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वायु प्रदूषण (Air Pollution)

वायु प्रदूषण (Air Pollution)-

  • परिभाषा- वायु के भौतिक (Physical), रसायनिक (Chemical), जैविक (Biological) संगठन में होने वाला अवांछनीय परिवर्तन (Unwanted Change) वायु प्रदूषण कहलाता है।
  • WHO के अनुसार वायु प्रदूषण वह परिस्थिति है जिसमें वायु में ऐसे पदार्थों की मात्रा बढ़ जाती है जो जीवों तथा पर्यावरण दोनों के लिए ही हानिकारक होती है वायु प्रदूषण है।
  • WHO Full Form = World Health Organization
  • WHO का पूरा नाम = विश्व स्वास्थ्य संगठन


वायु प्रदूषण के कारण (Causes of Air Pollution)-

  • यातायात के साधन (Transportation-Vehicles)
  • औद्योगीकरण (Industrialization)
  • तापीय ऊर्जा संयंत्र (Power Generation)
  • निर्माण कार्य (Construction Work)
  • जनसंख्या वृद्धि (Population Growth)
  • वनों की कटाई (Deforestation)


वायु प्रदूषक तथा उनके प्रभाव (Air Pollutants and Their Effects)-

  • 1. PM 2.5
  • 2. PM 10
  • 3. कार्बन मोनोऑक्साइड (Carbon Monoxide- CO)
  • 4. सल्फर डाइऑक्साइड (Sulfur Dioxide- SO2)
  • 5. नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxide- Nox)
  • 6. वाष्पशील कार्बनिक योगिक (Volatile Organic Compound- VOC)
  • 7. सीसा (Lead)


          1. PM 2.5-

          • PM = Particulate Matter (कणीय पदार्थ)

          • 2.5 माइक्रो मीटर (Micrometer) या इससे कम आकार के कण होते हैं।

          • केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार PM 2.5 मानव स्वास्थ्य पर अत्यन्त हानिकारक प्रभाव डालते हैं।


          2. PM 10-

          • PM = Particulate Matter (कणीय पदार्थ)
          • 10 माइक्रो मीटर (Micrometer) या उससे कम आकार के कण होते हैं।
          • PM 10 श्वसन तंत्र को प्रभावित करते हैं तथा इससे संबंधित अनेक रोग जैसे- सिलिकोसिस (Silicosis), एलर्जी (Allergy) तथा कैंसर (Cancer) आदि उत्पन्न होते हैं।
          • PM ठोस तथा द्रव से बने हो सकते हैं तथा इनकी रासायनिक संरचना उस स्रोत पर निर्भर करती है जिससे ये उत्पन्न होते हैं।


          3. कार्बन मोनोक्साइड (Carbon Monoxide- CO)-

          • कार्बन मोनोक्साइड सबसे जहरीली वायु प्रदूषक है।
          • कार्बन मोनोक्साइड का उत्सर्जन मुख्यतः वाहनों तथा उद्योगों द्वारा किया जाता है।
          • कार्बन मोनोक्साइड हमारे रक्त में शामिल होकर कार्बोक्सी हिमोग्लोबिन बनाती है जो अपेक्षाकृत स्थायी प्रकृति का होता है।
          • कार्बन मोनोक्साइड के कारण रक्त में हिमोग्लोबिन की उपलब्धता कम हो जाती है।
          • अगर लम्बे समय तक और अधिक मात्रा में कार्बन मोनोक्साइड व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर जाती है तो व्यक्ति की दम घुटने से मृत्यु हो जाती है।


          4. सल्फर डाइऑक्साइड (Sulfur Dioxide- SO2)-

          • सल्फर डाइऑक्साइड का उत्पादन मुख्यतः कोयले के जलने (तापीय ऊर्जा संयंत्र), स्मेलटर उद्योग तथा तेल रिफाइनरी से होता है।
          • सल्फर डाइऑक्साइड श्वसन तंत्र से संबंधित रोग उत्पन्न करती है।
          • सल्फर ऑक्साइड के कारण पादपों में क्लोरोफिल नष्ट हो जाता है जिससे पत्तियां पिलि पड़ जाती है।
          • सल्फर के ऑक्साइड स्मोग तथा अम्लीय वर्षा के निर्माण में सहायक होते हैं।
          • लाइकेन सल्फर डाई ऑक्साइड के प्रदूषण के संकेत होते हैं।
          • लाइकेन = शैवाल + कवक (सहजीवि संबंध)


          5. नाइट्रोजन ऑक्साइड (Nitrogen Oxide- Nox)-

          • नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन मुख्यतः वाहनों में जीवाश्म ईंधन के जलने के कारण होता है।
          • नाइट्रोजन ऑक्साइड फोटोकेमीकल स्मोग तथा अम्लीय वर्षा के निर्माण में सहायक होती है।
          • नाइट्रोजन ऑक्साइड के द्वारा श्वसन तंत्र से संबंधित रोग उत्पन्न किये जाते हैं।


          6. वाष्पशील कार्बनिक योगिक (Volatile Organic Compound- VOC)-

          • वाष्पशील कार्बनिक योगिक कार्बनिक रसायन होते हैं जो सामान्य तापमान पर वाष्पशील अवस्था में पाये जाते हैं।

          • वाष्पशील कार्बनिक योगिकों के स्रोत परफ्यूम (Perfume), हेयर स्रे (Hair Spray), फर्नीचर पोलिश (Furniture Polish), ग्लू (Glue), एयर फ्रेशनर (Air Freshener), कीट प्रतिकर्षक (Moth Repellents), लकड़ी संरक्षक (Wood Preservatives) इत्यादि होते हैं।


          7. सीसा (Lead)-

          • सीसा पेट्रोल (Petrol), डीजल (Diesel), लेड बैटरी (Lead Batteries), पेंट (Paint) तथा हेयर डाई उत्पादों (Hair Dye Product) में उपस्थित होता है।
          • सीसे के द्वारा पांचन तंत्र तथा तंत्रिका तंत्र से संबंधित अनेक रोग तथा केंसर उत्पन्न किया जाता है।
          • सीसे की विषाक्कता प्लंबिज्म कहलाती है।
          • प्लंबिज्म एक प्रकार का लकवा होता है।


          वायु प्रदूषकों से होने वाले रोग (Disease cause by Air Pollutant)-

            • 1. न्यूमोकोनियोसिस रोग (Pneumoconiosis Disease)
            • 2. बिसिनोसिस रोग (Byssinosis Disease)
            • 3. एन्थ्राकोसिस रोग (Anthracosis Disease)
            • 4. एस्बेस्टोसिस रोग (Asbestosis Disease)
            • 5. सिडेरोसिस रोग (Siderosis Disease)
            • 6. सिलिकोसिस रोग (Silicosis Disease)


                      1. न्यूमोकोनियोसिस रोग (Pneumoconiosis Disease)-

                      • न्यूमोकोनियोसिस वायुमंडल में उड़ने वाली सामान्य धुल से होने वाला रोग है।


                      2. बिसिनोसिस रोग (Byssinosis Disease)-

                      • बिसिनोसिस वस्त्र उद्योग में उड़ने वाली धुल से होने वाला रोग है।
                      • बिसिनोसिस रोग के अन्य नाम-
                      • (I) लंग फाइब्रोसिस (Lung Fibrosis)
                      • (II) मण्डे फिवर (Monday Fever)


                      3. एन्थ्राकोसिस रोग (Anthracosis Disease)-

                      • एन्थ्राकोसिस कोयले की धुल से होने वाला रोग है।


                      4. एस्बेस्टोसिस रोग (Asbestosis Disease)-

                      • एस्बेस्टोसिस एस्बेस्टस की धुल से होने वाला रोग है।


                      5. सिडेरोसिस रोग (Siderosis Disease)-

                      • सिडेरोसिस लौहा उद्योग में उड़ने वाली धुल के कारण होने वाला रोग है।


                      6. सिलिकोसिस रोग (Silicosis Disease)-

                      • सिलिकोसिस खनन क्षेत्र तथा स्टोन क्रेशर के आप-पास उड़ने वाली धुल से होने वाला रोग है।


                      वायु प्रदूषण नियंत्रण (Control of Air Pollution)-

                      • 1. उद्योगों से निकलने वाले धुएं से होने वाले वायु प्रदूषण का नियंत्रण

                      • 2. यातायात वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण का नियंत्रण


                      1. उद्योगों से निकलने वाले धुएं से होने वाले वायु प्रदूषण का नियंत्रण-

                      • उद्योगों से निकलने वाले धुएं में दोनों प्रकार के प्रदूषक होते हैं। जैसे-
                      • (I) कणीय प्रदूषक (Solid Pollutant)
                      • (II) गैसीय प्रदूषक (Gaseous Pollutant)


                      (I) कणीय प्रदूषक (Solid Pollutant)-

                      • कणीय प्रदूषकों को हटाने के लिए निम्न दो उपकरणों या युक्तियों का प्रयोग किया जाता है। जैसे-

                      • (A) प्रग्राही (Arresters)

                      • (B) मार्जक (Scrubber)


                      (A) प्रग्राही (Arresters)-

                      • प्रग्राही का उपयोग प्रदूषित वायु या धुंआ से ठोस प्रदूषकों को अलग करने के लिए किया जाता है।
                      • प्रग्राही मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
                      • (अ) चक्रवाची पृथक्कारक (Cyclonic Separator)
                      • (ब) इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रेसीपिटेटर (Electrostatic Precipitator)


                      (अ) चक्रवाती पृथक्कारक (Cyclonic Separator)-

                      • किसी उद्योग से निकले वाले धुंए में बड़े आकार के ठोक प्रदूषक हो तथा नमी की मात्रा बहुत कम हो तो चक्रवाती पृथक्कारक तकनीक की सहायता से प्रदूषिक वायु को साफ किया जाता है।
                      • चक्रवाती पृथक्कारक तकनीक में किसी भी प्रकार के फिल्टर (Filter) का प्रयोग नहीं होता है।

                      • चक्रवाती पृथक्कारक तकनीक अपकेंद्रीय बल () के सिद्धांत पर कार्य करती है।


                      (ब) इलेक्ट्रो स्टेटिक प्रेसीपिटेटर (Electrostatic Precipitator)-

                      • इलेक्ट्रोस्टेटिक प्रेसीपिटेटर धुएं में उपस्थित अत्यधिक सूक्ष्म कणों को विद्युत आवेश के नियम के आधार पर पृथक करने का कार्य करता है तथा इन्हें विभिन्न आवेशित प्लेटों पर एकत्रित करता है।


                      (B) मार्जक (Scrubber)-

                      • मार्जक वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने वाला उपकरण है जो उद्योगों से निकलने वाले धुंए में से ठोस कणों तथा गैसों (सल्फर डाई ऑक्साइड- SO2) को हटाता है।
                      • मार्जक में धुंए के चूने के जलयुक्त फुहारों से होकर गुजारा जाता है।
                      • इस प्रक्रिया के दौरान सल्फल डाई ऑक्साइड (SO2) चूना या कैल्सिय कार्बोनेट (CaCO3) के साथ अभिक्रिया करके कैल्सियम सल्फेट (CaSO4) बनाता है।


                      (II) गैसीय प्रदूषक (Gaseous Pollutant)-

                      • गैसीय प्रदूषकों को नियंत्रित करने के लिए दहन (), अवशोषण (तरल पदार्थों द्वारा) तथा अधिशोषण (ठोस सतह द्वारा) तकनीक का उपयोग किया जाता है।


                      2. यातायात वाहनों से होने वाले वायु प्रदूषण का नियंत्रण-

                      • (I) कैटेलिक कनवर्टर (Catalytic Converter)
                      • (II) भारत स्टेज (Bharat Stage)


                      (I) कैटेलिक कनवर्टर (Catalytic Converter)-

                      • कैटेलिक कनवर्टर का उपयोग वाहनों से निकलने वाले धुएं में से प्रदूषकों की मात्रा नियंत्रित करने हेतु किया जाता है।
                      • कैटेलिक कनवर्टर से निम्नलिखित परिवर्तन होते हैं-
                      • (A) CO - पेलेडियम - CO2
                      • (B) Nox - रोहडियम - N2
                      • (C) हाइड्रोकार्बन - प्लेटिनम - H2O or CO2
                      • कैटेलिक कनवर्टर पेलेडियम की सहायता से CO को CO2 में परिवर्तित कर देता है।
                      • कैटेलिक कनवर्टर रोहडियम की सहायता से NOx को N2 (नाइट्रोजन गैस) में परिवर्तित कर देता है।
                      • कैटेलिक कनवर्टर प्लेटिनम की सहायता से हाइड्रोकार्बन को CO2 तथा H2O में परिवर्तित कर देता है।


                      (II) भारत स्टेज (Bharat Stage)-

                      • वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए भारत स्टेज मानक अपनाये गये है।
                      • 1 अप्रैल 2017 से पूरे भारत में स्टेज-IV (BS-IV) मानक लागू किए गये थे।
                      • 1 अप्रैल 2020 से पूरे भारत में स्टेज-IV (BS-IV) की जगह स्टेज-VI (BS-VI) मानक लागू किए गये है।
                      • ईंधन (Fuel)- स्टेज-IV (BS-IV) ग्रेड के ईंधन में 50 PPM सल्फर उत्सर्जित होता था जबकी स्टेज-IV (BS-VI) में इसकी मात्रा 10 PPM रह गई है।
                      • डीजल (Diesel)- स्टेज-VI (BS-VI) मानक की डीजल कारों में PM (पार्टिकुलेट मेटर) 80%, नाइट्रोजन ऑक्साइड 70% तथा हाइड्रोकार्बन व नाइट्रोजन ऑक्साइड 43% कम उत्सर्जित होते हैं।
                      • पेट्रोल (Petrol)- स्टेज-VI (BS-VI) मानक की पेट्रोल कारों में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जिन 25% तक कम हो गया है।
                      • उपर्युक्त मानकों के अलावा अच्छी गुणवत्ता का ईंधन, उच्च कुशलता वाले इंजन, पेट्रोल में कम से कम सीसे की मात्रा तथा CNG आदि का उपयोग बढ़ाकर वाहनों से होने वाले प्रदूषण को कम किया जा सकता है।


                      वायु प्रदूषण नियंत्रण के अन्य उपाय (Other Measures to Control Air Pollution)-

                      • वायु प्रदूषण को कम करने के लिए ऊर्जा के नवीकरणीय संसाधनों का बढ़ावा दिया जाना चाहिए।
                      • वन आवरण क्षेत्र बढ़ाकर वायु प्रदूषण को नियंत्रण करने में सहायता मिलती है।
                      • यातायात प्रबंधन को प्रभावशाली बनाकर यात्रा समय कम किया जा सकता है जिससे वायु प्रदूषण नियंत्रित होगा।
                      • जनसंख्या नियंत्रण के माध्यम से सभी प्रकार के प्रदूषण कम होते हैं।


                      भारत में पर्यावरण से संबंधित अधिनियम (Acts Related to Environment in India)-

                      • 1. वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम, 1972 [Wild Life (Protection) Act, 1972]
                      • 2. जल (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1974 [The Water (Prevention and Control of Pollution) Act, 1974]
                      • 3. वायु (प्रदूषण निवारण तथा नियंत्रण) अधिनियम, 1981 [Air (Prevention and Control of Pollution) Act, 1981]
                      • 4. पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 [Environment (Protection) Act, 1986]


                      भारत के संविधान में निम्नलिखित भाग में पर्यावरण का उल्लेख किया गया है।-

                      • 7वीं अनुसूची (अनुच्छेद 48-A)

                      • राज्य नीति के निर्देशक तत्व (DPSP)

                      • मूल कर्तव्य (अनुच्छेद 51-A)


                      महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-

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