श्रेणी-
जोधपुर का किला दुर्गों की गिरि श्रेणी में शामिल है ।
स्थित-
जोधपुर का किला राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले की चिड़िया टूक पहाड़ी पर स्थित है। मेहरानदढ़ दुर्ग सर्वप्रथम मसुरिया की पहाड़ी पर बनना तय हुआ था अर्थात् मेहरानगढ़ दुर्ग या जोधपुर का किला चिड़िया टूक पहाड़ी से पहले मसुरिया की पहाड़ी पर बनना तय हुआ था परन्तु बाद में चिड़िया टूक पहाड़ी पर ही बनाया गया था ।
निर्माता-
जोधपुर के किले का निर्माण 1459 ईस्वी में जोधपुर के संस्थापक राव जोधा ने करवाया था ।
उपनाम या अन्य नाम-
जोधपुर के किले को निम्नलिखित उपनामों से जाना जाता है ।
- मेहरानगढ़ का किला (मेहरानगढ़ दुर्ग)
- मयूरध्वजगढ़ (मोरध्वजगढ़)
- चिड़िया टूक
- गढ़ चिंतामणि
मेहरानगढ़ का किला (मेहरानगढ़ दुर्ग)-
जोधपुर के किले को मेहरानगढ़ दुर्ग के नाम से भी जाना जाता है ।
मयूरध्वजगढ़ (मोरध्वजगढ़)-
जोधपुर के किले की आकृति मयूर के समान होने के कारण ही जोधपुर के किले को मयूरध्वजगढ़ कहा जाता है।
चिड़िया टूक-
जोधपुर का किला चिड़िया टूक पहाड़ि पर स्थित होने के कारण जोधपुर के किले को चिड़िया टूक के नाम से भी जाना जाता है ।
गढ़ चिंतामणि-
कुण्डली के अनुसार जोधपुर के किले को गढ़ चिंतामणि के नाम से भी जाना जाता है ।
कथन-
जोधपुर के किले के लिए रुडयार्ड किपलिंग (लाॅर्ड किपलिंग) ने यह कथन कहा है कि यह दुर्ग किसी देवी देवताओं या परियों की क्रामात से बना है । अंग्रेजी अधिकारी जेकलिन केनेडी ने जोधपुर के किले (मेहरानगढ़ दुर्ग) को आठवें आश्चर्य (आठवें अजूबे) की संज्ञा दी थी ।
नींव-
जोधपुर का किला (जोधपुर दुर्ग) राजस्थान का एकमात्र ऐसा किला है जिसकी नींव घी से भरी गई थी।
जोधपुर का किला (जोधपुर दुर्ग) राजस्थान का एकमात्र ऐसा किला है जिसकी नींव करणी माता के द्वारा रखी गई थी ।
जोधपुर का किला (जोधपुर दुर्ग) राजस्थान का एकमात्र ऐसा किला है जिसकी नींव में रजिया भाम्भी (रजिया भाम्बी) नामक जिंदा व्यक्ति को दफनाया गया था ।
तोप-
जोधपुर के किले में स्थित तोपे निम्नलिखित है ।
- किलकिला तोप (अजीत सिंह)
- शम्भूबाण तोप (अभय सिंह)
- गजनी तोप (गजसिंह)
दर्शनिय स्थल-
जोधपुर के किले में निम्नलिखित दर्शनिय स्थल है ।
- सूरी मस्जिद
- मामा भांजा की छतरी (धन्ना व भींवा की छतरी)
- जसवंत थड़ा महल
- फतेह महल
- फूल महल
- मोती महल
- चौखेलाव महल
- सिणगार चौकी
- भूरे खां की मजार
- कीर्ति सिंह सोढ़ा की छतरी
- चामूण्डा माता मंदिर
- नागणेची माता मंदिर
सूरी मस्जिद-
सूरी मस्जिद राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है ।
मामा भांजा की छतरी (धन्ना व भींवा की छतरी)-
धन्ना व भींवा की छतरी को ही मामा भांजा की छतरी कहते है । मामा भांजा की छतरी राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है। धन्ना व भींवा में से धन्ना मामा है तथा भींवा भांजा है ।
जसवंत थड़ा महल-
जसवंत थड़ा महल राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है । जसवंत थड़ा महल का निर्माण सरदार सिंह ने करवाया था ।
फतेह महल-
फतेह महल राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है। फतेह महल का निर्माण अजीत सिंह ने करवाया था।
फूल महल-
फूल महल राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है। फूल महल का निर्माण अभयसिंह ने करवाया था।
मोती महल-
मोती महल राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है। मोती महल का निर्माण शूर सिंह ने करवाया था।
चौखेलाव महल-
चौखेलाव महल राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है। चौखेलाव महल का निर्माण मालदेव ने करवाया था।
सिणगार चौकी-
सिणगार चौकी राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है। सिणगार चौकी का निर्माण महाराजा तख्त सिंह ने करवाया था। सिणगार चौकी में ही जोधपुर के राजाओं का राजतिलक किया जाता था।
भूरे खां की मजार-
भूरे खां की मजार राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है।
कीर्ति सिंह सोढ़ा की छतरी-
कीर्ति सिंह सोढ़ा की छतरी राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है।
चामूण्डा माता मंदिर-
चामूण्डा माता मंदिर राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है। चामूण्डा माता मंदिर में 2008 में मची भगदड़ के दौरान हुई मोतो की जांच हेतु चौपड़ा समिति का गठन किया गया था चौपड़ा समिति का अध्यक्ष जस्टिस जसराज चौपड़ा को बनाया गया था। चामूण्डा माता के मंदिर का निर्माण राव जोधा ने करवाया था ।
नागणेची माता मंदिर-
नागणेची माता मंदिर राजस्थान राज्य के जोधपुर जिले के जोधपुर दुर्ग में स्थित है ।
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