राजस्थान की लोक गायन शैलियां (Folk Singing Styles of Rajasthan)-
- 1. माँड गायन शैली (Mand Singing Style)
- 2. मांगणियार गायन शैली (Manganiyar Singing Style)
- 3. लंगा गायन शैली (Langa Singing Style)
- 4. तालबंदी गायन शैली (Talbandi Singing Style)
1. माँड गायन शैली (Mand Singing Style)-
- माँड जैसलमेर का प्राचीन नाम था अतः इस क्षेत्र में "माँड गायन शैली" विकसित हुई।
- कालांतर में मांड गायन शैली राजस्थान के अन्य भागों में भी लोकप्रिय हुई जैसे- जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, उदयपुर
- मुख्य गीत- माँड गाय शैली का मुख्य गीत "केसरिया बालम" है।
- मुख्य कलाकार- माँड गायन शैली के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
- (I) अल्लाह जिलाई बाई (बीकानेर)
- (II) गवरी बाई (बीकानेर)
- (III) गवरी बाई (पाली)
- (IV) मांगी बाई (उदयपुर)
- (V) जमीला बानो (जोधपुर)
- (VI) बन्नो बेगम (जयपुर)
- माँड गायन शैली के लिए सन् 2022 का नारी शक्ति पुरस्कार बतूल बेगम (जयपुर) को दिया गया था।
- बतूल बेगम को नारी शक्ति पुरस्कार 8 मार्च, 2022 को दिया गया था।
2. मांगणियार गायन शैली (Manganiyar Singing Style)-
- राजस्थान के जैसलमेर, बाड़मेर क्षेत्र में मांगणियार समुदाय के गायकों द्वारा "मांगणियार गायन शैली" विकसित की गई थी।
- वाद्य यंत्र- मांगणियार गायन शैली में निम्नलिखित वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
- (I) कमायचा
- (II) खड़ताल
- मुख्य कलाकार- मांगणियार गायन शैली के मुख्य कलाकार निम्नलिखित है।
- (I) साकर खाँ (कमायचा वादक)
- (II) सद्दीक खाँ (खड़ताल का जादूगर)
- सद्दीक खाँ मांगणियार लोक कला अनुसंधान परिषद् की स्थापना सन् 2003 में जयपुर में की गई थी।
- साकर खाँ मांगणियार गायन शैली में पद्म श्री पुरस्कार विजेता है।
- सद्दीक खाँ मांगणियार गायन शैली में पद्म श्री पुरस्कार विजेता है।
- अनवर खाँ को मांगणियार गायन शैली के लिए सन् 2022 में पद्म श्री पुरस्कार दिया गया था।
3. लंगा गायन शैली (Langa Singing Style)-
- राजस्थान के जैसलमेर तथा बाड़मेर क्षेत्र में लंगा समुदाय के गायकों द्वारा "लंगा गायन शैली" विकसित की गई थी।
- वाद्य यंत्र- लंगा गायन शैली में निम्नलिखित वाद्य यंत्रों का प्रयोग किया जाता है।
- (I) कमायचा
- (II) सारंगी
- मुख्य गीत- निम्बुड़ा (निम्बुड़ा लंगा गायन शैली का मुख्य गीत है।)
4. तालबंदी गायन शैली (Talbandi Singing Style)-
- जब औरंगजेब ने संगीत पर रोक लगा दी थी तब मथुरा (उत्तर प्रदेश) क्षेत्र के साधु सन्यासी पूर्वी राजस्थान आ गये थे तथा उन्होंने "तालबन्दी गाय शैली" विकसित की थी।
- वाद्य यंत्र- नगाड़ा (तालबंदी गायन शैली में नगाड़ा वाद्य यंत्र का प्रयोग किया जाता है।)
महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-