Ads Area

राजस्थान में खनिज संसाधन (Mineral Resources in Rajasthan)

राजस्थान में खनिज सम्पदा (Mineral Resources in Rajasthan)- धात्विक व अधात्विक खनिज (Metallic & Non Metallic Mineral)

  • (A) खनिज दृष्टिकोण (Minerals View)
  • (B) खनिज- चट्टाने (Mineral- Rocks)
  • (C) खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals)
  • (D) खनिज उत्पादन (Minerals Production)
  • (E) राजस्थान में खनिज नीतियां (Mineral Policies in Rajasthan)
  • (F) राजस्थान में खनिज संस्थान (Minerals Institutes in Rajasthan)


(A) खनिज दृष्टिकोण (Minerals View)-

    • 1. खनिज विविधता (Mineral Diversity)
    • 2. खनिज भंडारण (Minerals Storage)
    • 3. खनिज उत्पादन (Minerals Production)
    • 4. खनिज आय (Minerals Income)


          1. खनिज विविधता (Mineral Diversity)-

          • भारत में खनिज विविधता की दृष्टि से राजस्थान का पहला स्थान

          • राजस्थान में कुल 81 प्रकार के खनिज पाये जाते हैं।

          • राजस्थान को खनिजों का अजायबघर कहते हैं।


          2. खनिज भंडारण (Minerals Storage)-

          • भारत में खनिज भंडारण की दृष्टि से पहला स्थान झारखंड (छोटा नागपुर का पठार) का है।

          • भारत में खनिज भंडारण की दृष्टि से दूसरा स्थान राजस्थान का है।

          • अरावली को राजस्थान का खनिज भंडार गृह कहते हैं।


          3. खनिज उत्पादन (Minerals Production)-

          • खनिज उत्पादन की दृष्टि से राजस्थान का भारत में दूसरा स्थान है।
          • राजस्थान में कुल 58 प्रकार के खनिजों का उत्पादन होता है।
          • भारत के कुल खनिज उत्पादन का राजस्थान 22% खनिज उत्पादित करता है।
          • राजस्थान में खनिज उत्पादन जैसे (100%)-
          • (I) धात्विक खनिज (Metallic Mineral)- 15%
          • (II) अधात्विक खनिज (Non Metallic Mineral)- 25%
          • (III) अन्य खनिज (Other Mineral)- 60%
          • भारत में अधात्विक खनिजों की दृष्टि से राजस्थान का पहला स्थान है।


          4. खनिज आय (Minerals Income)-

          • भारत में खनिज आय की दृष्टि से राजस्थान का पहला स्थान है क्योंकि राजस्थान से कीमती अधात्विक खनिजों का उत्पादन होता है। जैसे- पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयला, ग्रेनाईट, मार्बल


          (B) खनिज- चट्टाने (Mineral- Rocks)-

            • राजस्थान में खनिज निम्न चट्टानों में पाये जाते हैं।

            • 1. अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)
            • 2. धारवाड़ चट्टानें (Dharwar Rocks)
            • 3. विन्ध्यन चट्टानें (Vindhyan Rocks)


                1. अवसादी चट्टानें (Sedimentary Rocks)-

                • अवसादी चट्टानें पश्चिमी राजस्थान में पायी जाती है।
                • अवसादी चट्टानों में ऊर्जा खनिज या अधात्विक खनिज अधिक पाये जाते हैं। जैसे-
                • (I) पेट्रोलियम
                • (II) प्राकृतिक गैस
                • (III) कोयला


                2. धारवाड़ चट्टानें (Dharwar Rocks)-

                • धारवाड़ चट्टानें (आग्नेय चट्टानें) अरावली में पायी जाती है।
                • धारवाड़ चट्टानों में धात्विक खनिज अधिक पाये जाते हैं। जैसे-
                • (I) तांबा
                • (II) लौहा
                • (III) सीसा-जस्ता-चाँदी

                • धारवाड़ चट्टानें सबसे कीमती होती है।


                3. विन्ध्यन चट्टानें (Vindhyan Rocks)-

                • विन्ध्यन चट्टानें राजस्थान के हाड़ौती क्षेत्र में पायी जाती है।
                • विन्ध्यन चट्टानों में खनिज पत्थर अधिक पाये जाते हैं। जैसे-
                • (I) बलूआ पत्थर (Sand Stone)
                • (II) चूना पत्थर (Lime Stone)
                • (III) कोटा स्टोन (Kota Stone)
                • (IV) लाल पत्थर (Red Stone)


                (C) खनिजों का वर्गीकरण (Classification of Minerals)-

                • 1. धात्विक खनिज (Metallic Mineral)

                • 2. अधात्विक खनिज (Non Metallic Mineral)


                1. धात्विक खनिज (Metallic Mineral)-

                • (अ) लौह धात्विक खनिज- कोबाल्ट, क्रोमाइट, लोहा, मैंगनीज, टंगस्टन, टाईटेनियम
                • (ब) अलौह धात्विक खनिज- सोना, चाँटी, प्लेटिनम, सीसा, जस्ता, टिन, ताबां, बॉक्साईट, एल्युमिनियम, मैग्नीशियम, पारा या मर्करी
                • सीसी-जस्ता को जुड़वा खनिज (Twin Minerals) कहा जाता है।


                2. अधात्विक खनिज (Non Metallic Mineral)-

                • अधात्विक खनिज- अभ्रक या माईका, जिप्सम, क्ले खनिज, खनिज पत्थर, ऊर्जा खनिज (पेट्रोलियम, प्राकृतिक गैस, कोयल)
                • भारत में अभ्रक का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य आंध्रप्रदेश है।
                • भारत में अभ्रक का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक राज्य राजस्थान है।
                • भारत में अभ्रक का तीसरा सबसे बड़ा उत्पादन राज्य झारखंड है।


                अभ्रक या माईका के उपयोग-

                • (I) विद्युत उपकरणों में उपयोगी।
                • (II) ईमारत बनाने में उपयोगी।

                • (III) पॉलीथीन बनाने में उपयोगी।


                (D) खनिज उत्पादन (Minerals Production)-

                    • 1. अरावली पेटी के खनिज (Minerals of Aravalli Belt)
                    • 2. वागड़ पेटी के खनिज (Minerals of Vagad Belt)
                    • 3. क्ले खनिज (Clay Minerals)
                    • 4. खनिज पत्थर (Stone Minerals)
                    • 5. पोटाश (Potash)
                    • 6. अरावली क्षेत्र के खनीज (Minerals of Aravalli Zone/Region)
                    • 7. जिप्सम (Gypsum)
                    • 8. टंगस्टन (Tungsten)
                    • 9. एकाधिकार वाले खनिज (100%) या पूर्णतः राजस्थान से उत्पादिक खनिज
                    • 10. बेंटोनाइट (Bentonite)
                    • 11. बॉक्साइट (Bauxite)
                    • 12. बेरिलियम (Beryllium)
                    • 13. आण्विक खनिज (Nuclear Minerals)

                    • 14. ऊर्जा खनिज (Energy Minerals)


                    1. अरावली पेटी के खनिज (Minerals of Aravalli Belt)-

                      • (I) तांबा (Copper)

                      • (II) लोह अयस्क (Iron Ore)

                      • (III) सीसा-जस्ता एवं चाँदी (Lead-Zinc & Silver)


                      (I) तांबा (Copper)-

                      • भंडार- राजस्थान में तांबा सर्वाधिक झुंझुनूं, सीकर, चूरू, अलवर, अजमेर, भीलवड़ा, उदयपुर एवं चित्तौड़गढ़ जिलों में भंडारित है।
                      • उत्पादन क्षेत्र या खान-
                      • झुंझुनू- कोल्हन, खेतड़ी, चांदमारी, मदान-कूदान
                      • सीकर- बन्नों की ढ़ाणी (नीम का थाना)
                      • चूरू- बिदासर
                      • अलवर- खो-दरिबा
                      • अजमेर- हनोतिया, सावर
                      • भीलवाड़ा- देवतलाई, पुर बनेड़ा, दरिबा-बनेड़ा
                      • उदयपुर- अंजनी-सलूम्बर
                      • चित्तौड़गढ़- भागेल-बारी
                      • उपयोग-
                      • विद्युत तार बनाने में उपयोगी।
                      • ओटोमोबाईल उद्योग में उपयोगी।
                      • बर्तन बनाने में उपयोगी।
                      • यंत्र या उपकरण बनाने में उपयोगी।


                      (II) लोह अयस्क (Iron Ore)-

                      • भंडार- राजस्थान में लोहे की मैग्नेटाइट एवं हैमेटाइट किस्में पायी जाती है। जिनका भंडारण जयपुर, दौसा, सीकर, झुंझुनूं, उदयपुर एवं भीलवाड़ा में है।
                      • उत्पादन क्षेत्र- 
                      • झुंझुनूं- सिंघाना-खेतड़ी
                      • सीकर- डाबला
                      • जयपुर- मोरिजा-बानोला
                      • दौसा- नीमला-रायसैला
                      • भीलवाड़ा- तिरंगा क्षेत्र

                      • उदयपुर- नाथरा की पाल, थूर हुण्डेर
                      • उपयोग-
                      • ऑटोमोबाइल उद्योग में उपयोगी।
                      • रेलवे संबंधि उपकरणों में उपयोगी।
                      • इमारतों के निर्माण में उपयोगी।
                      • सड़क एवं पूल निर्माण में उपयोगी।


                      (III) सीसा-जस्ता एवं चाँदी (Lead-Zinc & Silver)-

                      • सीसा-जस्ता एवं चाँदी भंडार- राजस्थान में सीसा-जस्ता एवं चाँदी भणडारण भीलवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, सवाई माधोपुर (चौथ का बरवाड़ा) एवं अलवर (गुढ़ा-किशोरीदासपुरा) में है।
                      • सीसा-जस्ता एवं चाँदी के उत्पादन क्षेत्र-
                      • भीलवाड़ा- रामपुरा-आगुचा, गुलाबपुरा-आगुचा
                      • राजसमंद- राजपुरा-दरिबा, सिंदेसर खुर्द, सिंदेसर कला
                      • उदयपुर- जावरमाल (वर्तमान सलूम्बर)
                      • सीसा-जस्ता एवं चाँदी की सबसे पुरानी खान जावरमाला (वर्तमान सलूम्बर) है।
                      • सीसा-जस्ता का मुख्य अयस्क गैलेना है।
                      • सीसा अयस्क का उपयोग-
                      • बूलेट्स या कारतूस निर्माण में उपयोगी।
                      • शुष्क सेल के निर्माण में उपयोगी।
                      • रंग बनाने में उपयोगी।
                      • जस्ता या जिंक का उपयोग-
                      • औषधी बनाने में उपयोगी।
                      • रंग बनाने में उपयोगी।
                      • ऑटोमोबाईल उद्योग में ऑटो पार्ट्स बनाने में उपयोगी।
                      • चाँदी का उपयोग-
                      • आभूषण निर्माण में उपयोगी।
                      • पदक व सिक्के बनाने में उपयोगी।
                      • विद्युत उपकरणों में उपयोगी।
                      • औषधि उपयोग में।


                      2. वागड़ पेटी के खनिज (Minerals of Vagad Belt)-

                        • (I) सोना (Gold)
                        • (II) हीरा (Diamond)
                        • (III) मैंगनीज (Manganese)
                        • (IV) फ्लोराईट या फ्लोर्सपार (Fluorspar)


                              (I) सोना (Gold)-

                              • भंडार- राजस्थान में सोने का भंडारण बांसवाड़ा, उदयपुर एवं भीलवाड़ा में है।
                              • उत्पादन क्षेत्र-
                              • (A) बांसवाड़ा- आनंदपुरा-भूकिया, जगपुरा-भूकिया, घोटिया-अम्बा
                              • (B) भीलवाड़ा- देवतलाई (सोना एवं तांबा)
                              • उपयोग-
                              • (A) आभूषण निर्माण में उपयोगी।
                              • (B) पदक व सिक्के बनाने में उपयोगी।
                              • (C) तकनीकी उपकरणों (कंप्यूटर) में उपयोगी।
                              • (D) औषधि उपयोग में।


                              (II) हीरा (Diamond)-

                              • भंडार- राजस्थान में हीरे का भंडारण प्रतापगढ़ में है।
                              • उत्पादन क्षेत्र-
                              • (A) प्रतापगढ़- हीरा-केसरपुरा
                              • उपयोग-
                              • (A) आभूषण बनाने में उपयोगी।
                              • (B) काँच को काटने में उपयोगी।
                              • (C) सजावटी सामान बनाने में उपयोगी।


                              (III) मैंगनीज (Manganese)-

                              • भंडार- राजस्थान में मैंगनीज का भंडारण बांसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर एवं राजसमंद में है।
                              • उत्पादन क्षेत्र-
                              • (A) बांसावड़ा- लीलवानी, कालाखूंटा, तलवाड़ा
                              • उपयोग-
                              • (A) इस्पात बनाने में उपयोगी।
                              • (B) रंग और उपकरण बनाने में उपयोगी।


                              (IV) फ्लोराईट या फ्लोर्सपार (Fluorspar)-

                              • भंडार- राजस्थान में फ्लोराईट या फ्लोर्सपार का भंडारण डूंगरपुर में है।

                              • उत्पादन- मांडो की पाल (डूंगरपुर)


                              3. क्ले खनिज (Clay Minerals)-

                              • उत्पादन-
                              • (I) बॉल-क्ले (Ball Clay) या बीकानेर क्ले (Bikaner Clay)- बीकानेर
                              • (II) फायर क्ले (Fire Clay)- बीकानेर
                              • (III) चीनी मिट्टी (China Clay)- बीकानेर, सीकर
                              • (IV) ब्लीचिंग क्ले (Bleaching Clay) या फूलर्स अर्थ (Fuller's Earth) या मुल्तानी मिट्टी (Multani Mitti)- बाड़मेर, बीकानेर

                              • ब्लीचिंग क्ले या मुल्तानी मिट्टी के उपयोग-
                              • (I) सौंदर्य प्रसाधन बनाने में उपयोगी।
                              • (II) साबुन में उपयोगी।
                              • (III) नमकीन या भोजन बनाने में उपयोगी।


                              विशेष- सिलिका रेत (Silica Sand)-

                              • उत्पादन- बूंदी (बाड़ोदिया), जयपुर


                              4. खनिज पत्थर (Stone Minerals)-

                              • उत्पादन-

                              • (I) स्लेट स्टोन- अलवर
                              • (II) बलुआ पत्थर- बंसीपहाड़पुर (भरतपुर)
                              • (III) लाल पत्थर या धौलपुर स्टोन- धौलपुर (सर्वाधिक), करौली
                              • (IV) कोटा स्टोन- कोटा (सर्वाधिक), चित्तौड़गढ़
                              • (V) मार्बल या संगमरमर- राजसमंद
                              • (VI) ईमारती पत्थर- जोधपुर
                              • (VII) ग्रेनाईट- जालौर (सर्वाधिक), बाड़मेर, सिरोही, अजमेर

                              • पत्थर के उपयोग-
                              • (I) ईमारते बनाने में उपयोगी।
                              • (II) मूर्तियां बनाने में उपयोगी।
                              • (III) सड़क निर्माण में उपयोगी।
                              • (IV) फर्श बनाने में उपयोगी पत्थर जैसे- संगमरमर, ग्रेनाईट, कोटा स्टोन


                              मार्बल या संगमरमर की अन्य किस्में-

                              • उत्पादन-

                              • (I) सफेद मार्बल- मकराना (डीडवाना कुचामन- पहले नागौर)
                              • (II) काला मार्बल- भैंसलाना (जयपुर ग्रामीण- पहले जयपुर)
                              • (III) पीला मार्बल- पीथला (जैसलमेर)
                              • (IV) सतरंगी मार्बल- खांदरा (पाली)
                              • (V) हरा मार्बल- ऋषभदेव (उदयपुर)
                              • (VI) गुलाबी मार्बल- ऋषभदेव (उदयपुर), बाबरमाल (उदयपुर), जालौर, भरतपुर
                              • राजस्थान में मार्बल या संगमरमर सर्वाधिक राजसमंद से उत्पादित होता है क्योंकि राजसमंद में मार्बल या संगमरमर की उत्पादक इकाइयां अधिक है।


                              चूना पत्थर (Limestone)-

                              • उत्पादन-

                              • (I) स्टील ग्रेड- सोनू क्षेत्र (जैसलमेर)
                              • (II) केमिकल ग्रेड (सफेद चूना पत्थर)- जोधपुर, नागौर
                              • (III) सीमेंट ग्रेड- चित्तौड़गढ़, कोटा
                              • चूना पत्थर की सबसे अच्छी किस्म स्टील ग्रेड है।

                              • राजस्थान में चूना पत्थर का सर्वाधिक उत्पादन जोधपुर से होता है।
                              • चूना पत्थर के उपयोग-
                              • (I) सीमेंट उद्योग में उपयोगी।
                              • (II) भवन निर्माण में उपयोगी।
                              • (III) घरों में रंग के रूप में उपयोगी।
                              • (IV) तंबाकू के साथ उपयोगी।


                              5. पोटाश (Potash)-

                              • भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
                              • (I) हनुमानगढ़
                              • (II) बीकानेर
                              • (III) श्री गंगानगर
                              • (IV) चूरू


                              6. अरावली क्षेत्र के खनीज (Minerals of Aravalli Zone/Region)-

                              • भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
                              • (I) केल्साइट- सीकर
                              • (II) पाइराइट्स- सलादीपुरा (सीकर)
                              • (III) वर्मीक्यूलाइट- अजमेर
                              • (IV) क्वार्ट्ज- अजमेर
                              • (V) लिथियम- अजमेर
                              • (VI) फेलस्पार- अजमेर
                              • (VII) ग्रेफाइट- अजमेर (सर्वाधिक), अलवर
                              • (VIII) एस्बेस्टॉस- ऋषभदेव (उदयपुर), खेरवाड़ा (उदयपुर)
                              • (IX) घीयापत्थर (Soap Stone)- देवपुरा-सालोज (उदयपुर)
                              • (X) रॉक फॉस्फेट- झामर-कोटड़ा (उदयपुर- सर्वाधिक), लाठी-बिरमानिया क्षेत्र (जैसलमेर)
                              • केल्साइट के उपयोग-
                              • (I) रंग बनाने में उपयोगी।
                              • (II) तेजाब बनाने में उपयोगी।
                              • लीथियम के उपयोग-
                              • (I) मिश्रित धातु बनाने में उपयोगी।
                              • (II) इलेक्ट्रॉनिक वाहनों में उपयोगी।
                              • (III) रिचार्जेबल बैटरी बनाने में उपयोगी। (लेपटॉप, मोबाईल)
                              • ग्रेफाइट के उपयोग-
                              • (I) पेंसिल बनाने में उपयोगी।
                              • (II) परमाणु ऊर्जा में मंदक के रूप में उपयोगी।
                              • ऐस्बेस्टॉस के उपयोग-
                              • (I) ईमारते बनाने में उपयोगी।
                              • (II) टाइल्स बनाने में उपयोगी। (सिरेमिक)
                              • (III) सीमेंट की चद्दर बनाने में उपयोगी।
                              • (IV) तापरोधी उपकरणों में उपयोगी।

                              • (V) फॉल्स सीलिंग में उपयोग किया जाता है।


                              7. जिप्सम (Gypsum)-

                              • भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
                              • (I) नागौर- गौठ-मांगलोद, भदवासी
                              • (II) श्री गंगानगर
                              • (III) बीकानेर- जामसर, लूणकरणसर
                              • (IV) जैसलमेर- पोकरण, चांदन, मोहनगढ़
                              • (V) बाड़मेर- कवास, उत्तरलाई
                              • राजस्थान में जिप्सम की सबसे बड़ी खान जामसर (बीकानेर) है।

                              • राजस्थान में जिप्सम का सर्वाधिक उत्पादन बीकानेर से होता है।
                              • उपयोग-
                              • (I) सीमेंट उद्योग में उपयोगी।
                              • (II) रासायनिक उर्वरकों में उपयोगी।
                              • (III) प्लास्टर ऑफ पेरिस में उपयोगी।


                              8. टंगस्टन (Tungsten)-

                              • भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्र-
                              • (I) नागौर- रेवत की पहाड़ी (डेगाना)
                              • (II) पाली- नाना कराब
                              • (III) सिरोही- आबू-रेवदर, बाल्दा या वाल्दा
                              • भारत में टंगस्टन की सबसे बड़ी खान "रेवत की पहाड़ी" (डेगाना, नागौर) है जो वर्तमान में बंद है।
                              • उपयोग-
                              • (I) विद्युत उपकरणों या बल्ल बनाने में उपयोगी।
                              • (II) बुलेट्स बनाने में उपयोगी।


                              9. एकाधिकार वाले खनिज (100%) या पूर्णतः राजस्थान से उत्पादिक खनिज-

                              • पुराने आंकड़े-
                              • (I) वॉलेस्टोनाइट- बेल का मागरा (सिरोही)
                              • (II) जास्पर- जोधपुर
                              • (III) रक्तमणि (गार्नेट या तामड़ा)- राजमहल (टोंक), जनकपुर (टोंक), सरवाड़ (अजमेर)
                              • (IV) ऑकर (लाल गेरु)- चित्तौड़गढ़
                              • (V) पन्ना (हरी अग्नि)- टिक्की (राजसमंद), देवगढ़ (राजसमंद), आमेट (राजसमंद), कालागुमान खान (राजसमंद), बुबानी क्षेत्र (अजमेर) मुहामी क्षेत्र (अजमेर)
                              • पन्ना सर्वाधिक राजसमंद दूसरे स्थान पर अजमेर से उत्पादित होता है।
                              • आर्थिक समीक्षा 2022-23 के अनुसार राजस्थान के एकाधिकार वाले खनिज-
                              • (I) सीसा
                              • (II) जस्ता
                              • (III) सेलेनाइट (जिप्सम)
                              • (IV) वॉलेस्टोनाइट
                              • वॉलेस्टोनाईट के उपयोग-
                              • (I) पेंट या रंग बनाने में उपयोगी।
                              • (II) कल्च एवं ब्रेक बनाने में उपयोगी।
                              • (III) कागज एवं सिरेमिक उद्योग में उपयोगी।


                              10. बेंटोनाइट (Bentonite)-

                              • उत्पादन- बाड़मेर (सर्वाधिक), बीकानेर


                              11. बॉक्साइट (Bauxite)-

                              • उत्पादन- कोटा


                              12. बेरिलियम (Beryllium)-

                              • उत्पादन- गुजरवाड़ा (जयपुर), बांदर-सिंदरी (अजमेर), शिकारबाड़ी (उदयपुर)


                              13. आण्विक खनिज (Nuclear Minerals)-

                              • (अ) यूरेनियम
                              • (ब) थोरियम


                              (अ) यूरेनियम (Uranium)-

                              • उत्पादन क्षेत्र-
                              • (I) खंडेला-रोहिला क्षेत्र (सीकर)
                              • (II) उमरा (उदयपुर)
                              • (III) रामगढ़ (बारां)


                              (ब) थोरियम (Thorium)-

                              • केवल भंडारण-
                              • (I) भद्रावन (पाली)
                              • (II) सरदारपुरा (भीलवाड़ा)


                              14. ऊर्जा खनिज (Energy Minerals)-

                              • ऊर्जा खनिज अवसादी चट्टानों (Sedimentary Rocks) में पाये जाते हैं।
                              • (अ) पेट्रोलियम
                              • (ब) प्राकृतिक गैस
                              • (स) कोयला


                              (अ) पेट्रोलियम-

                              • भंडारण- 4 बेसिन एवं 14 जिलों में है। जैसे-
                              • (A) बाड़मेर सांचौर बेसिन- 2 जिले (सांचौर, बाड़मेर)- सर्वाधिक भंडारण व उत्पादन
                              • (B) जैसलमेर बेसिन या राजस्थान शेल्फ बेसिन- 1 जिला (जैसलमेर)
                              • (C) बीकानेर नागौर बेसिन- 5 जिले (श्री गंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर, चूरू, नागौर)
                              • (D) विन्ध्यन बेसिन- 6 जिले (कोटा, बारा, बूंदी, झालावाड़, भीलवाड़ा, चित्तौड़गढ़)
                              • उत्पादन-
                              • जिला- स्थान (बेसिन)
                              • (A) बाड़मेर- नागाना (मंगला), कोसलू (सरस्वती), बायतू (ऐश्वर्या), गुढ़ा मालानी (रागैश्वरी)
                              • मंगला राजस्थान का पहला पेट्रोलियम कुआं है जो 29 अगस्त, 2009 में स्थापित किया गया।
                              • बाड़मेर के अन्य पेट्रोलियम कुएं-
                              • (I) भाग्यम
                              • (II) विजया
                              • (III) कामैश्वरी
                              • (IV) शक्ति
                              • (V) दुर्गा

                              • (B) जैसलमेर- बाघेवाला (PDVSA- वेनेजुएला की कंपनी), साधेवाला, तनोट, चिन्नेवाला
                              • (C) बीकानेर-
                              • (I) तुवरीवाला- बीकानेर
                              • (II) पूनम क्षेत्र- बीकानेर (खोज- OIL-Oil India Ltd द्वारा, उत्पादन क्षमता- 30000 बैरल प्रतिदिन)
                              • 1 बैरल = 159 लीटर


                              विशेष-

                              • भारत में सर्वाधिक पेट्रोलियम उत्पादन-
                              • 1. अपतटीय क्षेत्र (बॉम्बेहाई- 40 %)
                              • 2. राजस्थान- 20%
                              • 3. गुजरात
                              • 4. असम
                              • राजस्थान में सर्वाधिक पेट्रोलियम उत्पादन-
                              • 1. केयर्न एनर्जी (वर्तमान वेदांता द्वारा किया जाता है।)
                              • राजस्थान में पेट्रोलियम का सर्वाधिक उत्पादन- केन एनर्जी


                              पेट्रोलियम या क्रुड ऑयल के उपयोग-

                              • (I) पेट्रोल, डीजल, कैरोसीन या मिट्टी का तेल प्राप्त करने में उपयोगी।

                              • (II) पेट्रोल रासायनिक उद्योगों में उपयोगी।
                              • (III) सड़क निर्माण में उपयोगी।

                              • (IV) रंग उद्योग में उपयोगी।


                              (ब) प्राकृतिक गैस-

                              • भंडारण- जैसलमेर (प्रथम)
                              • उत्पादन-
                              • 1. बाड़मेर (प्रथम स्थान)- गुढ़ा मालानी (रागैश्वरी)
                              • 2. जैसलमेर (दूसरा स्थान)- डांडेवाला, गुमानेवाला, रामगढ़, तनोट, मनिहारी टिब्बा, घोटारू
                              • प्राकृतिक गैस का प्रथम कुआं- घोटारू (जैसलमेर)


                              (स) कोयला-

                              • निर्माणकाल के आधार पर कोयला-
                              • निर्माणकाल के आधार पर कोयला 2 प्रकार का होता है। जैसे-
                              • 1. गौंडवानालैंड काल या कार्बोनीफेरस काल (Carboniferous Age)- भारत में 98%
                              • 2. टर्शियरी काल- भारत में 2%, राजस्थान में 100%
                              • राजस्थान में केवल टर्शियरी काल का कोयला है।
                              • कार्बन प्रतिशत या मात्रा के अनुसार कोयले की श्रेणीयां या प्रकार- 4 प्रकार जैसे-
                              • कोयला- कार्बन की मात्रा
                              • A- एन्थ्रासाईट- 95% (काला व चमकीला)
                              • B- बिटुमीनस 60-70% (काला-भूरा) (भारत में सर्वाधिक पाया जाता है।)
                              • L- लिग्नाइट 50-60% (भूरा) (राजस्थान में सर्वाधिक पाया जाता है।)
                              • P- पीट 50% से कम (हल्का भूरा)


                              कोयले के उत्पान क्षेत्र-
                              • 1. बाड़मेर (प्रथम स्थान)- कपुरड़ी, जालीपा, गिरल, भादरेस

                              • 2. बीकानेर (दूसरा स्थान)- बीठनोक, बरसिंगसर, पलाना, गुढ़ा या गुरहा

                              • 3. नागौर (तीसरा स्थान)- मेड़ता सिटी, मातासुख-कसनाऊ क्षेत्र, ईग्यार क्षेत्र


                              कोयले के उपयोग-

                              • (I) तापीय ऊर्जा के उत्पादन में उपयोगी।
                              • (II) अंगीठी में उपयोगी।
                              • (III) रेलवे ईंधन बनाने में उपयोगी।
                              • (IV) इस्त्री या प्रेस में उपयोगी।


                              (E) राजस्थान में खनिज नीतियां (Mineral Policies in Rajasthan)-

                              • राजस्थान में तीन प्रकार की खनिज नीतियां है। जैसे-
                              • (अ) सामान्य खनिज नीति
                              • (ब) एम-सैंड नीति
                              • (स) मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति


                              (अ) सामान्य खनिज नीति-

                              • उद्देश्य- खनिज आधारित नवीनतम उद्योगों को आदिवासी व पिछड़े क्षेत्रों में स्थापित किया जायेगा।
                              • सामान्य खनिज नीति में किये गये प्रावधान निम्न है-
                              • 1. खनिजों का वैज्ञानिक विदोहन करना।
                              • 2. 31 प्रधान खनिज व गौंण खनिज के लिए खनन पट्टे न्यूनतम चार हेक्टेयर पर जारी किये जायेंगे।
                              • 3. सैंड स्टोन खनन पट्टे न्यूनतम एक हेक्टेयेर पर जारी किये जायेंगे।
                              • 4. बजरी खनन पट्टे न्यूनतम 5 हेक्टेयर व अधिक 50 हेक्टेयर पर जारी किये जायेंगे।
                              • 5. अवैध खनन करने पर 5 साल की सजा व 5 लाख रुपये का जुर्माना होगा।
                              • 6. लॉटरी वाले खनिजों का लॉक इन पीरियड 1 वर्ष का रखा गया है।
                              • 7. खनन लाइसेंस की अवधि को 15 वर्ष से बढ़ाकर 30 वर्ष किया गया है।
                              • 8. वैध खनन क्षेत्रों में विवादों को सुलझाने के लिए सेटलमेंट कमेटी का गठन किया जायेगा।
                              • 9. नवीनतम खनिज नीति में मिनरल्स डायरेक्टरी का प्रावधान रखा गया है। जिसमें खनिजों के भंडारण एवं उत्पादन क्षेत्रों को दर्शाया जायेगा।

                              • 10. राज्य की जीडीपी में खनिज के योगदान को बढ़ाना।
                              • राजस्थान में अब तक कुल 5 सामान्य खनिज नीतियां जारी की जा चुकी है। जैसे-
                              • 1. पहली खनिज नीति- 1978
                              • 2. दूसरी खनिज नीति- 1991
                              • 3. तीसरी खनिज नीति- 1994
                              • 4. चौथी खनिज नीति- 2011
                              • 5. पाँचवी खनिज नीति- 4 जून, 2015


                              (ब) एम-सेंड नीति (मैन्यूफैक्चर्ड सेंड नीति)-

                              • एम सेंड अर्थात् यह कृत्रिम रेत है जिसे खनिजों (पत्थर) को पीसकर बनाया जाता है। जो IS Code मानक 383 : 2016 द्वारा निर्धारित होता है।
                              • एम सेंड को ग्रेनाईट से प्राप्त किया जायेगा।
                              • एम सेंड का उपयोग सरकारी भवनों के निर्माण में 25% अनिवार्य किया गया है। जिसे 50% तक बढ़ाया जा सकता है।

                              • राजस्थान में अब तक एक एम सेंड नीति जारी की जा चुकी है। जैसे-

                              • 1. राजस्थान में पहली एम सेंड नीति 25 जनवरी 2021 को जारी की गई है।

                              • उद्देश्य-

                              • 1. खदानों से उत्पन्न अपशिष्ट की समस्या का समाधान करना अर्थात् खदानों से निकलने वाले अपशिष्ट का उचित उपयोग करना।
                              • 2. नदियों से उत्पादित बजरी पर निर्भरता को कम करना।
                              • 3. बजरी का सस्ता एवं सुगम विकल्प उपलब्ध करवाना।
                              • 4. खनिज आधारित उद्योगों व स्थानीय स्तर पर रोजगार की संभावना बढ़ाना।
                              • 5. पर्यावरण को संरक्षित करना तथा पारिस्थितिकी तंत्र में सुधार करना।


                              (स) मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति-

                              • राजस्थान में अब तक एक मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति जारी की जा चुकी है। जैसे-
                              • 1. राजस्थान की पहली मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति- 2002
                              • विजन 2020- यह खनिज क्षेत्र में 15 अगस्त, 1999 को जारी किया गया था।
                              • मार्बल एवं ग्रेनाईट नीति में किये गये प्रावधान निम्न है।-
                              • 1. खनिजों का वैज्ञानिक या सतत् पोषणीय विदोहान।
                              • 2. खनन क्षेत्र में आधारभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना।
                              • 3. जीडीपी में खनिज के योगदान को बढ़ाना।


                              (F) राजस्थान में खनिज संस्थान (Minerals Institutes in Rajasthan)-

                                • 1. RSMML
                                • 2. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड
                                • 3. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड

                                • 4. HPCL पेट्रोलियम रिफाइनरी


                                1. RSMML-

                                • RSMML Full Form = Rajasthan State Mines and Minerals Ltd.
                                • RSMML का पूरा नाम = राजस्थान राज्य खान एवं खनिज निगम
                                • स्थापना- 1974
                                • मुख्यालय- उदयपुर


                                2. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड-

                                • स्थापना- 1966

                                • मुख्यालय- देबारी (उदयपुर)

                                • जिंक स्मेल्टर प्लांट की स्थापना 2005 में चंदेरिया (चित्तौड़गढ़) में की गई थी।


                                3. हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड-

                                • स्थापना- 1967

                                • मुख्यालय- खेतड़ी (झुंझुनूं जिला, राजस्थान)


                                हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड की परियोजनाएं-

                                • (I) खेतड़ी कॉपर प्रोजेक्ट- झुंझुनूं
                                • (II) चांदमारी कॉपर प्रोजेक्ट- झुंझुनूं
                                • (III) खो-दरीबा कॉपर प्रोडेक्ट- अलवर


                                4. HPCL पेट्रोलियम रिफाइनरी-

                                • HPCL- हिन्दूस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड
                                • स्थान- पचपदरा (पचपदरा में निर्माणाधीन)
                                • बजट- 43129 करोड़
                                • सहयोग- HPCL : राजस्थान सरकार = 74% : 26%
                                • क्षमता- 9 MMTPA (Million Metric Tons Per Annum/ 9मिलियम मैट्रिक टन प्रतिवर्ष)
                                • विशेषताएं-
                                • (I) यह राजस्थान की पहली पेट्रोलियम रिफाइनरी है।
                                • (II) यह भारत की 26वीं पेट्रोलियम रिफाइनरी है।
                                • (III) इस रिफाइनरी का मानक BS-VI (Bharat Stage-VI) होगा।
                                • (IV) रिफाइनरी के साथ पेट्रो-केमिकल कॉम्प्लेक्स की स्थापना भी की जाएगी।

                                Post a Comment

                                0 Comments

                                Top Post Ad

                                Below Post Ad