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भारत में धार्मिक क्रांति

भारत में धार्मिक क्रांति (Religious Revolution in India)

शाक्त सम्प्रदाय-

  • शाक्त सम्प्रदाय में देवी को शक्ति के रूप में पूजते है।
  • शक्ति का प्रमुख मंदिर कामाख्या मंदिर है।
  • कामाख्या मंदिर भारत के असम राज्य के गुवाहाटी में स्थित है।
  • कश्मीर में देवी के सौम्य रूप 'शारदा देवी' को पूजा जाता है।
  • शारदा देवी का मंदिर भारत में वैष्णो देवी मंदिर के नाम से प्रसिद्ध है।


भारत में शक्ति के केन्द्र-

  • भारत में शक्ति के तीन प्रमुख केन्द्र माने जाते है। जैसे-
    • 1. कामाख्या
    • 2. कश्मीर
    • 3. कांची (तमिलनाडु)


आजीवक सम्प्रदाय-

  • आजीवक सम्प्रदाय का संस्थापक मक्खलि पुत्त गोसाल (गोशालक) था।
  • आजीवक सम्प्रदाय के संस्थापक मक्खलि पुत्त गोसाल महावीर स्वामी के समकालीन थे।
  • मक्खलि पुत्त गोसाल पहले महावीर स्वामी के शिष्य भी रहे थे।
  • मक्खलि पुत्त गोसाल ने महावीर स्वामी के साथ तपस्या की थी।
  • आजीवक सम्प्रदाय के अनुयायी भाग्यवादी नियतिवादी होते है।
  • मौर्य शासक बिन्दुसार आजीवक सम्प्रदाय का अनुयायी था।
  • आजीवक सम्प्रदाय में पुनर्जन्म को मानते है।
  • आजीवक कठोर जीवन व्यतीत करते थे एवं निर्वस्त्र रहते थे।
  • आजीवक सम्प्रदाय में अशोक के वृक्ष को पवित्र माना जाता था।
  • आजीवक सम्प्रदाय के अनुयायियों को हत्यापलेखण एवं एकदण्डिक कहा जाता था।


संदेहवादी सम्प्रदाय-

  • संदेहवादी सम्प्रदाय का संस्थापक संजय बैलपुत था।


उच्छेदवादी सम्प्रदाय-

  • उच्छेदवादी सम्प्रदाय का संस्थापक अजीत कैश कम्बलीन था।
  • उच्छेदवादी सम्प्रदाय में पुनर्जन्म में विश्वास नहीं करते थे।


अकर्मवादी सम्प्रदाय-

  • अकर्मवादी सम्प्रदाय का संस्थापक पूरण कश्यप था।


शाश्वतवाद सम्प्रदाय-

  • शाश्वतवाद सम्प्रदाय का संस्थापक पकुधकच्छापन था।


जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म में समानताएं (Similarities Between Jainism and Buddhism)-

  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों ही धर्म अनिश्वरवादी दर्शन या धर्म है।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों नास्तिक दर्शन या धर्म है। अर्थात् दोनों धर्म वेदों को प्रमाणित नहीं मानते है।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों कर्मफल सिद्धांत एवं पुनर्जन्म को मानते या पुनर्जन्म में विश्वास करते है।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों ने धार्मिक आडम्बर, कर्मकांड और अंधविश्वास का विरोध किया है।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों ही वर्ण व्यवस्था में विश्वास नहीं करते है।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों ने सामाजिक समानता पर बल दिया था।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों ने महिलाओं को संघ में प्रवेश दिया था।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों ने आर्थिक सुधार किये थे।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों के संस्थापक क्षत्रिय राजकुमार थे।
  • जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म दोनों ने नैतिक मूल्यों पर अत्यधिक बल दिया था।


जैन धर्म एवं बौद्ध धर्म में असमानताएं (Differences Between Jainism and Buddhism)-

  • (I) जैन धर्म
  • (II) बौद्ध धर्म


(I) जैन धर्म-

  • जैनों ने एक कठिन दर्शन या धर्म दिया था।
  • जैन धर्म में नित्य आत्मा में विश्वास करते है।
  • जैन धर्म में जाति व्यवस्था में विश्वास करते है अर्थात् जैन धर्म में जाति व्यवस्था को मानते है।
  • जैन धर्म में मोक्ष की व्याख्या की गई है और मोक्ष को अनंत चतुष्य बताया गया है।
  • जैन धर्म में भाषा प्राकृत थी।
  • जैन धर्म में नित्य और अनित्य गुणों में विश्वास करते है।
  • जैन धर्म का विस्तार केवल भारत में ही हुआ है।


(II) बौद्ध धर्म-

  • बौद्ध धर्म ने मध्यम मार्ग का सिद्धांत दिया था।
  • बौद्ध धर्म में अनात्मवाद में विश्वास करते है अर्थात् बौद्ध धर्म में नित्य आत्मा को नहीं मानते है।
  • बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था में विश्वास नहीं करते है अर्थात् बौद्ध धर्म में जाति व्यवस्था को नहीं मानते है।
  • बुद्ध ने निर्वाण या मोक्ष की व्याख्या नहीं की थी।
  • बौद्ध धर्म में भाषा पाली थी।
  • बौद्ध धर्म में अनित्य गुणों में विश्वास करते है।
  • बौद्ध धर्म का विस्तार विश्व में हुआ है।


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