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शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies- ULB)

शहरी स्थानीय निकाय (Urban Local Bodies- ULB)-

  • भारत की प्रथम नगर निगम 1687 ई. में मद्रास में स्थापित की गई थी।
  • राजस्थान की प्रथम नगर पालिका 1864 ई. में माउंट आबू में स्थापित की गई थी।
  • राजीव गांधी सरकार द्वारा 65वें संविधान संशोधन 1989 के माध्यम से नगरीय निकायों (ULB) को संविधान में स्थान देने के प्रयास किये गए।


74वां संविधान संशोधन-

  • नगरीय निकायों को संवैधानिक आधार 74वें संविधान संशोधन 1992 के द्वारा प्रदान किये गए।
  • भारत सरकार द्वारा 74वें संविधान संशोधन का क्रियान्वयन 1 जुन 1993 को किया गया।
  • राजस्थान सरकार द्वारा 74वें संविधान संशोधन का क्रियान्वयन 9 अगस्त 1994 को किया गया।
  • 74वें संविधान संशोधन में संवैधानिक प्रावधान-
  • 74वें संविधान संशोधन से संविधान में भाग 9 (A) जोड़ा गया जिसका शीर्षक नगर पालिका था।
  • 74वें संविधान संशोधन से संविधान में 12वीं अनुसूचि जोड़ी गयी जिसमें 18 विषय थे।
  • 74वें संविधान संशोधन में शहरी स्थानीय निकायों को संविधान के अनुच्छेद 243 (P) से 243 (ZG) तक स्थान दिया गया।


शहरी स्थानीय निकाय से संबंधित महत्वपूर्ण अनुच्छेद (Important Article related to Urban Local Bodies/ULB)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (P) से लेकर अनुच्छेद 243 (ZG) तक शहरी स्थानीय निकाय का उल्लेख किया गया है।


अनुच्छेद 243 (P)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (P) में महानगर, नगर क्षेत्रों की परिभाषा का उल्लेख किया गया है। जैसे-

  • महानगर क्षेत्र की परिभाषा (Definition of Metropolitan Area)-
  • (I) 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्र
  • नगर या कस्बा (Town)-
  • (I) न्यूनतम 5000 जनसंख्या वाले क्षेत्र
  • (II) 75% पुरुष कार्मिक गैर कृषि कार्यों में संलग्न हो।
  • (III) जनसंख्या घनत्व 400 प्रति वर्ग किलोमीटर


अनुच्छेद 243 (Q)-

  • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (Q) में नगरीय निकायों की त्रिस्तरीय व्यवस्था का उल्लेख किया गया है। जैसे-
    • (I) नगर निगम (Municipal Corporation)
    • (II) नगर परिषद (Municipal Council)
    • (III) नगर पालिका (Municipality)
  • राजस्थान में 5 लाख से अधिक जनसंख्या पर नगर निगम का गठन होता है।
  • राजस्थान में 1 लाख से 5 लाख तक जनसंख्या पर नगर परिषद का गठन होता है।
  • नगरपालिका तीन प्रकार की होती है। जैसे-
    • (I) नगरपालिका प्रकार- I
    • (II) नगरपालिका प्रकार- II
    • (III) नगरपालिका प्रकार- III
  • राजस्थान में 50,000 से 99,999 जनसंख्या पर नगरपालिका-I का गठन होता है।
  • राजस्थान में 25,000 से 49,9999 जनसंख्या पर नगरपालिका-II का गठन होता है।
  • राजस्थान में 5,000 से 25,000 जनसंख्या पर नगरपालिका-III का गठन होता है।


      अनुच्छेद 243 (R)-

      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (R) में शहरी स्थानीय निकायों की संरचना या संगठन का उल्लेख किया गया है। जैसे-

      • (I) तीनों स्तर पर पार्षद या सदस्यों का चुनाव प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा होता है।
      • (II) तीनों स्तर पर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष के चुनाव का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है।
      • राजस्थान में तीनों स्तर पर अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का चुनाव अप्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा होता है।


      विशेष- राज्य सरकार  द्वारा तीनों स्तर पर मनोनयन- 

      • (I) नगर निगम (Municipal Corporation)- 12 सदस्य मनोनीत
      • (II) नगर परिषद (Municipal Council)- 8 सदस्य मनोनीत
      • (III) नगर पालिका (Municipality)- 6 सदस्य मनोनीत
      • उपर्युक सदस्यों को राजस्थान नगर पालिका संशोधन अधिनियम 2021 द्वारा शहरी स्थानीय निकायों में मनोनीत किया जाता है।


      अनुच्छेद 243 (S)-

      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (S) में शहरी स्थानीय निकायों में वार्ड समिति (Ward Committee) के गठन का उल्लेख किया गया है। (3 लाख से अधिक जनसंख्या वाले क्षेत्रों में)


      अनुच्छेद 243 (W)-

      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (W) में शहरी स्थानीय निकायों के कार्यों का उल्लेख किया गया है। (12वीं अनुसूची के 18 विषयों पर)


      अनुच्छेद 243 (Y)-

      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (Y) में शहरी स्थानीय निकायों हेतु राज्य वित्त आयोग (State Finance Commission) के प्रावधान का उल्लेख किया गया है।


      अनुच्छेद 243 (ZA)-

      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (ZA) में शहरी स्थानीय निकायों हेतु राज्य निर्वाचन आयोग (State Election Commission) के प्रावधान का उल्लेख किया गया है।


      अनुच्छेद 243 (ZD)-

      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (ZD) में जिला आयोजना समिति (District Planning Committee- DPC) का उल्लेख किया गया है।


      अनुच्छेद 243 (ZE)-

      • भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (ZE) में महानगरीय नियोजना समिति या महानगरीय आयोजना समिति का उल्लेख किया गया है। जैसे-
      • महानगरीय नियोजना समिति या महानगरीय आयोजना समिति न्यूनतम 2/3 सदस्य पंचायती राज संस्थाओं (PRI) व नगरीय निकायों (ULB) से होते हैं।


      राजस्थान में नगर निगम (Municipal Corporation)-

      • 1. जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation)- स्थापना 1992
      • 2. जोधपुर नगर निगम (Jodhpur Municipal Corporation)- स्थापना 1992
      • 3. कोटा नगर निगम (Kota Municipal Corporation)- स्थापना 1993
      • 4. अजमेर नगर निगम (Ajmer Municipal Corporation)- स्थापना 2008
      • 5. बीकानेर नगर निगम (Bikaner Municipal Corporation)- स्थापना 2008
      • 6. उदयपुर नगर निगम (Udaipur Municipal Corporation)- स्थापना 2014
      • 7. भरतपुर नगर निगम (Bharatpur Municipal Corporation)- स्थापना 2014
      • राजस्थान में तीन नई नगर निगम जैसे-
      • 8. जयपुर नगर निगम (Jaipur Municipal Corporation)- स्थापना 2019
      • 9. जोधपुर नगर निगम (Jodhpur Municipal Corporation)- स्थापना 2019
      • 10. कोट नगर निगम (Kota Municipal Corporation)- स्थापना 2019
      • वर्तमान में राजस्थान में कुल 10 नगर निगम स्थित है।


      राइट टू रिकॉल (Right to Recall)-

      • शहरी स्थानीय निकाय में राइट टू रिकॉल (वापस बुलाने का अधिकार) का प्रावधान सन् 2011 में लाया गया था।
      • शहरी स्थानीय निकाय में राइट टू रिकॉल के प्रावधान के सन् 2012 में लागू या क्रियान्वयन किया गया था।
      • राइट टू रिकॉल में हटाने का प्रस्ताव 1/3 सदस्यों के समर्थन से रखा जाएगा।
      • राइट टू रिकॉल में हटाने का प्रस्ताव 3/4 सदस्यों के समर्थन से पारित किया जाएगा। (2017 से पहले प्रस्ताव पारित करवाने के लिए 2/3 सदस्यों का समर्थन चाहिए होता था।, 2017 से 3/4 सदस्यों का समर्थन चाहिए होता है।)


      अन्य शहरी स्थानीय निकाय (जिनका प्रावधान संविधान में नहीं है)-

      • 1. छावनी मंडल (Cantonment Board)
      • 2. अधिसूचित क्षेत्र समिति (Notified Area Committee)
      • 3. एकल उद्देश्य अभिकरण (Single Purpose Agency)
      • 4. न्यास पत्तन (Port Trust)


      1. छावनी मंडल (Cantonment Board)-

      • छावनी मंडल एक सांविधिक निकाय (Statutory Body) है क्योंकि इसकी स्थापना छावनी मंडल कानून 1924 के द्वारा की गई है।
      • छावनी मंडल कानून 1924 (Cantonment Act 1924) में सन् 2006 में संशोधन किया गया था।
      • छावनी मंडल रक्षा मंत्रालाय के अधीन कार्य करते हैं।
      • धावनी मंडल में सदस्य-
      • (I) नागरिकों में से- निर्वाचित सदस्य
      • (II) सैन्य प्रशासन से- मनोनीत सदस्य
      • छावनी मंडल में निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल 3 वर्ष होता है।
      • छावनी मंडल का अध्यक्ष कमांडिंग ऑफिसर (Commanding Officer- CO) होता है।
      • वर्तमान में भारत में कुल 62 छावनी मंडल है।
      • वर्तमान में राजस्थान में एक छावनी मंडल है। जैसे-
      • (I) नसीराबाद छावनी मंडल (अजमेर)
      • नसीराबाद छावनी मंडल का अजमेर छावनी बोर्ड (Ajmer Cantonment Board) के नाम से जाना जाता है।
      • नसीराबाद छावनी मंडल की स्थापना 1961 ई. में की गई थी।


      2. अधिसूचित क्षेत्र समिति (Notified Area Committee)-

      • अधिसूचित क्षेत्र समिति का प्रावधान ना तो संविधान में किया गया है और ना ही यह समिति किसी अधिनियम से बनायी जाती है।
      • अधिसूचित क्षेत्र समितियों की स्थापना राजपत्र (Gazette) में अधिसूचना (Notification) के माध्यम से की जाती है।
      • अधिसूचित क्षेत्र समिति में सभी सदस्य राज्य सरकार द्वारा मनोनीत किये जाते हैं।
      • राजस्थान में अधिसूचिक क्षेत्र समिति जैसे-
        • (I) माउंट आबू (सिरोही)
        • (II) पुष्कर (अजमेर)
      • राजस्थान में सन् 1993 में अधिसूचित क्षेत्र समिति को समाप्त कर दिया गया था।
      • राजस्थान में अंतिम अधिसूचित क्षेत्र समिति का गठन 1993 में हुआ था।

      • अधिसूचित क्षेत्र समितियों का कार्य शहरी क्षेत्रों में विकास को सुनिश्चित करना था।


      3. एकल उद्देश्य अभिकरण (Single Purpose Agency)-

      • एकल उद्देश्य अभिकरण का उल्लेख संविधान में नहीं है।
      • एकल उद्देश्य अभिकरण की स्थापना किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ती हेतु की जाती है।
      • एकल उद्देश्य अभिकरण जैसे-
      • (I) जयपुर विकास प्राधिकरण (Jaipur Development Authority- JDA)
      • (II) जोधपुर विकास प्राधिकरण (Jodhpur Development Authority- JDA)
      • (III) अजमेर विकास प्राधिकरण (Ajmer Development Authority- ADA)
      • जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA) की स्थापना सन् 1982-83 में की गई थी।
      • जोधपुर विकास प्राधिकरण (JDA) की स्थापना सन् 2008 में की गई थी।
      • अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) की स्थापना सन् 2012 में की गई थी।
      • जयपुर विकास प्राधिकरण (JDA), जोधपुर विकास प्राधिकरण (JDA), अजमेर विकास प्राधिकरण (ADA) का कार्य शहरी विकास को सुनिश्चित करना या शहरी क्षेत्र में विकास को सुनिश्चित करना।
      • एक उद्देश्य अभिकरण का एक उद्देश्य शहरी विकास को सुनिश्चित करना।


      4. न्यास पत्तन (Port Trust)-

      • न्यास पत्तन एक सांविधिक निकाय है क्योंकि न्यास पत्तन की स्थापना संसद के द्वारा की जाती है। अर्थात् संसद के द्वारा कानून बनाकर की जाती है।
      • न्यास पत्तन के उद्देश्य-
      • (I) बंदरगाह क्षेत्र में विकास सुनिश्चित करना।
      • (II) बंदरगाह क्षेत्र में सुरक्षा सुनिश्चित करना।


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