास्पर- जोधपुर
- (III) रक्तमणि (गार्नेट या तामड़ा)- राजमहल (टोंक), जनकपुर (टोंक), सरवाड़ (अजमेर)
- (IV) ऑकर (लाल गेरु)- चित्तौड़गढ़
- (V) पन्ना (हरी अग्नि)- टिक्की (राजसमंद), देवगढ़ (राजसमंद), आमेट (राजसमंद), कालागुमान खान (राजसमंद), बुबानी क्षेत्र (अजमेर) मुहामी क्षेत्र (अजमेर)
- पन्ना सर्वाधिक राजसमंद दूसरे स्थान पर अजमेर से उत्पादित होता है।
- आर्थिक समीक्षा 2022-23 के अनुसार राजस्थान के एकाधिकार वाले खनिज-
- (I) सीसा
- (II) जस्ता
- (III) सेलेनाइट (जिप्सम)
- (IV) वॉलेस्टोनाइट
- वॉलेस्टोनाईट के उपयोग-
- (I) पेंट या रंग बनाने में उपयोगी।
- (II) कल्च एवं ब्रेक बनाने में उपयोगी।
- (III) कागज एवं सिरेमिक उद्योग में उपयोगी।
10. बेंटोनाइट (Bentonite)-
- उत्पादन- बाड़मेर (सर्वाधिक), बीकानेर
11. बॉक्साइट (Bauxite)-
- उत्पादन- कोटा
12. बेरिलियम (Beryllium)-
- उत्पादन- गुजरवाड़ा (जयपुर), बांदर-सिंदरी (अजमेर), शिकारबाड़ी (उदयपुर)
13. आण्विक खनिज (Nuclear Minerals)-
- (अ) यूरेनियम
- (ब) थोरियम
(अ) यूरेनियम (Uranium)-
- उत्पादन क्षेत्र-
- (I) खंडेला-रोहिला क्षेत्र (सीकर)
- (II) उमरा (उदयपुर)
- (III) रामगढ़ (बारां)
(ब) थोरियम (Thorium)-
- केवल भंडारण-
- (I) भद्रावन (पाली)
- (II) सरदारपुरा (भीलवाड़ा)
14. ऊर्जा खनिज (Energy Minerals)-
- ऊर्जा खनिज अवसादी चट्टानों (Sedimentary Rocks) में पाये जाते हैं।
- (अ) पेट्रोलियम
- (ब) प्राकृतिक गैस
- (स) कोयला
- भंडारण- 4 बेसिन एवं 14 जिलों में है। जैसे-
- (A) बाड़मेर सांचौर बेसिन- 2 जिले (सांचौर, बाड़मेर)- सर्वाधिक भंडारण व उत्पादन
- (B) जैसलमेर बेसिन या राजस्थान शेल्फ बेसिन- 1 जिला (जैसलमेर)
- (C) बीकानेर नागौर बेसिन- 5 जिले (श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, नागौर)
- (D) विन्ध्यन बेसिन- 6 जिले (कोटा, बारा, बूंदी, झालावाड़, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़)
- उत्पादन-
- जिला- स्थान (बेसिन)
- (A) बाड़मेर- नागाना (मंगला), कोसलू (सरस्वती), बायतू (ऐश्वर्या), गुढ़ा मालानी (रागैश्वरी)
- मंगला राजस्थान का पहला पेट्रोलियम कुआं है जो 29 अगस्त, 2009 में स्थापित किया गया।
- बाड़मेर के अन्य पेट्रोलियम कुएं-
- (I) भाग्यम
- (II) विजया
- (III) कामैश्वरी
- (IV) शक्ति
- (V) दुर्गा
- (B) जैसलमेर- बाघेवाला (PDVSA- वेनेजुएला की कंपनी), साधेवाला, तनोट, चिन्नेवाला
- (C) बीकानेर-
- (I) तुवरीवाला- बीकानेर
- (II) पूनम क्षेत्र- बीकानेर (खोज- OIL-Oil India Ltd द्वारा, उत्पादन क्षमता- 30000 बैरल प्रतिदिन)
- 1 बैरल = 159 लीटर
- भारत में सर्वाधिक पेट्रोलियम उत्पादन-
- 1. अपतटीय क्षेत्र (बॉम्बेहाई- 40 %)
- 2. राजस्थान- 20%
- 3. गुजरात
- 4. असम
- राजस्थान में सर्वाधिक पेट्रोलियम उत्पादन-
- 1. केयर्न एनर्जी (वर्तमान वेदांता द्वारा किया जाता है।)
- राजस्थान में पेट्रोलियम का सर्वाधिक उत्पादन- केन एनर्जी
पेट्रोलियम या क्रुड ऑयल के उपयोग-
- (I) पेट्रोल, डीजल, कैरोसीन या मिट्टी का तेल प्राप्त करने में उपयोगी।
- (II) पेट्रोल रासायनिक उद्योगों में उपयोगी।
- (III) सड़क निर्माण में उपयोगी।
- (IV) रंग उद्योग में उपयोगी।
- भंडारण- जैसलमेर (प्रथम)
- उत्पादन-
- 1. बाड़मेर (प्रथम स्थान)- गुढ़ा मालानी (रागैश्वरी)
- 2. जैसलमेर (दूसरा स्थान)- डांडेवाला, गुमानेवाला, रामगढ़, तनोट, मनिहारी टिब्बा, घोटारू
- प्राकृतिक गैस का प्रथम कुआं- घोटारू (जैसलमेर)
- निर्माणकाल के आधार पर कोयला-
- निर्माणकाल के आधार पर कोयला 2 प्रकार का होता है। जैसे-
- 1. गौंडवानालैंड काल या कार्बोनीफेरस काल (Carboniferous Age)- भारत में 98%
- 2. टर्शियरी काल- भारत में 2%, राजस्थान में 100%
- राजस्थान में केवल टर्शियरी काल का कोयला है।
- कार्बन प्रतिशत या मात्रा के अनुसार कोयले की श्रेणीयां या प्रकार- 4 प्रकार जैसे-
- कोयला- कार्बन की मात्रा
- A- एन्थ्रासाईट- 95% (काला व चमकीला)
- B- बिटुमीनस 60-70% (काला-भूरा) (भारत में सर्वाधिक पाया जाता है।)
- L- लिग्नाइट 50-60% (भूरा) (राजस्थान में सर्वाधिक पाया जाता है।)
- P- पीट 50% से कम (हल्का भूरा)
- 1. बाड़मेर (प्रथम स्थान)- कपुरड़ी, जालीपा, गिरल, भादरेस
- 2. बीकानेर (दूसरा स्थान)- बीठनोक, बरसिंगसर, पलाना, गुढ़ा या गुरहा
- 3. नागौर (तीसरा स्थान)- मेड़ता सिटी, मातासुख-कसनाऊ क्षेत्र, ईग्यार क्षेत्र
कोयले के उपयोग-
- (I) तापीय ऊर्जा के उत्पादन में उपयोगी।
- (II) अंगीठी में उपयोगी।
- (III) रेलवे ईंधन बनाने में उपयोगी।
- (IV) इस्त्री या प्रेस में उपयोगी।
- राजस्थान में तीन प्रकार की खनिज नीतियां है। जैसे-
- (अ) सामान्य खनिज नीति
- (ब) एम-सैंड नीति
- (स) मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति
(अ) सामान्य खनिज नीति-
- उद्देश्य- खनिज आधारित नवीनतम उद्योगों को आदिवासी व पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित किया जायेगा।
- सामान्य खनिज नीति में किये गये प्रावधान निम्न है-
- 1. खनिजों का वैज्ञानिक विदोहन करना।
- 2. 31 प्रधान खनिज व गौंण खनिज के लिए खनन पट्टे न्यूनतम चार हेक्टेयर पर जारी किये जायेंगे।
- 3. सैंड स्टोन खनन पट्टे न्यूनतम एक हेक्टेयेर पर जारी किये जायेंगे।
- 4. बजरी खनन पट्टे न्यूनतम 5 हेक्टेयर व अधिक 50 हेक्टेयर पर जारी किये जायेंगे।
- 5. अवैध खनन करने पर 5 साल की सजा व 5 लाख रुपये का जुर्माना होगा।
- 6. लॉटरी वाले खनिजों का लॉक इन पीरियड 1 वर्ष का रखा गया है।
- 7. खनन लाइसेंस की अवधि को 15 वर्ष से बढ़ाकर 30 वर्ष किया गया है।
- 8. वैध खनन क्षेत्रों में विवादों को सुलझाने के लिए सेटलमेंट कमेटी का गठन किया जायेगा।
- 9. नवीनतम खनिज नीति में मिनरल्स डायरेक्टरी का प्रावधान रखा गया है। जिसमें खनिजों के भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्रों को दर्शाया जायेगा।
- 10. राज्य की जीडीपी में खनिज के योगदान को बढ़ाना।
- राजस्थान में अब तक कुल 5 सामान्य खनिज नीतियां जारी की जा चुकी है। जैसे-
- 1. पहली खनिज नीति- 1978
- 2. दूसरी खनिज नीति- 1991
- 3. तीसरी खनिज नीति- 1994
- 4. चौथी खनिज नीति- 2011
- 5. पाँचवी खनिज नीति- 4 जून, 2015
(ब) एम-सेंड नीति (मैन्यूफैक्चर्ड सेंड नीति)-
- एम सेंड अर्थात् यह कृत्रिम रेत है जिसे खनिजों (पत्थर) को पीसकर बनाया जाता है। जो IS Code मानक 383 : 2016 द्वारा निर्धारित होता है।
- एम सेंड को ग्रेनाईट से प्राप्त किया जायेगा।
- एम सेंड का उपयोग सरकारी भवनों के निर्माण में 25% अनिवार्य किया गया है। जिसे 50% तक बढ़ाया जा सकता है।
- राजस्थान में अब तक एक एम सेंड नीति जारी की जा चुकी है। जैसे-
- 1. राजस्थान में पहली एम सेंड नीति 25 जनवरी 2021 को जारी की गई है।
- उद्देश्य-
- 1. खदानों से उत्पन्न अपशिष्ट की समस्या का समाधान करना अर्थात् खदानों से निकलने वाले अपशिष्ट का उचित उपयोग करना।
- 2. नदियों से उत्पादित बजरी पर निर्भरता को कम करना।
- 3. बजरी का सस्ता एवं सुगम विकल्प उपलब्ध करवाना।
- 4. खनिज आधारित उद्योगों व स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना बढ़ाना।
- 5. पर्यावरण को संरक्षित करना तथा पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना।
(स) मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति-
- राजस्थान में अब तक एक मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति जारी की जा चुकी है। जैसे-
- 1. राजस्थान की पहली मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति- 2002
- विजन 2020- यह खनिज क्षेत्र में 15 अगस्त, 1999 को जारी किया गया था।
- मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति में किये गये प्रावधान निम्न है।-
- 1. खनिजों का वैज्ञानिक या सतत् पोषणीय विदोहान।
- 2. खनन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना।
- 3. जीडीपी में खनिज के योगदान को बढ़ाना।
(F) राजस्थान में खनिज संस्थान (Minerals Institutes in Rajasthan)-
- 1. RSMML
- 2. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड
- 3. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड
- 4. HPCL पेट्रोलियम रिफाइनरी
1. RSMML-
- RSMML Full Form = Rajasthan State Mines and Minerals Ltd.
- RSMML का पूरा नाम = राजस्थान राज्य खान एवं खनिज निगम
- स्थापना- 1974
- मुख्यालय- उदयपुर
2. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड-
- स्थापना- 1966
- मुख्यालय- देबारी (उदयपुर)
- जिंक स्मेल्टर प्लांट की स्थापना 2005 में चंदेरिया (चित्तौड़गढ़) में की गई थी।
3. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड-
- स्थापना- 1967
- मुख्यालय- खेतड़ी (झुंझुनूं जिला, राजस्थान)
हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की परियोजनाएं-
- (I) खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट- झुंझुनूं
- (II) चांदमारी कॉपर प्रोजेक्ट- झुंझुनूं
- (III) खो-दरीबा कॉपर प्रोडेक्ट- अलवर
4. HPCL पेट्रोलियम रिफाइनरी-
- HPCL- हिन्दूस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड
- स्थान- पचपदरा (पचपदरा में निर्माणाधीन)
- बजट- 43129 करोड़
- सहयोग- HPCL : राजस्थान सरकार = 74% : 26%
- क्षमता- 9 MMTPA (Million Metric Tons Per Annum/ 9मिलियम मैट्रिक टन प्रतिवर्ष)
- विशेषताएं-
- (I) यह राजस्थान की पहली पेट्रोलियम रिफाइनरी है।
- (II) यह भारत की 26वीं पेट्रोलियम रिफाइनरी है।
- (III) इस रिफाइनरी का मानक BS-VI (Bharat Stage-VI) होगा।
- (IV) रिफाइनरी के साथ पेट्रो-केमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना भी की जाएगी।