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भारत में वर्षा (Rainfall in India)

भारत में वर्षा (Rainfall in India)-

  • भारत में वार्षिक वर्षा का लगभग 75% भाग दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों द्वारा होता है।
  • ये पवनें भारत में दो शाखाओं के माध्यम से प्रवेश करती है। जैसे-
  • 1. अरब सागर शाखा (Arabian Sea Branch)
  • 2. बंगाल की खाड़ी की शाखा (Bay of Bengal Branch)


1. अरब सागर शाखा (Arabian Sea Branch)-

  • यह शाखा पूर्ण रूप से भारत में प्रवेश करती है अतः यह शाखा अधिक प्रबल है।
  • इस शाखा की 3 उपशाखाएं है। जैसे-
  • (I) हिमाचल शाखा (Himachal Branch)- उत्तरी शाखा
  • (II) छोटानागपुर शाखा (Chotanagpur Branch)- मध्यवर्ती शाखा
  • (III) पश्चिमी घाट शाखा (Western Ghat Branch)- दक्षिणी शाखा


(I) हिमाचल शाखा (Himachal Branch)-

  • यह अरब सागर शाखा की उत्तरी शाखा है।
  • यह शाखा काठयावाड़ प्रायद्वीप से भारत में प्रवेश करती है।
  • अरावली पर्वत के समानांतर चलने के कारण यह शाखा गुजरात एवं पश्चिमी राजस्थान में कम वर्षा करती है।
  • पंजाब, हरियाणा में यह शाखा बंगाल की खाड़ी की शाखा से मिलती है।
  • दोनों शाखाएं प्रबल होकर पश्चिमी हिमालय क्षेत्र में भारी वर्षा करती है।


(II) छोटानागपुर शाखा (Chotanagpur Branch)-

  • यह अरब सागर की शाखा की मध्यवर्ती शाखा है।
  • यह शाखा नर्मदा तथा तापी भ्रंश घाटी के माध्यम से भारत में प्रवेश करती है।
  • यह शाखा मध्यवर्ती भारत में वर्षा करती है।
  • बिहार में यह शाखा बंगाल की खाड़ी की शाखा से मिलती है।


(III) पश्चिमी घाट शाखा (Western Ghat Branch)-

  • यह अरब सागर की शाखा की दक्षिणी शाखा है।
  • यह शाखा पश्चिमी घाट के पश्चिमी ढाल से टकराकर ढाल के सहारे 900-1200 मीटर ऊपर उठती है तथा बादल निर्माण कर पवनाभिमुखी ढाल पर 200 cm से अधिक वर्षा करती है।
  • पश्चिमी घाट के पवनविमुखी ढाल पर कम वर्षा प्राप्त होती है।
  • पश्चिमी घाट के पीछे एक वृष्टि छाया क्षेत्र का निर्माण होता है।


2. बंगाल की खाड़ी की शाखा (Bay of Bengal Branch)-

  • यह शाखा आंशिक रूप से भारत में प्रवेश करती है।
  • यह शाखा अराकन योमा पर्वत से टकराने के बाद यह भारत की ओर विक्षेपित होती है।
  • यह शाखा दक्षिण-पूर्वी दिशा से भारत में प्रवेश करती है।
  • भारत में प्रवेश करने के बाद यह शाखा हिमालय पर्वत से टकराकर 2 उप शाखाओं में विभाजित होती है। जैसे-
  • (I) उत्तरी मैदानी शाखा (Northern Plain Branch)
  • (II) पूर्वी शाखा (Eastern Branch)


(I) उत्तरी मैदानी शाखा (Northern Plain Branch)-

  • यह बंगाल की खाड़ी की उत्तरी शाखा है।
  • मैदानी शाखा (उत्तरी मैदानी शाखा) उत्तर पश्चिमी भारत में बने निम्न दाब की ओर आकर्षित होती है।
  • यह शाखा गंगा के मैदान एवं पूर्वी राजस्थान में वर्षा करती है।
  • बिहार तथा पंजाब, हरियाणा में यहा शाखा अरब सागर की शाखा से मिलती है।


(II) पूर्वी शाखा (Eastern Branch)-

  • यह बंगाल की खाड़ी की पूर्वी शाखा है।
  • पूर्वी शाखा उत्तर-पूर्वी राज्यों में वर्षा करती है।
  • पूर्वी शाखा की एक उपशाखा कीपाकार रूप में विस्तृत गारो खासी और जयंतियां पहाड़ी क्षेत्र में भारी वर्षा करती है।


विशेष-

  • कोरोमण्डल तट पर दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों से वर्षा प्राप्त नहीं होती क्योंकि यह तट अरब सागर की शाखा के वृष्टिछाया क्षेत्र में स्थित है तथा बंगाल की खाड़ी की शाखा इस तट के समानांतर गुजरती है।


भारत में वर्षा की विशेषताएँ (Features of Rainfall of India)-

  • भारत में होने वाली वर्षा मौसमी है।
  • अधिकतम वर्षा दक्षिण-पश्चिम मानसून पवनों द्वारा प्राप्त होती है। भारत के मुख्य भू-भाग में प्रवेश करने के बाद उच्चावच एवं दाब परिस्थितियों के कारण इन पवनों की दिशा में परिवर्तन होता है।
  • भारत में मानसून वर्षा अचानक बादल के गरजने एवं बिजली के कड़कने के साथ शुरू होती है। इसे मानसून का प्रस्कोट (Burst) कहते हैं।
  • जिन दिनों में वर्षा प्राप्त होती है उन्हें आर्द्र दौर (Wet Spells) कहते हैं।
  • आर्द्र दौर के बीच में सूखे अंतराल (Dry Intervals) पाये जाते हैं जिन्हें मानसून का विच्छेद (Break) कहते हैं।
  • उत्तर भारत में विच्छेद की स्थिति ITCZ की स्थिति बदलने के कारण, वर्षा युक्त तुफानों की तीव्रता कम होने के कारण तथा उष्ण कटिबंधीय अवदाबों की आवृति कम होने के कारण बनती है। पश्चिमी तट पर विच्छेद की स्थिति तब बनती है जब मानसून पवनें तट के समानांतर चलने लगती है।
  • मानसून वर्षा में अनिश्चितता पायी जाती है क्योंकि मानसून बहुत से कारकों पर निर्मर करता है।
  • तट से बढ़ती दूरी के साथ वर्षा की मात्रा कम हो जाती है।
  • वर्षा के वितरण में असमानता पायी जाती है कही 12 cm  तो कही 1200 cm वर्षा प्राप्त होती है।
  • भारत में वर्षा वाले दिनों की संख्या कम पायी जाती है। जैसे-
  • (I) कोलकाता में साल में 118 दिन वर्षा होती है।
  • (II) मुम्बई में साल में 75 दिन वर्षा होती है।
  • (III) चैन्नई में साल में 55 दिन वर्षा होती है।
  • वर्षा की परिवर्तनशीलता उन क्षेत्रों में अधिक पायी जाती है जहाँ कम वर्षा प्राप्त होती है। जैसे-
  • (I) राजस्थान में परिवर्तनशीलता 30%
  • (II) कानपुर में परिवर्तनशीलता 20%
  • (III) कोलकाता में परिवर्तनशीलता 11%


मानसून के आगमन की तिथियां-

  • भारत में मानसून का आमगन 22 मई को होता है। (पहले तिथि 25 मई)

  • भारत के मुख्य भू-भाग में मानसून का आगमन 1 जून को होता है जो की केरल के मालाबार तट पर प्रवेश करता है।

  • 25 जून का मानसून राजस्थान में प्रवेश करता है। (पहले तिथि 15 जून)


मानसून का निवर्तन (Retreating Monsoon)-

  • सम्पूर्ण भारत में मानसून का निवर्तन 16 सितम्बर से शुरू होता है।
  • उत्तर भारत में मानसून का निवर्तन 1 अक्टूबर को होता है।

  • सम्पूर्ण भारत से मानसून का निवर्तन 31 अक्टूबर को होता है।
  • राजस्थान में मानसून का निवर्तन 16 सितम्बर से शुरू होता है।
  • राजस्थान में मानसून का निवर्तन 30 सितम्बर को होता है।


भारत में वर्षा का वितरण (Distribution of Rainfall in India)-

  • भारत में 116 cm (1160.1 mm) औसत वार्षिक वर्षा प्राप्त होती है।
  • भारत में वर्षा का वितरण असमान है।
  • वर्षा के आधार पर भारत को 4 क्षेत्रों में विभाजित किया जाता है।
  • 1. अधिक वर्षा वाला क्षेत्र (High Rainfall Region)
  • 2. मध्यम वर्षा वाला क्षेत्र (Moderate Rainfall Region)
  • 3. न्यून वर्षा वाला क्षेत्र (Low Rainfall Region)
  • 4. अपर्याप्त वर्षा वाला क्षेत्र (Inadequate Rainfall Region)


1. अधिक वर्षा वाला क्षेत्र (High Rainfall Region)-

  • इस क्षेत्र में 200 cm से अधिक वर्षा प्राप्त होती है।
  • इस क्षेत्र में पश्चिमी घाट का पश्चिमी ढाल, पश्चिमी तटवर्ती क्षेत्र, उत्तर-पूर्वी राज्य, लक्षद्वीप तथा अंडमान-निकोबार द्वीप समूह सम्मिलित है।
  • इसी क्षेत्र में मॉसिनराम तथा चेरापूँजी नामक स्थान स्थित है जहाँ विश्व की सर्वाधिक औसत वार्षिक वर्षा प्राप्त होती है।
  • मॉसिनराम में 11973 mm/ 1187.3 cm/ 467.4 inches औसत वार्षिक वर्षा होती है।
  • चेरापूँजी में 11777 mm/ 1177.7 cm/ 463.7 inches औसत वार्षिक वर्षा होती है।


2. मध्यम वर्षा वाला क्षेत्र (Moderate Rainfall Region)-

  • इस क्षेत्र में 100-200 cm वर्षा प्राप्त होती है।

  • यह क्षेत्र पश्चिमी घाट का पूर्वी ढाल (गोवा, कर्नाटक, केरल), उपहिमालय क्षेत्र, गंगा के मैदान का उत्तरी भाग, झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, पूर्वी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्रप्रदेश, तमिलनाडु, असम की कछार घाटी तथा मणिपुर सम्मिलित है।


3. न्यून वर्षा वाला क्षेत्र (Low Rainfall Region)-

  • इस क्षेत्र में 50-100 cm वर्षा प्राप्त होती है।

  • यह क्षेत्र भारत के अधिकतम भाग पर विस्तृत है।

  • इस क्षेत्र में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, पूर्वी राजस्थान, उत्तर प्रदेश तथा मध्य प्रदेश का पश्चिमी भाग, गुजरात तथा प्रायद्वीपीय भारत का अधिकतम भाग सम्मिलित है।


4. अपर्याप्त वर्षा वाला क्षेत्र (Inadequate Rainfall Region)-

  • इस क्षेत्र में 50 cm  से कम वर्षा प्राप्त होती है।
  • यह क्षेत्र पर्वतों के वृष्टि छाया क्षेत्र में स्थित है।
  • इस क्षेत्र में महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, पश्चिमी राजस्थान, गुजरात-पंजाब-हरियाणा का कुछ भाग तथा लद्दाख सम्मिलित है।
  • इस क्षेत्र में कुछ स्थानों पर 25 cm से कम वर्षा प्राप्त होती है।
  • ऐसे क्षेत्रों में मरुस्थल पाये जाते हैं।
  • इस क्षेत्र में थार का गर्म मरुस्थल तथा लद्दाख का ठंडा मरुस्थल सम्मिलित है।


भारत में वर्षा (Rainfall in India)-

  • भारत में होने वाली वार्षिक वर्षा को 4 भागों में विभाजित किया जा सकता है। जैसे-
  • 1. शीत ऋतु (Winter Season)
  • 2. मानसून पूर्व (Pre Monsoon)
  • 3. मानसून ऋतु (Monsoon Season)
  • 4. मानसून के बाद (Post Monsoon)


          1. शीत ऋतु (Winter Season)-

          • वर्षा- 3.98 cm (39.8 mm)
          • वर्षा का समय- दिसम्बर, जनवरी, फरवरी
          • वर्षा का कारण-
          • (I) मावठ या पश्चिमी विक्षोभ के कारण उत्तरी-पश्चिमी भारत में वर्षा होती है।
          • (II) उत्तर-पूर्वी मानसून पवनों के कारण कोरोंडमल तट पर वर्षा होती है।
          • (III) शीत ऋतु के दौरान अरुणाचल प्रदेश में भी वर्षा होती है।
          • शीत ऋतु में भारत की कुल वार्षिक वर्षा का 3.4% वर्षा प्राप्त होती है।


          2. मानसून पूर्व (Pre Monsoon)-

          • वर्षा- 13.06 cm (130.6 mm)
          • वर्षा का समय- मार्च, अप्रैल, मई
          • वर्षा का कारण-
          • (I) मानसून पूर्व पश्चिमी तट पर चेरी ब्लॉसम वर्षा व आम्र वर्षा होती है।
          • (II) कालबैशाखी तूफान के कारण पश्चिम बंगाल व असम में वर्षा होती है।
          • (III) उष्ण कटिबंधीय चक्रवात के कारण भारत के पूर्वी तट पर वर्षा होती है।
          • मानसून से पूर्व भारत की कुल वार्षिक वर्षा का 11.3% वर्षा प्राप्त होती है।


          3. मानसून ऋतु (Monsoon Season)-

          • वर्षा- 88.86 cm (868.6 mm)
          • वर्षा का समय- जून, जुलाई, अगस्त
          • वर्षा का कारण-
          • (I) मानसून ऋतु में वर्षा दक्षिण-पश्चिमी मानसून पवनों से होती है।
          • (II) मानसून के दौरान लगभग पूरे भारत में वर्षा होती है।
          • (III) मानसून के दौरान आने वाले उष्ण कटिबंधीय चक्रवात से पश्चिमी तट पर वर्षा होती है।
          • मानसून के दौरान भारत की कुल वार्षिक वर्षा का 74.9% वर्षा प्राप्त होती है।


          4. मानसून के बाद (Post Monsoon)-

          • वर्षा- 12.1 cm (121 mm)
          • वर्षा का समय- सितम्बर, अक्टूबर, नवम्बर
          • वर्षा का कारण-
          • (I) मानसून के बाद ज्यादातक वर्षा उष्ण कटिबंधीय चक्रवात से होती है जो की भारत के पूर्वी तट पर होती है।
          • मानसून के बाद भारत की कुल वार्षिक वर्षा का 10.4% वर्षा प्राप्त होती है।


          काल बैसाखी (Kal Baisakhi)-

          • यह पश्चिम बंगाल तथा असम में अप्रैल एवं मई के महीनों के दौरान शाम के समय आने वाला वज्रतूफान है।
          • असम में इसे स्थानीय भाषा में बारदोली छीड़ा कहते हैं।
          • इसे नॉर्वेस्टर भी कहा जाता है।
          • काल बैसाखी के विनाशकारी स्वरूप के कारण इसे बैसाख का काल कहा जाता है।
          • काल बैसाखी के कारण होने वाली वर्षा चाय, चावल तथा पटसन (जूट) की खेती के लिए लाभदायक होती है।

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