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गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)

गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)-

  • किन्ही भी दो वस्तुओं के मध्य द्रव्यमान के कारण आकर्षण बल लगता है जिसे गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं।
  • कम द्रव्यमान की वस्तुओं के मध्य गुरुत्वाकर्षण बल नगण्य होता है।
  • द्रव्यमान बढ़ने के साथ ही गुरुत्वाकर्षण बल का मान बढ़ता है।
  • गुरुत्वाकर्षण बल चार मूल बलो में सबसे कमजोर बल (Weakest Force) है।
  • परास (Range)- गुरुत्वाकर्षण बल की परास सबसे अधिक (Longest) होती है।
  • प्रकृति (Nature)- गुरुत्वाकर्षण बल हमेशा आकर्षण (Always Attractive) प्रकृति का होता है।
  • उत्तरदायी (Responsible)- गुरुत्वाकर्षण बल आकाशगंगा व सौर मंडल के स्थायित्व के लिए (For Stability of Galaxy and Solar System) उत्तरदायी होता है।
  • उदाहरण- गुरुत्वाकर्षण बल के कारण चन्द्रमा, पृथ्वी के चारों ओर तथा पृथ्वी, सूर्य के चारो ओर चक्कर लगाती है।


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गुरुत्वाकर्षण का सार्वत्रिक या सार्वभौमिक नियम (Universal Law of Gravitation)-

  • ब्रह्माण्ड में प्रत्येक वस्तु (पिण्ड) अन्य वस्तु (अन्य पिण्ड) को एक बल से आकर्षित करती है जिसका परिमाण दोनों वस्तुओं के द्रव्यमान के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है इस आकर्षण बल को गुरुत्वाकर्षण बल कहते हैं।
  • F = Gm1m2/r^2
  • जहाँ-
  • G = गुरुत्वाकर्षण नियतांक या सार्वत्रिक गुरुत्वीय नियतांक, जिसका मान 6.673 × 10^-11 NM^2Kg^2
  • m1 = पहली वस्तु (पिण्ड) का द्रव्यमान
  • m2 = दूसरी वस्तु (पिण्ड) का द्रव्यमान
  • r = दोनों वस्तु (पिण्ड) के बीच की दूरी
  • इसे ही सार्वत्रिक गुरुत्वीय स्थिरांक (Universal Gravitational Constant) कहते हैं।


गुरुत्वाकर्षण के सार्वत्रिक नियम का महत्व (Importance of Universal Law of Gravity)-

  • (I) हमें पृथ्वी से बांधे रखने वाला बल है। (The Force that binds us to the earth)
  • (II) पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति। (The Motion of the moon around the earth)
  • (III) सूर्य के चारों ओर ग्रहों की गति। (Motion of planets around the sun)
  • (IV) चंद्रमा तथा सूर्य के कारण ज्वार-भाटा आना। (Tides due to the moon and the sun)


गुरुत्वाकर्षण बल की विशेषताएं (Characteristics of Gravitational Force)-

  • (I) गुरुत्वाकर्षण बल की प्रकृति आकर्षक (Attractive) होती है।
  • (II) गुरुत्वाकर्षण बल माध्यम की प्रकृति (Nature of Medium) पर निर्भर नहीं करता है।
  • (III) गुरुत्वाकर्षण बल प्रकृति में संरक्षी बल (Conservation Force) होता है।
  • (IV) गुरुत्वाकर्षण बल एक केंद्रीय बल (Central Force) है जो दो पिण्ड के द्रव्यमान केंद्रों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है।
  • (V) गुरुत्वाकर्षण बल व्युत्क्रम वर्ग के नियम (Law of Inverse Square) का पालन करता है।
  • (VI) गुरुत्वाकर्षण बल की परास (Range) सबसे अधिक होती है।
  • (VI) चार मूल बलों में गुरुत्वाकर्षण बल सबसे कमजोर बल होता है।


पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल (Earths Gravitational Force)-

  • पृथ्वी द्वारा लगाए गए गुरुत्वाकर्षण बल या खिंचाव बल को गुरुत्व बल कहते हैं।


मुक्त पतन अवस्था (Free Fall Condition)-

  • जब कोई वस्तु केवल पृथ्वी के गुरुत्व बल के कारण नीचे गिरती है तो वस्तु की वह अवस्था मुक्त पतन अवस्था कहलाती है।

  • मुक्त पतन अवस्था में वस्तु के वेग की दिशा में कोई परिवर्तन नहीं होता है क्योंकि वस्तु हमेशा पृथ्वी की तरफ गिरती है लेकिन वस्तु के वेग के परिमाण में परिवर्तन होता है।


👉गुरुत्वीय त्वरण (Gravitational Acceleration) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


गुरुत्वीय त्वरण व गुरुत्वीय नियतांक में अंतर (Difference between Gravitational Acceleration and Gravitational Constant)-

  • (I) गुरुत्वीय त्वरण (Gravitational Acceleration)

  • (II) गुरुत्वीय नियतांक (Gravitational Constant)


(I) गुरुत्वीय त्वरण (Gravitational Acceleration)-

  • गुरुत्वीय त्वरण का मान 9.8 M/S^2 होता है।
  • अलग-अलग स्थानों पर गुरुत्वीय त्वरण का मान अलग-अलग होता है।
  • गुरुत्वीय त्वरण एक सदिश राशि है। (It is a vector quantity)
  • गुरुत्वीय त्वरण का मात्रक m/s^2 होता है।


(II) गुरुत्वीय नियतांक (Gravitational Constant)-

  • गुरुत्वीय नियतांक का मान 6.673 × 10^-11 NM^2/Kg^2
  • अलग-अलग स्थानों पर गुरुत्वीय नियतांक का मान एक समान होता है।
  • गुरुत्वीय नियतांक एक अदिश राशि है। (It is a scaler quantity)
  • गुरुत्वीय नियतांक का मात्रक NM^2/Kg^2 होता है।


यदि किसी व्यक्ति का भार 98N है तो उस व्यक्ति का द्रव्यमान ज्ञात करो-

  • W = m × g
  • 98 = m × 9.8
  • m = 98 × 10/98
  • m = 10 (उत्तर)


यदि किसी व्यक्ति का पृथ्वी पर भार 1200N है तथा चंद्रमा पर 200N है (g = 10 m/s^2) तो-

  • (I) पृथ्वी व चंद्रमा पर व्यक्ति का द्रव्यमान ज्ञात करो

  • (II) चंद्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान ज्ञात करो


(I) पृथ्वी व चंद्रमा पर व्यक्ति का द्रव्यमान ज्ञात करो-

  • पृथ्वी पर W = 1200N
  • m = ?
  • g = 10 m/s^2
  • W = m × g
  • 1200 = m × 10
  • m = 120 Kg
  • चंद्रमा पर W = 200N
  • m = 120 Kg


(II) चंद्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान ज्ञात करो-

  • W = 200N
  • m = 120 Kg
  • g = ?
  • w = m × g
  • 200 = 120 × g
  • g = 10/6
  • चंद्रमा पर गुरुत्वीय त्वरण का मान पृथ्वी के गुरुत्वीय त्वरण का 1/6 गुना होता है।
  • g (moon) = 1/6 g (earth)


👉ग्रहों की गति के केप्लर के नियम (Kepler's Laws of Planetary Motion) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


गुरुत्वीय क्षेत्र (Gravitational Field)-

  • किसी पिण्ड के चारों ओर का वह क्षेत्र जिसमें उस पिण्ड के गुरुत्वीय प्रभाव को अनुभव किया जा सकता है उसे उस पिण्ड का गुरुत्वीय क्षेत्र कहते हैं।


पलायन वेग (Escape Velocity)-

  • वह न्यूनतम वेग जिससे यदि किसी वस्तु को पृथ्वी से फेका जाए और वह वस्तु पुनः पृथ्वी पर लौटकर नहीं आए तो उसे पलायन वेग कहते हैं। अर्थात् किसी वस्तु को पृथ्वी के गुरुत्वीय क्षेत्र से पलायन हेतु आवश्यक न्यूनतम वेग को पलायन वेग कहते हैं।
  • Ve = √2×G×Me/R
  • यहाँ-
  • Me = पृथ्वी का द्रव्यमान
  • R = पृथ्वी की त्रिज्या
  • Ve = पलायन वेग
  • पलायन वेग का मान खगोलीय पिण्ड के द्रव्यमान (Mass) व त्रिज्या (Radius) पर निर्भर करता है।
  • पलायन वेग का मान वस्तु (पिण्ड) के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
  • किसी भी ग्रह या उपग्रह पर वायुमण्डल का होने या न होने में पलायन वेग की महत्वपूर्ण भूमिका होती है
  • पृथ्वी का पलायन वेग 11.2 किलोमीटर प्रति सैकण्ड होता है। (Earth's Escape Velocity is 11.2 km/sec)
  • चन्द्रमा पर पलायन वेग 2.4 किलोमीटर प्रति सैकण्ड होता है। (Moon's Escape Velocity is 2.4 km/sec)
  • हाइड्रोजन अणु का सामान्य वेग 2.6 किलोमीटर प्रति सैकण्ड होता है। (Hydrogen Molecule's Normal Velocity is 2.6 km/sec)
  • चन्द्रमा का पलायन वेग 2.4 किलोमीटर प्रति सैकण्ड है जबकि 500 कैल्विन (Kelvin) पर हाइड्रोडन अणु का सामान्य वेग 2.6 किलोमीटर प्रति सैकण्ड है अर्थात् चन्द्रमा का पलायन वेग हाइड्रोजन अणु के सामान्य वेग से कम होने के कारण चन्द्रमा पर वायुमण्डल नहीं पाया जाता है।


उपग्रह का कक्षीय वेग (Orbital Velocity of Satellite)-

  • किसी उपग्रह को अपनी कक्षा में घूमने के लिए आवश्यक वेग उस उपग्रह का कक्षीय वेग कहलाता है।
  • उपग्रह के कक्षीय वेग में दो प्रकार का बल लगता है। जैसे-
  • (I) अभिकेंद्रिय बल (Centripetal Force)- अभिकेंद्रिय बल केंद्र से बाहर की तरफ लगता है।
  • (II) अपकेंद्रिय बल (Centrifugal Force)- अपकेंद्रिय बल केंद्र की तरफ लगता है।
  • माना m द्रव्यमान का एक उपग्रह V0 वेग से R त्रिज्या के वृत्तीय मार्ग पर पृथ्वी की परिक्रमा कर रहा है तब-
  • अभिकेंद्रिय बल (Centripetal Force) = G × Me × m/ (R+h)^2...................(1)
  • अपकेंद्रिय बल (Centrifugal Force) = m × V0^2/(R+h)..............(2)
  • समीकरण (1) व (2) से-
  • m × Vo^2/ (R+h) = G × Me × m/ (R+h)^2
  • V0 = √G×Me/(R+h)
  • जहाँ-
  • V0 = उपग्रह का वेग
  • R = पृथ्वी की त्रिज्या
  • h = पृथ्वी की सतह से उपग्रह की ऊँचाई
  • कक्षीय वेग का मान उपग्रह की पृथ्वी की सतह से ऊँचाई पर निर्भर करता है। (h)
  • कक्षीय वेग का मान उपग्रह के द्रव्यमान पर निर्भर नहीं करता है।
  • पलायन वेग (Ve) = √2× कक्षीय वेग (V0)
  • Ve = √2 × V0


अभिकेंद्रिय बल (Centripetal Force)-

  • वृतीय गति के दौरान केंद्र के ओर लगने वाले बल को अभिकेंद्रिय बल कहते हैं। जैसे- गुरुत्वाकर्षण बल (Gravitational Force)


अपकेंद्रिय बल (Centrifugal Force)-

  • वृतीय गति के दौरान केंद्र से बाहर की ओर लगने वाले बल को अपकेंद्रिय बल कहते हैं। जैसे- घरों में वाशिंग मशीन, दूध से क्रीम निकालने की मशीन आदि अपकेंद्रिय बल के आधार पर कार्य करती है।


👉दाब (Pressure) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


उत्क्षेप बल (Upthrust Force)-

  • जब भी किसी वस्तु को द्रव में डुबोया जाता है तब उस पर दो बल कार्य करते हैं।
  • एक बल भार के कारण वस्तु को नीचे खींचता है जबकि दूसरा बल उस वस्तु को ऊपर की ओर धक्का लगाता है।
  • ऊपर की ओर लगने वाले इस बल को उत्क्षेप बल कहते हैं।
  • F = V × ᖌw × g (ᖌ = रो)
  • यहाँ-
  • V = वस्तु द्वारा हटाये गये द्रव का आयतन
  • ᖌw = द्रव का घनत्व
  • द्रव से कम घनत्व वाली वस्तु द्रव की सतह पर तैरती है।


आर्किमिडीज का सिद्धांत (Archimedes Principle)-

  • जब किसी वस्तु को पूर्णतः या आंशिक रूप से द्रव में डुबोया जाता है तो उस वस्तु के भार में कमी महसूस होती है।
  • यह कमी उस वस्तु द्वारा हटाये गए जल के भार या उत्पलावन बल (Buoyancy Force) के बराबर होती है।


महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-

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