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राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन (Major Kisan Movement of Rajasthan)

राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन (Major Kisan movement of Rajasthan)-

  • राजस्थान में किसान आंदोलनों के कारण
  • राजस्थान के किसान आंदोलनों की विशेषताएं
  • राजस्थान के किसान आंदोलनों के प्रभाव
  • राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन


राजस्थान में किसान आंदोलनों के कारण-

  • 1. अंग्रेजी संरक्षण के कारण राजाओं की सामंतों पर तथा सामंतों की किसानों पर निर्भरता समाप्त हो गई थी तथा राजा तथा सामंतों ने किसानों पर ध्यान देना बंद कर दिया था।
  • 2. अंग्रेजी प्रशासनिक व्यवस्था में राजाओं का किसानों के प्रति उदार व्यवहार बदल गया था।
  • 3. अंग्रेजी संरक्षण के कारण राजाओं की विलासिता बढ़ गई थी अतः उन्होंने कर बढ़ाने प्रारम्भ कर दिये थे।
  • 4. भू राजस्व नकदी में लिया जाता था अतः किसान साहूकारों के चंगुल में फस गये थे।
  • 5. अंग्रेजी व्यवस्था में हमारे उद्योग धंधे तथा व्यापार वाणिज्य समाप्त हो गया था अतः मजदूरों का कृषि की तरफ विस्थापन हुआ अतः कृषि पर भार बढ़ गया था।
  • 6. जागीरी क्षेत्रों में भूमि बंदोबस्त नहीं करवाया गया था अतः किसान लाटा कून्ता व्यवस्था से परेशान थे।
  • 7. अंग्रेजों ने राजस्थान की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था से जोड़ दिया था तथा राजस्थान के किसान विश्व अर्थव्यवस्था के उतार चढ़ावों को समझ नहीं पाते थे।
  • 8. गांधीवादि आंदोलनों के दौरान में राजस्थआन के किसानों में राजनीतिक चेतना का संचार हुआ था


राजस्थान में किसान आंदोलन के अन्य कारण-

  • 1. चंवर कर
  • 2. जकात कर
  • 3. जंगली सुअरों का समस्या
  • 4. भ्रष्टाचार
  • 5. बेगार व्यवस्था


राजस्थान के किसान आंदोलनों की विशेषताएं-

  • 1. राजस्थान के अधिकांश किसान आंदोलन जागीरी क्षेत्रों में हुए थे क्योंकि यहाँ किसानों पर तिहरा नियंत्रण था।
  • 2. राजस्थान के अधिकांश किसान आंदोलन अहिंसक थे। (अपवाद- मेव किसान आंदोलन)
  • 3. राजस्थान के किसान आंदोलनों के दौरान जातीय पंचायतों ने मुख्य भूमिका निभाई थी।
  • 4. बाहरी नेताओं द्वारा राजस्थान के किसान आंदोलनों का नेतृत्व किया गया था। जैसे-
    • (I) विजय सिंह पथिक - उत्तर प्रदेश
    • (II) हरिभाऊ उपाध्याय- मध्य प्रदेश
    • (III) यासीन खान- गुरुग्राम
  • 5. राजस्थान के किसान आंदोलनों में व्यापारियों ने भी मुख्य भूमिका निभाई थी। जैसे-
    • (I) जमनालाल बजाज
    • (II) राम नारायण चौधरी
  • 6. राजस्थान के किसानों ने आंदोलन के दौरान मेले तथा त्योहारों का सकारात्मक प्रयोग किया था।
  • 7. महिलाओं ने भी किसान आंदोलन में बढ़ चढ़ कर भाग लिया था।
  • 8. आर्य समाज ने राजस्थान के किसान आंदोलन में सकारात्मक भूमिका निभाई थी। इसलिए किसान आंदोलनों के दौरान समाज सुधार भी किए गये थे।
  • 9. राजनीतिक संगठनों ने किसान आंदोलनों को समर्थन दिया था। जैसे-
    • (I) राजस्थान सेवा संघ (Rajasthan Sewa Sangh)
    • (II) कांग्रेस (Congress)
    • (III) प्रजामंडल (Prajamandal)
  • 10. किसान आंदोलनों के दौरान किसानों ने आर्थिक के साथ-साथ राजनीतिक व सामाजिक असमानत का भी विरोध किया था।


राजस्थान के किसान आंदोलनों के प्रभाव-

  • 1. किसान आंदोलनों के कारण आजादी के बाद राजस्थान में जागीरदारी व्यवस्था का उन्मूलन हुआ।
  • 2. छोटे-छोटे नगर किसान आंदोलनों के मुख्य केंद्र थे अतः राजस्थान में नगरीय राष्ट्रवाद का उदय हुआ।
  • 3. किसान नेताओं ने आजादी के बाद राजनीति में भाग लेना प्रारम्भ किया तथा राजस्थान की राजनीति को किसान कल्याण की तरफ मोड़ा।
  • 4. किसान आंदोलन में महिलाओं ने भी भाग लिया था जिससे महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा मिला।
  • 5. किसान आंदोलनों के कारण किसानों में राजनीतिक चेतना का संचार हुआ अतः राजस्थान में प्रजामंडल आंदोलन प्रारम्भ हो गए थे।
  • 6. किसान आंदोलनों ने राजस्थान को राष्ट्रीय आंदोलन से जोड़ा था।
  • 7. किसान आंदोलनों के दौरान समाचार पत्रों तथा पुस्तकों का प्रकाशन किया था जिससे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को बल मिला था।


भरतपुर किसान आंदोलन (Bharatpur Kisan Movement/ Bharatpur Peasant Movement)-

  • राजस्थान में भरतपुर किसान आंदोलन 1931 ई. में किया गया था।


भरतपुर किसान आंदोलन के नेता-

  • लम्बरदार भोज भरतपुर किसान आंदोलन के नेता थे।


राजस्थान के प्रमुख किसान आंदोलन (Major Kisan Movement of Rajasthan)-

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