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पाचन तंत्र (Digestive System)

पाचन (Digestion)-

  • जटिल (Complex) और अघुलनशील (Insoluble) भोजन का सरल (Simple) और घुलनशील (Soluble) भोजन में बदलने की क्रिया को ही पाचन कहते हैं।


पाचन तंत्र में निम्न क्रियाएं होती है।-

  • 1. अंतर्ग्रहण (Ingestion)
  • 2. पाचन (Digestion)
  • 3. अवशोषण (Absorption)
  • 4. स्वांगीकरण (Assimilation)
  • 5. मल उत्सर्जन या मल त्यागना (Stool Excretion)


1. अंतर्ग्रहण (Ingestion)-

  • मनुष्य के द्वारा भोजन को ग्रहण करने की क्रिया को ही अंतर्ग्रहण कहते हैं।
  • अंतर्ग्रहण की क्रिया में जो भोजन मनुष्य के द्वारा ग्रहण किया जाता है वह भोजन जटिल व अघुलनशील होता है।
  • मनुष्य के द्वारा जो भोजन ग्रहण किया जाता है उस भोजन में लगभग 70 प्रतिशत मात्रा कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate)/ स्टार्च (Starch) की होता है तथा लगभग 30 प्रतिशत मात्रा प्रोटीन (Protein) व वसा (Lipid) की होती है।


2. पाचन (Digestion)-

  • मनुष्य के शरीर में भोजन के अंतर्ग्रहण की क्रिया के बाद पाचन की क्रिया प्रारम्भ होती है।
  • पाचन एक रासायनिक अभिक्रिया (Chemical Reaction) है।
  • मनुष्य के शरीर में पाचन की क्रिया धनात्मक उत्प्रेरक (Positive Catalyst) के द्वारा होती है।
  • जिस धनात्मक उत्प्रेरक से पाचन की क्रिया होती है उस धनात्मक उत्प्रेरक का निर्माण मनुष्य के शरीर के द्वारा होता है।
  • जन धनात्मक उत्प्रेरक से पाचन की क्रिया होती है उसे एन्जाइम (Enzyme) कहते हैं।
  • धनात्मक उत्प्रेरक या एन्जाइम को जैव उत्प्रेरक (Bio Catalyst) भी कहते हैं।

3. अवशोषण (Absorption)-

  • मनुष्य के शरीर में भोजन के पाचन की क्रियां के बाद अवशोषण की क्रिया होती है।

  • अवशोषण की क्रिया में पचित भोजन (ग्लूकोज) आहार नाल (Alimentary Canal) से निकलकर रक्त में आ जाता है।
  • भोजन पचने के बाद ग्लूकोज में परिवर्ती हो जाता है।


4. स्वांगीकरण (Assimilation)-

  • अवशोषण की क्रिया के बाद पचित भोजन (ग्लूकोज) रक्त से निकलकर कोशिकाओं में चला जाता है।
  • पचित भोजन (ग्लूकोज) का रक्त से निकलकर कोशिकाओं में जाना ही स्वांगीकरण कहलाता है।
  • पचित भोजन अर्थात् ग्लूकोज को रक्त से निकालकर कोशिकाओं में लेकर जाने का कार्य इंसुलिन हार्मोन (Insulin Hormone) के द्वारा किया जाता है।


5. मल उत्सर्जन या मल त्यागना (Stool Excretion)-

  • भोजन का वह भाग जिसका पाचन मनुष्य के शरीर में नहीं हो पाता है उस भोजन को अपचित भोजन (Undigested Food) कहते हैं।
  • मनुष्य के शरीर में अपचित भोजन आगे जाकर मल बनाता है।
  • मनुष्य के शरीर में बनने वाले मल को मल त्यागने की प्रक्रिया के द्वारा शरीर से बाहर निकाल दिया जाता है।
  • मनुष्य के शरीर में अपचित भोजन जटिल और अघुलनशी होता है।


 एन्जाइम (Enzyme)-

  • एन्जाइम प्रोटीन का ही एक रूप है।

  • एन्जाइम कोशिकाओं में पाया जाता है।
  • एन्जाइम प्रकृति में विशिष्ट (Specific) होते हैं। अर्थात् अलग-अलग एन्जाइम अलग-अलग क्रिया पर काम करते हैं।


भोजन (Food)-

  • भोजन में लगभग 70 प्रतिशत मात्रा में कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) होता है।
  • भोजन में लगभग 30 प्रतिशत मात्रा में वसा (Lipid) व प्रोटीन (Protein) होता है।
  • भोजन में अल्प मात्रा में विटामिन (Vitamin) और खनिज लवण (Minerals) होते हैं।
  • भोजन के द्वारा शरीर में ग्रहण किये गये काब्रोहाइड्रेट, प्रोटीन तथा वसा ही ग्लूकोज (Glucose) में परिवर्तित होते हैं।
  • भोजन के द्वारा शरीर में ग्रहण किये गये विटामिन तथा खनिज लवण ग्लूकोज में परिवर्तित नहीं होते हैं।


ऊर्जा का निर्माण (Formation of Energy)-

  • मनुष्य के शरीर में ऊर्जा का निर्माण ग्लूकोज तथा ऑक्सीजन (Oxygen) के मिलने से होता है।
  • मनुष्य के शरीर मे ऊर्जा का निर्माण कोशिकाओं में होता है। अर्थात् कोशिकाओं में ही ग्लूकोज और ऑक्सीजन मिलकर ऊर्जा का निर्माण करते हैं।
  • ग्लूकोज और ऑक्सीजन के मिलकर ऊर्जा बनाने के दौरान ही कार्बन डाई ऑक्साइड गैस का निर्माण होता है।
  • कार्बन डाई ऑक्साइड (CO2) एक जहरीली गैस होती है।
  • कार्बन डाई ऑक्साइड गैस श्वसन क्रिया के दौरान शरीर से बाहर निकल जाती है।


रासायनिक अभिक्रिया (Chemical Reaction)-

  • अभिकारक को उत्पाद में परिवर्तित करने की क्रिया को ही रासायनिक अभिक्रिया कहते हैं। अर्थात् अभिकारक को रासायनिक अभिक्रिया के द्वारा ही उत्पाद में परिवर्तित किया जाता है।


उत्प्रेरक (Catalyst)-

  • रासायनिक अभिक्रिया को धीरे या तेज करवाने वाले कारक को उत्प्रेरक कहते हैं।
  • उत्प्रेरक दो प्रकार के होते हैं। जैसे-
  • (I) धनात्मक उत्प्रेरक (Positive Catalyst)
  • (II) ऋणात्मक उत्प्रेरक (Negative Catalyst)


(I) धनात्मक उत्प्रेरक (Positive Catalyst)-

  • धनात्मक उत्प्रेरक वे उत्प्रेरक होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया को तेजी से करवाते हैं।


(II) ऋणात्मक उत्प्रेरक (Negative Catalyst)-

  • ऋणात्मक उत्प्रेरक वे उत्प्रेरक होते हैं जो रासायनिक अभिक्रिया को धीमी गति से करवाते हैं।


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