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ऊष्मा (Heat)

ऊष्मा (Heat)-

  • ऊष्मा, ऊर्जा का एक रूप है जो दो असमान तापमान की वस्तु को पास में लाने पर अधिक तापमान से कम तापमान की ओर स्थानांतरित होती है।
  • ऊष्मा का मात्रक कैलोरी (Calorie) होता है।
  • ऊष्मा एक अदिश राशि (Scalar Quantity) है।
  • ऊष्मा को कार्य में परिवर्तित किया जा सकता है।
  • 1 कैलोरी = 4.2 जूल (Joule- J) अर्थात् 1 कैलोरी से 4.2 जूल कार्य किया जा सकता है।


कैलोरी (Calorie)-

  • एक ग्राम जल के तापमान को 1℃ बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को एक कैलोरी ऊष्मा या एक कैलोरी कहते हैं।


अन्तर्राष्ट्रीय कैलोरी (International Calorie)-

  • एक ग्राम जल के तापमान को 14.5℃ से 15.5℃ तक बढ़ाने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसे एक अन्तर्राष्ट्रीय कैलोरी कहते हैं।


ब्रिटिश थर्मल यूनिट (British Thermal Unit- BTU)-

  • एक पाउण्ड जल के तापमान को 1℉ बढ़ाने के लिए जितनी ऊष्मा की आवश्यकता होती है उसे एक ब्रिटिश थर्मल यूनिट कहते हैं।
  • 1 Pound = 453 gm (1 पाउण्ड = 453 ग्राम)
  • 1 BTU = 252 Calorie (1 ब्रिटिश थर्मल यूनिट = 252 कैलोरी)


ताप (Temperature)-

  • ताप वह मान है जिससे किसी वस्तु के ठण्डे या गर्म होने का मापन किया जाता है।


तापमापी (Thermometer) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


ऊष्मीय प्रसार (Thermal Expansion)-

  • सामान्यतः सभी पदार्थ ऊष्मा पाकर प्रसारित होते हैं तथा उनका आयतन बढ़ता है।
  • ठोस, ऊष्मा पाकर प्रसारित होते हैं इसलिए-
  • (I) रेल की पटरियों के मध्य जगह छोड़ी जाती है।
  • (II) खम्बे पर लगे तारों को ढीला बांधा जाता है।
  • द्रव ऊष्मा पाकर प्रसारित होते हैं लेकिन 0℃ से 4℃ तक जल का व्यवहार विपरीत होता है।-
  • 0℃ से 4℃ तक जल का आयतन कम होता है और घनत्व बढ़ता है अर्थात् 4℃ पर जल का घनत्व अधिकतम होता है तथा आयतन न्यूनतम होता है।
  • जल के इस व्यवहार का दैनिक जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है इसी कारण झील, तालाब आदि की सतह पर बर्फ जम जाती है लेकिन गहराई में बर्फ नहीं जमती है इस कारण जलीय जीव सुरक्षित रहते हैं।


ऊष्मा का संचरण या स्थानांतरण (Transmission of Heat)-

  • ऊष्मा का संचरण तीन विधियों के द्वारा होता है। जैसे-
  • 1. चालन (Conduction)
  • 2. संवहन (Convection)
  • 3. विकिरण (Radiation)


1. चालन (Conduction)-

  • ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें माध्यम के अणु अपने स्थान का परित्याग किए बिना कम्पन द्वारा ऊष्मा का संचरण या ऊष्मा का स्थानांतरण करते हैं।
  • ठोस में ऊष्मा संचरण इसी विधि के द्वारा होता है।


2. संवहन (Convection)-

  • ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें माध्यम के अणु अपने स्थान का परित्याग करके ऊष्मा को स्थानांतरित करते हैं।
  • इस विधि में संवहनीय धाराओं के द्वारा ऊष्मा का संचरण होता है।
  • गैस व द्रव में ऊष्मा का संचरण इस विधि द्वारा होता है।


3. विकिरण (Radiation)-

  • ऊष्मा संचरण की वह विधि जिसमें ऊष्मा के संचरण के लिए माध्यम की आवश्यकता नहीं होती है।

  • प्रकाश ऊर्जा (Light Energy) का स्थानांतरण विकिरण विधि द्वारा होता है।


चालकता के आधार पर पदार्थों के प्रकार (Types of Substances on the basis of conductivity)-

  • चालन या चालकता के आधार पर पदार्थों को तीन भागों में विभाजित किया गया है। जैसे-
  • 1. चालक या सुचालक (Good Conductor)
  • 2. कुचालक (Bad Conductor)
  • 3. ऊष्मारोधी (Thermal Insulator)


1. चालक या सुचालक (Good Conductor)-

  • वे पदार्थ जिनमें ऊष्मा का स्थानांतरण आसानी से होता है चालक या सुचालक कहलाते हैं। जैसे-
  • (I) सभी धातु (Metals)
  • (II) अम्लीय जल (Acidic Water)
  • (III) मानव शरीर (Human Body)


2. कुचालक (Bad Conductor)-

  • वे पदार्थ जिनमें ऊष्मा का स्थानांतरण कम होता है कुचालक कहलाते हैं। जैसे-
  • (I) लकड़ी (Wood)
  • (II) प्लास्टिक (Plastic)
  • (III) रबर (Rubber)
  • (IV) वायु (Air)
  • (V) काँच (Glass)


3. ऊष्मारोधी (Thermal Insulator)-

  • वे पदार्थ जिनमें ऊष्मा का स्थानांतरण नहीं होता है ऊष्मारोधी कहलाते हैं। जैसे-
  • (I) एस्बेस्टोस (Asbestos)
  • (II) इबोनाइट (Ebonite)


ऊष्मा का उत्सर्जन (Emission of Heat)-

  • सभी पदार्थ विभिन्न या अलग-अलग तापमान पर विकिरण के रूप में ऊष्मा का उत्सर्जन करते हैं।
  • यह उत्सर्जन पदार्थ के तापमान (Temperature of Substance), पदार्थ के क्षेत्रफल (Area of Substance) तथा पदार्थ की प्रकृति (Nature of Substance) पर निर्भर करता है।
  • काली व खुरदरी वस्तुऐं ऊष्मा का उत्सर्जन अधिक करती है।
  • सफेद व चिकनी वस्तुऐं ऊष्मा का उत्सर्जन कम करती है इसलिए चाय के कप चिकने व हल्के रंग के बनाये जाते हैं।


ऊष्मा का अवशोषण (Absorption of Heat)-

  • जब किसी वस्तु पर ऊष्मा की विकिरण गिरती है तो उसका कुछ भाग अवशोषित (Absorbed) होता है, कुछ भाग परावर्तित (Reflected) होता है एवं कुछ भाग पारगमित (Transmitted) हो जाता है।
  • ऊष्मा का अवशोषण पदार्थ की प्रकृति पर निर्भर करता है।
  • काली एवं खुरदरी वस्तुऐं ऊष्मा का अवशोषण अधिक करती है।


कृष्ण पिण्ड (Black Body)-

  • वह वस्तु जो अपने ऊपर गिरने वाली समस्त विकिरणों का अवशोषित कर लेती है कृष्ण पिण्ड कहलाती है। जैसे- काजल (Kajal)


किरचॉफ का नियम (Kirchhoff's Law)-

  • किरचॉफ के नियम के अनुसार जो पदार्थ अच्छे उत्सर्जक होते हैं वे अच्छे अवशोषक भी होते हैं। जैसे- काली व खुरदरी वस्तुऐं अच्छी उत्सर्जक के साथ अच्छी अवशोषक भी होती है।


न्यूटन का शीतलन का नियम (Newton's Law of Cooling)-

  • न्यूटन के शीतलन के नियम के अनुसार किसी भी वस्तु के विकिरण द्वारा ऊष्मा के क्षय (Loss of Heat) की दर उस वस्तु के तापमान (Temperature of Object) तथा माध्यम के तापमान (Temperature of Surrounding) के अन्तर के समानुपाती (Proportional) होती है।
  • dH/dt ∝ ΔT
  • (∝ = समानुपाती, Δ = डेल्टा)
  • ऊष्मा क्षय की दर = dH/dt
  • ΔT = T-T0 (T = वस्तु का तापमान, T0 = माध्यम का तापमान)
  • किसी भी वस्तु के तापमान को 90℃ से 80℃ होने में लगा समय, 50℃ से 40℃ होने में लगे समय से कम होता है। अर्थात् वस्तु के तापमान को 90℃ से 80℃ होने में समय कम लगेगा जबकि 50℃ से 40℃ होने में समय अधिक लगेगा।


तापमान के पैमाने (Scales of Temperature) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


विशिष्ट ऊष्मा (Specific Heat)-

  • किसी भी वस्तु के 1 ग्राम द्रव्यमान के तापमान को 1℃ बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को उस वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा कहते हैं।
  • S = Q/(m×ΔT)
  • यहाँ-
  • S = विशिष्ट ऊष्मा
  • m = द्रव्यमान
  • Q = आवश्यक ऊष्मा
  • ΔT = तापमान में परिवर्तन
  • विशिष्ट ऊष्मा एक अदिश राशि () है।
  • विशिष ऊष्मा का मात्रक कैलोरी/ ग्राम×℃ होता है। (Calorie/gm×℃)
  • जल की विशिष्ट ऊष्मा 1 कैलोरी प्रति ग्राम होती है।
  • द्रव में जल की विशिष्ट ऊष्मा सर्वाधिक होती है।
  • पारे (Mercury) की विशिष्ट ऊष्मा सबसे कम होती है।
  • मिट्टी की विशिष्ट ऊष्मा, जल की विशिष्ट ऊष्मा से कम होती है इसलिए मिट्टी जल्दी गर्म व जल्दी ठण्डी होती है।
  • गैसों में हाइड्रोजन गैस (H2) की विशिष्ट ऊष्मा सर्वाधिक होती है।


ऊष्माधारिता (Heat Capacity)-

  • किसी वस्तु के द्रव्यमान का तापमान 1℃ बढ़ाने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को ऊष्माधारिता कहते हैं।
  • किसी वस्तु की ऊष्माधारिता उस वस्तु के द्रव्यमान तथा उस वस्तु की विशिष्ट ऊष्मा के गुणनफल के बराबर होती है। अर्थात्-
  • ऊष्माधारिता (C) = द्रव्यमान (m) × विशिष्ट ऊष्मा (S)


गुप्त ऊष्मा (Latent Heat)-

  • निश्चित तापमान पर किसी वस्तु की इकाई मात्रा की अवस्था परिवर्तन के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
  • L = Q/m
  • यहाँ-
  • L = गुप्त ऊष्मा
  • Q = आवश्यक ऊष्मा
  • m = द्रव्यमान
  • गुप्त ऊष्मा का मात्रक कैलोरी प्रति ग्राम (Calorie/gm) होता है।
  • गुप्त ऊष्मा एक अदिश राशि है।
  • गुप्त ऊष्मा के कारण गर्म जल की तुलना में वाष्प में अधिक जलन महसूस होती है।
  • गुप्त ऊष्मा दो प्रकार की होती है। जैसे-
  • (I) गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion/Melting)
  • (II) वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization)


(I) गलन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Fusion/Melting)-

  • निश्चित तापमान पर 1 ग्राम ठोस को द्रव में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को गलन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
  • बर्फ को 0℃ तापमान पर जल में परिवर्तित करने के लिए 90 Calorie/gm ऊष्मा की आवश्यकता होती है।


(II) वाष्पन की गुप्त ऊष्मा (Latent Heat of Vaporization)-

  • निश्चित तापमान पर 1 ग्राम द्रव को गैस में परिवर्तित करने के लिए आवश्यक ऊष्मा की मात्रा को वाष्पन की गुप्त ऊष्मा कहते हैं।
  • जल को 100℃ तापमान पर वाष्प में परिवर्तित करने के लिए 540 Calorie/gm ऊष्मा की आवश्यकता होती है।


सी बैक प्रभाव (See Back Effect)-

  • जब दो अलग-अलग धातुओं के सिरों को चालक तार द्वारा जोड़कर अलग-अलग तापमान पर रखा जाता है तो परिपथ में विद्युत धारा प्रवाहित होती है इसे सी बैक प्रभाव कहते हैं।


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