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राजस्थान के लोक गीतों का वर्गीकरण (Classification of Folk Songs of Rajasthan)

राजस्थान के लोक गीतों का वर्गीकरण (Classification of Folk Songs of Rajasthan)-

  • महात्मा गांधी के अनुसार लोक गीत जनता की भाषा है तथा हमारी संस्कृति के पहरेदार है।
  • रविन्द्र नाथ टैगोर के अनुसार लोक गीत हमारी संस्कृति को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाने वाली एक कला है।
  • राजस्थान के लोक गीतों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। जैसे-
  • 1. जन सामान्य के लोक गीत (Folk Songs of Common People)
  • 2. व्यावसायिक लोक गीत (Commercial Folk Songs)
  • 3. क्षेत्रीय लोक गीत (Regional Folk Songs)


1. जन सामान्य के लोक गीत (Folk Songs of Common People)-

  • राजस्थान में जन सामान्य के लोक गीतों को 5 भागों में विभाजित किया जा सकता है। जैसे-
  • (I) संस्कार सम्बन्धित लोक गीत (Sanskar Related Folk Songs)
  • (II) धार्मिक लोक गीत (Religious Folk Songs)
  • (III) त्योहार सम्बन्धित लोक गीत (Festival Related Folk Songs)
  • (IV) ऋतु सम्बन्धित लोक गीत (Season Related Folk Songs)
  • (V) विविध लोक गीत (Miscellaneous Folk Songs)


(I) संस्कार सम्बन्धित लोक गीत (Sanskar Related Folk Songs)-

  • संस्कार सम्बन्धित लोक गीत जैसे- जच्चा, बन्ना-बन्नी, घुडचढ़ी, हल्दी, मायरा (भात), जला, जुआ-जुई


(II) धार्मिक लोक गीत (Religious Folk Songs)-

  • धार्मिक लोक गीत जैसे- तेजा, लांगुरिया, हवेली, लावणी, चिरजा, हरजस


(III) त्योहार सम्बन्धित लोक गीत (Festival Related Folk Songs)-

  • त्योहार सम्बन्धित लोक गीत जैसे- हीड (दीपावली), धमाल या रसिया (होली), गणगौर, तीज


(IV) ऋतु सम्बन्धित लोक गीत (Season Related Folk Songs)-

  • ऋतु सम्बन्धित लोक गीत जैसे- सियालो, उनालो, चौमासा, सावण, कजली


(V) विविध लोक गीत (Miscellaneous Folk Songs)-

  • विविध लोक गीत जैसे- कांगसियो, पणिहारी, इंडोणी, गोरबन्ध (ऊंट के गले का आभूषण)


2. व्यावसायिक लोक गीत (Commercial Folk Songs)-

  • राजस्थान की कुछ जातियों तथा जनजातियों ने संगीत को एक व्यवसाय के रूप में अपनाया था।
  • राजतंत्रों के प्रभाव के कारण व्यवसायिक लोग गीतों में राजाओं की प्रशंसा की गई है।
  • राजस्थान की कुछ जातियों तथा जनजातियों ने संगीत की कई रागों का भी विकास किया था। जैसे- मांड (शृंगार), सोरठ (शृंगार), सिन्धु (युद्ध), मारू (युद्ध)
  • मांड तथा सोरठ शृंगार की राग है।
  • सिन्धु तथा मारू युद्ध की राग है।
  • लोक गीत से सम्बन्धित समुदाय जैसे- लंगा, मांगणियार, ढोली, ढ़ाढ़ी, मिरासी, कालबेलिया, जोगी, कामड़


3. क्षेत्रीय लोक गीत (Regional Folk Songs)-

  • राजस्थान के क्षेत्रीय लोक गीतों को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है। जैसे-
  • (I) मरुस्थलीय लोक गीत (Desert Folk Songs)
  • (II) पर्वतीय लोक गीत (Mountain Folk Songs)
  • (III) मैदानी लोक गीत (Meadow Folk Songs)


(I) मरुस्थलीय लोक गीत (Desert Folk Songs)-

  • क्षेत्र- बीकानेर, जोधपुर, जैसलमेर, बाड़मेर
  • मरुस्थलीय लोक गीत जैसे- पीपली, चिरमी, केवड़ो, रतन राणो (राणा रतन सिंह)
  • राणा रतन सिंह अमरकोट के राजा थे तथा 1857 ई. की क्रांति के दौरान अंग्रेजों ने राणा रतन सिंह को फांसी लगा दी थी।


(II) पर्वतीय लोक गीत (Mountain Folk Songs)-

  • क्षेत्र- सिरोही, उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा
  • इन क्षेत्रों में जनजातीय गीत अधिक गाये जाते हैं।
  • पर्वतीय लोक गीतों में सामूहिकता अधिक है।
  • पर्वतीय लोक गीत जैसे- पटेल्या, लालर, बिछियो, नाव री असवारी, ऊँटा री असवारी, हमसीढ़ो (भील महिला एवं पुरुष मिलकर हमसीढ़ो गीत गाते हैं।)


(III) मैदानी लोक गीत (Meadow Folk Songs)-

  • क्षेत्र- जयपुर, अलवर, भरतपुर, कोट, बूंदी

  • मैदानी लोक गीत जैसे- धार्मिक तथा शृंगार सम्बन्धित लोक गीत


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