चौहान वंश-
1. अग्निवंशी-
➠अग्निकुंड का सिद्धान्त चंदबरदाई की पुस्तक पृथ्वीराज रासो में दिया गया था।
➠अग्निकुंड के सिद्धान्त के अनुसार ऋषि वशिष्ठ ने आबू पर्वत पर एक यज्ञ किया था इस यज्ञ के अग्निकुंड से चार राजपूत वंशों की उत्पत्ति हुई थी। जैसे-
अग्निकुंड से उत्पन्न राजपूत वंश-
1. चौहान वंश (सबसे अंत में)
2. चालुक्य (सोलंकी)
3. परमार
4. प्रतिहार
➠कालांतर में मुहणौत नैणसी व सूर्यमल्ल मीसण ने भी अग्निकुंड के सिद्धान्त का समर्थन किया था।
➠चालुक्यों को सोलंकी भी कहा जाता था।
➠अग्निकुंड से उत्पन्न इन चारो राजपूत वंशों में सबसे अंत में चौहान वंश उत्पन्न हुआ था।
2. सूर्यवंशी-
➠पृथ्वीराज विजय (पुस्तक)
➠हम्मीर महाकाव्य (पुस्तक)
➠हम्मीर रासो (पुस्तक)
➠विग्रहराज चतुर्थ का अजमेर अभिलेख
➠गौरीशंकर हीराचन्द औझा (इतिहासकार)
➠इस सभी के अनुसार चौहान सूर्यवंशी थे।
3. चन्द्रवंशी-
➠हाँसी (हरियाणा) अभिलेख
➠अचलेश्वर अभिलेख
➠इन दो अभिलेखों के अनुसार चौहान चन्द्रवंशी थे।
4. ब्राह्मण-
➠बिजौलिया अभिलेख
➠चन्द्रावती अभिलेख
➠कायम रासो (पुस्तक)
➠दशरथ शर्मा (इतिहासकार)
➠इन सभी के अनुसार चौहान ब्राह्मण थे।
5. विदेशी-
➠जेम्स टाॅड
➠विलियम क्रुक
➠वी. स्मिथ
➠इन सभी के अनुसार चौहान विदेशी थे।
6. इन्द्र के वंशज- रायपाल के सेवाडी अभिलेख के अनुसार चौहान इन्द्र के वंशज थे।
चौहानों का उत्पत्ति स्थल- चौहानों का उत्पत्ति स्थल सपादलक्ष (अर्थ- सवा लाख) था। सपादलक्ष सांभर झील के आस-पास का क्षेत्र था।
चौहानों की राजधानी- चौहानों ने अपनी राजधानी अहिच्छत्रपुर (नागौर) को बनाया था। नागौर को पहले अहिच्छत्रपुर के नाम से जाना जाता था।
रामकर्ण आसोपा- रामकर्ण आसोपा के अनुसार चौहान सांभर झील के चारो तरफ के क्षेत्र में रहते थे अतः इन्हे चौहान कहा जाता है।
चौहान रियासते-
1. सांभर /अजमेर
2. रणथम्भौर
3. नाडौल
4. जालौर
5. सिरोही
6. बूंदी
7. कोटा
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