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प्रकाश (Light)

प्रकाश (Light)-

  • प्रकाश वह बाह्य कारक है जो वस्तुओं को हमारी आँखो के लिए दृश्य बनाता है।
  • प्रकाश, विद्युत चुम्बकीय तरंग है।
  • प्रकाश का तरंगदैर्ध्य (Wave Length) 3.9×10^-7 से 7.8×10^-7 है। अर्थात् प्रकाश का तरंगदैर्ध्य 400nm से 700nm है।


प्रकाश की प्रकृति (Nature of Light)-

  • प्रकाश के कुछ गुण जैसे परावर्तन (Reflection), अपवर्तन (Refraction), व्यतिकरण (Interference) आदि की व्याख्या तरंग सिद्धांत (Wave Theory) द्वारा की जाती है।
  •  प्रकाश के कुछ गुण जैसे प्रकाश विद्युत प्रभाव (Photoelectric Effect) की व्याख्या कण सिद्धांत या कणिका सिद्धांत (Corpuscular Phenomenon) द्वारा की जाती है।
  • अतः वर्तमान में प्रकाश की दौहरी प्रकृति मानी जाती है। अर्थात् प्रकाश कण (Particle) भी और तरंग (Wave) भी है।


प्रकाश की चाल (Speed of Light)-

  • प्रकाश एक विद्युत चुम्बकीय तरंग (Electromagnetic Wave) है।
  • प्रकाश की चाल निर्वात (Vacuum) में सर्वाधिक होती है।
  • निर्वात में प्रकाश की चाल 3×10^8 m/s होती है।
  • गैस में प्रकाश की चाल, निर्वात में प्रकाश की चाल से 0.03% कम होती है।
  • जल (द्रव) में प्रकाश की चाल 2.25×10^8 m/s होती है।
  • काँच (ठोस) में प्रकाश की चाल 2×10^8 m/s होती है।
  • ठोस में प्रकाश की चाल में काँच में प्रकाश की चाल को देखा जाता है।
  • प्रकाश की चाल = V निर्वात > V गैस > V द्रव > V ठोस (काँच में प्रकाश की चाल)
  • माध्यम के अनुसार प्रकाश की चाल परिवर्तित होती रहती है।
  • प्रकाश की चाल माध्यम के अपवर्तनांक पर निर्भर करती है।
  • अपवर्तनांक (μ) = निर्वात में प्रकाश की चाल/ माध्यम में प्रकाश की चाल
  • Refractive Index (μ) = Speed of Light in Vacuum/ Speed of Light in Medium
  • जल का अपवर्तनांक (μ) = 4/3
  • काँच का अपर्वतनांक (μ) = 3/2
  • हीरे का अपर्वतनांक (μ) = 2.47


प्रकाश से संबंधित घटनाएं (Phenomena Related to Light)-

    • 1. प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)
    • 2. प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)
    • 3. प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total Internal Reflection of Light- TIR)
    • 4. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (Dispersion of Light)
    • 5. प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light)
    • 6. प्रकाश का व्यतिकरण (Interference of Light)
    • 7. प्रकाश का ध्रुवण (Polarization of Light)


                1. प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)-

                • जब प्रकाश तरंग किसी माध्यम की सतह से टकराकर पुनः उसी माध्यम में लौट आए तो उसे प्रकाश का परावर्तन कहते हैं।
                • उपयोग (Uses)-
                • (I) दर्पण परावर्तन के सिद्धांत पर कार्य करता है।
                • (II) रंगों के निर्धारण में परावर्तन का उपयोग किया जाता है।
                • प्रकाश का परावर्तन दो प्रकार का होता है। जैसे-
                • (I) नियमित परावर्तन (Regular Reflection)
                • (II) अनियमित परावर्तन (Irregular Reflection)


                (I) नियमित परावर्तन (Regular Reflection)-

                • जब प्रकाश की किरण किसी समतल सतह (Plane Surface) से टकराकर एक निश्चित दिशा (Definite Direction) में पुनः उसी माध्यम में लौट आती है तो उसे नियमित परावर्तन कहते हैं।


                (II) अनियमित परावर्तन (Irregular Reflection)-

                • जब प्रकाश की किरण किसी खुरदरी सतह (Rough Surface) से टकराकर अनिश्चित दिशा (Indefinite Direction) में पुनः उसी माध्यम में लौट आती है तो उसे अनियमित परावर्तन कहते हैं।


                प्रकाश के परावर्तन के नियम (Laws of Reflection of Light)-

                • (I) आपतित किरण (Incident Ray), परावर्तित किरण (Reflection Ray) व अभिलम्ब (Normal) तीनों एक ही तल में स्थित होते हैं। अर्थात् I, R, N = Same Plane
                • (II) आपतन कोण या आपतित कोण का मान परावर्तित कोण के बराबर होता है। अर्थात् ∠i = ∠r


                2. प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)-

                • जब प्रकाश किरण एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे माध्यम में प्रवेश करती है तो अपने पथ से विचलित (Deflected) हो जाती है इसे प्रकाश का अपवर्तन कहते हैं।
                • जब प्रकाश किरण सघन माध्यम (Denser Medium) से विरल माध्यम (Rarer Medium) में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब से दूर हट जाती है।
                • जब प्रकाश किरण विरल माध्यम (Rarer Medium) से सघन माध्यम (Denser Medium) में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब की ओर झुक जाती है।
                • प्रकाश का अपवर्तन प्रकाश की विभिन्न माध्यम में चाल अलग होने के कारण होता है।
                • अपवर्तन के दौरान प्रकाश की चाल (Speed), तीव्रता (Intensity), तरंगदैर्ध्य (Wave Length) में परिवर्तन होता है।
                • अपरवर्तन के दौरान प्रकाश की आवृति (Frequency) में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
                • उदाहरण (Example)-
                • (I)  तारो का टिमटिमाना (Twinkling of Stars)
                • (II)  पानी में रखी छड़ का मुडा हुआ दिखाई देना।
                • (III) पानी बर्तन के तल में रखे सिक्के का उपर उठा हुआ दिखाई देना।
                • (IV) सूर्योदय होने से लगभग 2 मिनट पहले व सूर्यास्त के लगभग 2 मिनट बाद सूर्य का दिखाई देना।


                प्रकाश के अपवर्तन के नियम (Laws of Refraction of Light)-

                • (I) आपतित किरण (Incident Ray), अपवर्तित किरण (Refraction Ray) व अभिलम्ब (Normal) तीनों एक ही तल में स्थित होते हैं। अर्थात् I, R, N = Same Plane
                • (II) किन्ही दो निश्चित माध्यमों के लिए आपतित कोण की ज्या व अपवर्तन कोण की ज्या के बीच एक निश्चित अनुपात होता है। अर्थात् (μ1 × Sin i = μ2 × Sin r)
                • Sin i/ Sin r = (μ2/ μ1) Constant (नियत) इसे स्नेल का नियम (Snell's Law) कहते हैं।


                3. प्रकाश का पूर्ण आन्तरिक परावर्तन (Total Internal Reflection of Light- TIR)-

                • जब प्रकाश की किरण सघन माध्यम (Denser Medium) से विरल माध्यम (Rarer Medium) में प्रवेश करती है तो अभिलम्ब से दूर हटती है।
                • यदि आपतित कोण (Incident Angle) का मान बढ़ाया जाए तो अपवर्तित कोण (Refraction Angle) का मान भी बढ़ता है और एक निश्चित आपतन या आपतित कोण पर अपवर्तित कोण का मान 90° हो जाता है इस आपतित कोण को क्रांतिक कोण (Critical Angle) कहते हैं।
                • जब आपतित कोण का मान क्रान्तिक कोण से अधिक हो तो प्रकाश का अपवर्तन न होकर आन्तरिक परावर्तन होता है इसे ही प्रकाश का पूर्ण आंतरिक परावर्तन कहते हैं।
                • उदाहरण (Example)-
                • (I) हीरे का क्रांतिक कोण 24° होता है जो की काफी कम है इसलिए हीरे में पूर्ण आंतरिक परावर्तन की घटना अधिक होती है जिससे कारण हीरा चमकता है।
                • (II) चटके हुए काँच का चमकना।
                • (III) गर्मियों के समय रेगिस्तान में मरिचिका (Mirage) का बनना।
                • (IV) प्रकाश तंतु (Optical Fiber)


                प्रकाश के पूर्ण आन्तरिक परावर्तन की शर्तें (Condition for Total Internal Reflection of Light)-

                • प्रकाश किरण का गमन सघन माध्यम (Denser Medium) से विरल माध्यम (Rarer Medium) में होना चाहिए।
                • आपतन या आपतित कोण (Incident Angle) का मान क्रांतिक कोण (Critical Angle) से अधिक होना चाहिए। अर्थात् ∠i > ∠c


                4. प्रकाश का वर्ण विक्षेपण (Dispersion of Light)-

                • जब प्रकाश किरण किसी प्रिज्म (Prism) से होकर गुजरती है तो वह 7 रंगों में विभक्त हो जाती है। जैसे-
                • (I) लाल रंग (Red Colour)
                • (II) नारंगी रंग (Orange Colour)
                • (III) पीला रंग (Yellow Colour)
                • (IV) हरा रंग (Green Colour)
                • (V) नीला रंग (Blue Colour)
                • (VI) जामुनी रंग (Indigo Colour)
                • (VII) बैंगनी रंग (Violet Colour)
                • उपर्युक्त 7 रंगों को वर्णक्रम (Spectrum) कहा जाता है तथा इस घटना को वर्ण विक्षेपण कहते हैं।
                • उदाहरण (Example)-
                • (I) इन्द्रधनुष (Rainbow) का बनना प्रकाश के वर्ण विक्षेपण का उदाहरण है।
                • इन्द्रधनुष बनने के दौरान बारिश की बूंदे प्रिज्म के समान कार्य करती है।


                👉इन्द्रधनुष (Rainbow) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


                            5. प्रकाश का प्रकीर्णन (Scattering of Light)-

                            • जब प्रकाश की किरण वायुमण्डल में प्रवेश करती है तो वायुमण्डल में उपस्थित सुक्ष्म कण जैसे- धुल के कण (Dust Particle), गैस के कण (Gas Particle) आदि से टकराकर प्रसारित होती है इसे ही प्रकाश का प्रकीर्णन कहते हैं।
                            • रैले के अनुसार (According to Rayleigh)-
                            • प्रकीर्णन ∝ 1/√4
                            • Scattering ∝ 1/√4
                            • बैंगनी रंग का तरंगदैर्ध्य (Wave Length↓) सबसे कम होता है इसलिए बैंगनी रंग का प्रकीर्णन (Scattering↑) सर्वाधिक होता है।
                            • लाल रंग का तरंगदैर्ध्य (Wave Length↑) सबसे अधिक होता है इसलिए लाल रंग का प्रकीर्णन (Scattering↓) सबसे कम होता है।
                            • प्रकाश के प्रकीर्णन को दो भागों में विभाजित किया गया है। जैसे-
                            • (I) रैले प्रकीर्णन (Rayleigh Scattering)
                            • (II) रमन प्रकीर्णन (Raman Scattering)


                            (I) रैले प्रकीर्णन (Rayleigh Scattering)-

                            • रैले प्रकीर्णन में वास्तविक प्रकाश तरंग का तरंगदैर्ध्य व प्रकीर्णित प्रकाश तरंग का तरंगदैर्ध्य एकसमान होते हैं। जैसे-
                            • रैले के अनुसार प्रकीर्णन 𝜆 = 𝜆'


                            (II) रमन प्रकीर्णन (Raman Scattering)-

                            • रमन प्रकीर्णन में प्रकीर्णित प्रकाश तरंग का तरंगदैर्ध्य, वास्तविक प्रकाश तरंग के तरंगदैर्ध्य से अधिक होता है क्योंकि कण द्वारा ऊर्जा का कुछ भाग अवशोषित (Absorbed) कर लिया जाता है। जैसे- 
                            • (A) रमन के अनुसार प्रकीर्णन 𝜆 < 𝜆'
                            • प्रकीर्णन के रमन प्रभाव की खोज 28 फरवरी 1928 को सी.वी.रमन (C.V. Raman) के द्वारा की गई थी इसलिए भारत में प्रतिवर्ष 28 फरवरी के दिन "राष्ट्रीय विज्ञान दिवस" (National Science Day) मनाया जाता है।
                            • प्रकाश के प्रकीर्णन के रमन प्रभाव की खोज के लिए सी.वी.रमन को सन् 1930 में नोबेल पुरस्कार (Nobel Prize) दिया गया था।
                            • सी.वी. रमन को दिया गया नोबेल पुरस्कार भारत में भौतिकी के क्षेत्र में दिया गया पहला नोबेल पुरस्कार था।
                            • सी.वी. रमन को सन् 1954 में "भारत रत्न' पुरस्कार दिया गया था।
                            • उदाहरण (Example)-
                            • (I) आकाश का रंग नीला दिखाई देना (Blue colour of the sky)
                            • (II) चन्द्रमा से या वायुमण्डल रहित जगह से आकाश काला दिखाई देता है। (Space looks black where atmosphere is absent)
                            • (III) सूर्योदय व सूर्यास्त के समय सूर्य का लाल दिखाई देना। (Red colour of sun during sunrise and sunset)
                            • (IV) रोड लाईट में रूकने का सिग्नल लाल होता है। (Stop signal in road light is red)


                            👉दर्पण (Mirror) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


                            6. प्रकाश का व्यतिकरण (Interference of Light)-

                            • सर्वप्रथम प्रकाश के व्यतिकरण की व्याख्या 'यंग' (Young) के द्वारा की गई थी।

                            • जब समान आयाम (Amplitude) व आवृति (Frequency) की दो प्रकाश तरंगें किसी बिन्दु पर मिलती है तो किसी बिन्दु पर प्रकाश की तीव्रता बढ़ जाती है एवं किसी बिन्दु पर प्रकाश की तीव्रता घट जाती है अर्थात् उस बिन्दु पर ऊर्जा का पुनर्वितरण होता है इसे ही प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं।
                            • जब दो प्रकाश की तरंगें एक ही कला (संपोषी व्यतिकरण) में मिले तो तीव्रता बढ़ जाती है।
                            • जब दो प्रकाश की तरंगें विपरीत कला (विनाशी व्यतिकरण) में मिले तो तीव्रता घट जाती है।
                            • उदाहरण (Example)-
                            • (I) जल की सतह पर कैरोसीन डालने पर सतह का रंगीन दिखाई देना। (Kerosene oil spread on water surface appears in descent colour)
                            • (II) साबुन के बुलबुले का रंगीन दिखाई देना। (Soap bubbles in sunlight appears having brilliant colour)


                            👉लेंस (Lens) की अधिक जानकारी के लिए यहाँ क्लिक करें।


                            7. प्रकाश का ध्रुवण (Polarization of Light)-

                            • प्रकाश को ध्रवित करने के लिए पोलेराइड (Polaroid) का प्रयोग किया जाता है।
                            • पोलेराइड के निर्माण हेतु हरपेथाइट (Herapathite) व नाइट्रोजन सेलुलोस (Nitro-cellulose) का प्रयोग किया जाता है जिससे प्रकाश की चकाचौंध को कम किया जा सके।
                            • Herapathite = Iodo quinine sulphate
                            • पोलेराइड का प्रयोग (Uses of Polaroid)-
                            • (I) 3D चश्में में
                            • (II) वाहनों की खिड़कियों में
                            • (III) वाई जहाँज की खिड़कियों में
                            • (IV) वाहनों की हेडलाइट में
                            • ध्रुवण केवल अनुप्रस्थ तरंगों (Transverse wave) में ही किया जा सकता है।


                            ध्रुवित प्रकाश (Polarized Light)-

                            • यदि विद्युत क्षेत्र प्रकाश तरंग के संरचण की दिशा के लम्बवत केवल एक ही दिशा में कंपन्न करता है तो उसे ध्रुवित प्रकाश कहते हैं।


                            अध्रुवित प्रकाश (Non Polarized Light)-

                            • यदि विद्युत क्षेत्र प्रकाश तरंग के संचरण की दिशा के लम्बवत सभी दिशाओं में कंपन्न करता है तो उसे अध्रुवित प्रकाश कहते हैं।


                            महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-

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