राजस्थानी बोलियां (Rajasthani Dialects)-
- 1. मारवाड़ी बोली
- 2. ढुंढाडी बोली
- 3. मालवी बोली
- 4. वागडी बोली
- 5. मेवाती बोली
- 6. अहीरवाटी बोली
1. मारवाड़ी बोली-
- मारवाड़ी राजस्थान की एक बोली है।
- क्षेत्र- मारवाड़ी जोधपुर, पाली, नागौर व जालौर में बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- वैलि कृष्ण रुकमणी री, मीरा बाई की पुस्तकें, ढोला-मारू रा दूहा, राजिया रा दूहा आदि पुस्तकें मारवाड़ी में लिखी गई है।
- उपबोलियां- (निम्नलिखित मारवाड़ी बोली की उपबोलियां है।)
- (I) मेवाड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)
- (II) खैराड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)
- (III) गौडवाड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)
- (IV) शेखावाटी (मारवाड़ी की उपबोली)
- (V) बागड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)
- (VI) थली (मारवाड़ी की उपबोली)
(I) मेवाड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)-
- मेवाड़ी मारवाड़ी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- मेवाड़ी उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ व भीलवाड़ा में बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- कुम्भा की पुस्तकें, लक्ष्मी कुमारी चूंडावत की पुस्तकें मेवाड़ी में लिखी गई है।
(II) खैराड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)-
- खैराड़ी मारवाड़ी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- खैराड़ी शाहपुरा (भीलवाड़ा) व बूंदी के कुछ भाग (इन्द्रगढ़ तथा नैनवां तहसीलों को छोड़कर बूंदी) में बोली जाती है।
- खैराड़ी उपबोली मेवाड़ी, हाड़ौती एवं ढुंढाड़ी का मिश्रण है।
(III) गौडवाड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)-
- गौडवाड़ी मारवाड़ी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- गौडवाड़ी पाली तथा जालौर में बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- बीसलदेव रासो (नरपति नाल्ह) गौडवाड़ी में लिखी गई पुस्तक है।
(IV) शेखावाटी (मारवाड़ी की उपबोली)-
- शेखावाटी मारवाड़ी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- शेखावाटी चुरू, सीकर व झुंझुनूं में बोली जाती है।
- शेखावाटी उपबोली पर ढुंढाड़ी का भी प्रभाव दिखाई देता है।
(V) बागड़ी (मारवाड़ी की उपबोली)-
- बागड़ी मारवाड़ी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- बागड़ी चुरू, श्रीगंगानगर व हनुमानगढ़ में बोली जाती है।
- बागड़ी पर पंजाबी भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
(VI) थली (मारवाड़ी की उपबोली)-
- थली मारवाड़ी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- थली जैसलमेर व बीकानेर में बोली जाती है।
2. ढुंढाडी बोली-
- ढुंढाडी राजस्थान की एक बोली है।
- क्षेत्र- ढुंढाडी जयपुर, किशनगढ़, लावा, दौसा, सवाई माधोपुर तथा अजमेर के कुछ भाग में बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- दादू सम्प्रदाय का साहित्य (रजव वाणी, सरवंगी, सुन्दर विलास) अर्थात् दादू सम्प्रदाय की पुस्तकें ढुंढाडी में लिखी गई है।
- उपबोलियां- (निम्नलिखित ढुंढाडी बोली की उपबोलियां है।)
- (I) हाडौती (ढुंढाडी की उपबोली)
- (II) तोरावाटी (ढुंढाडी की उपबोली)
- (III) चौरासी (ढुंढाडी की उपबोली)
- (IV) नागरचोल (ढुंढाडी की उपबोली)
- (V) काठेड़ी (ढुंढाडी की उपबोली)
- (VI) राजावाटी (ढुंढाडी की उपबोली)
(I) हाडौती (ढुंढाडी की उपबोली)-
- हाडौती ढुंढाडी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- हाडौती कोटा, बारां, बूंदी व झालावाड़ में बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- सूर्य मल्ल मीसण की पुस्तकें हाडौती में लिखी गई है।
(II) तोरावाटी (ढुंढाडी की उपबोली)-
- तोरावाटी ढुंढाडी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- तोरावाटी सीकर तथा झुंझुनूं (कांतली नदी का क्षेत्र) में बोली जाती है।
(III) चौरासी (ढुंढाडी की उपबोली)-
- चौरासी ढुंढाडी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- चौरासी शाहपुरा (जयपुर) व टोंक के कुछ भाग में बोली जाती है।
(IV) नागरचोल (ढुंढाडी की उपबोली)-
- नागरचोल ढुंढाडी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- नागरचोल टोंक व सवाई माधोपुर में बोली जाती है।
(V) काठेड़ी (ढुंढाडी की उपबोली)-
- काठेड़ी ढुंढाडी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- काठेड़ी जयपुर के दक्षिणी भाग में बोली जाती है।
(VI) राजावाटी (ढुंढाडी की उपबोली)-
- राजावाटी ढुंढाडी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- राजावाटी जयपुर के पूर्वी भाग में बोली जाती है।
3. मालवी बोली-
- क्षेत्र- मालवी बोली मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र (उज्जैन, नीमच, रतलाम, इंदौर, मंदसौर) में बोली जाती है।
- मालवी बोली पर मारवाड़ी तथा मेवाड़ी का प्रभाव दिखाई देता है।
- उपबोलियां (निम्नलिखित मालवी बोली की उपबोलियां है।)
- (I) नीमाड़ी (मालवी की उपबोली)
- (II) रांगडी (मालवी की उपबोली)
(I) नीमाड़ी (मालवी की उपबोली)-
- नीमाड़ी मालवी बोली की उपबोली है।
- क्षेत्र- नीमाड़ी मध्य प्रदेश के नीमाड़ क्षेत्र (खंडवा, धार, इंदौर, बुरहानपुर, खरगोन) में बोली जाती है।
- नीमाड़ी को दक्षिणी राजस्थानी भी कहा जाता है।
(II) रांगड़ी (मालवी की उपबोली)-
- रांगड़ी मालवी बोली की उपबोली है।
- रांगड़ी मालवा के राजपूतों की भाषा है।
4. वागडी बोली-
- वागड़ी राजस्थान की एक बोली है।
- क्षेत्र- वागड़ी डूंगरपुर तथा बांसवाड़ा में बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- सन्त मावजी की रचनाएं या पुस्तकें वागड़ी में लिखी गई है।
- वागड़ी बोली पर गुजराती भाषा का प्रभाव दिखाई देता है।
- ग्रियर्सन ने वागड़ी बोली को भीली कहा था।
5. मेवाती बोली-
- मेवाती राजस्थान की एक बोली है।
- क्षेत्र- मेवाती अलवर व भरतपुर के मेव बाहुल्य क्षेत्र में बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- चरणदासी सम्प्रदाय का साहित्य व लालदासी सम्प्रदाय का साहित्य या पुस्तकें मेवाती में लिखी गई है।
6. अहीरवाटी बोली-
- अहीरवाटी राजस्थान की एक बोली है।
- क्षेत्र- अहीरवाटी कोटपूतली (जयपुर) से लेकर बहरोड़ (अलवर) तक बोली जाती है।
- साहित्य (पुस्तकें)- भीम विलास (शंकर राव) पुस्तक व अलीबख्शी ख्याल (नाटक) अहीरवाटी में लिखे गये है।
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