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कृषि के समक्ष प्रमुख चुनौतियां (Major Challenges Before Agriculture)

कृषि के समक्ष प्रमुख चुनौतियां (Major Challenges Before Agriculture)-

  • वर्तमान समय में कृषि की मुख्य समस्याएं (Main Challenges of Agriculture Sector at present)-
  • 1. कृषि भूमि का छोटा आकार (Small Size of Agricultural Land Holdings)
  • 2. कृषि विपणन की समस्या (Problem of Agricultural Marketing)
  • 3. उच्च गुणवत्ता के बीजों का अभाव (Lack of High Quality Seeds)
  • 4. सिंचाई संसाधनों का अभाव (Lack of Irrigation Resources)
  • 5. उर्वरकों से संबंधित समस्या (Fertilizers Related Problem)
  • 6. कृषि वित्त की समस्या (Problem of Agricultural Finance) या कृषि ऋण की समस्या (Problem of Agriculture Credit)
  • 7. जोखिम कम करने के लिए कृषि बीमा की कमी (Lack of Agricultural Insurance to mitigate the risk)
  • 8. अस्पष्ट भू आलेख (Ambiguous land graph)
  • 9. किसानों की कम आय (Low income of farmers)
  • 10. अपर्याप्त भंडारण एवं परिवहन की असुविधा (Inadequate storage facilities and transportation)
  • 11. आधुनिक मशीनों का अभाव (Lack of Modern Machines)


    1. कृषि भूमि का छोटा आकार (Small Size of Agricultural Land Holdings) या छोटी जोत की समस्या (small holding problem)-

    • (I) कारण (Cause)
    • (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for improvement)


        (I) कारण (Cause)-

        • भारत में 86% किसान लघु एवं सीमांत श्रेणी के है अर्थात् इनके पास भूमि 2 हेक्टेयर से भी कम है।
        • भारत में जोतो के छोटे होने का मुख्य कारण जनसंख्या का दबाव तथा परिवार में जोतों का बंटवारा है।
        • छोटी भूमि पर पूंजीगत व्यय जैसे सिंचाई सुविधा (Irrigation Facility), मशीनीकरण (Mechanization), भंडारण (Storage) आदि लाभप्रद (Profitable) नहीं होते हैं।
        • भारत में छोटी जोत के कारण कृषि में निवेश कम होता है।


        (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for improvement)-

        • (A) अनुबंध खेती को बढ़ावा देकर (By Promoting Contract Farming)
        • (B) सहकारी खेती को बढ़ावा देकर (By Promoting Cooperative Farming)
        • (C) भूमि सुधार (Land Reform)
        • (D) भूमि का एकीकरण या समेकन (Consolidation of Land) या चकबंदी को बढ़ावा देकर (By Promoting Chakbandi)


        (A) अनुबंध खेती को बढ़ावा देकर या अनुबंध खेती (By Promoting Contract Farming)-

        • अनुबंध कृषि के तहत कोई संस्था या कंपनी एक किसान या अनेक किसानों से समझौता करके कृषि कार्य कराती है।
        • अनुबंध आधारित कृषि (Contract Based Agriculture) में किसान न तो अपने लिए और न ही अपनी इच्छा से कृषि करता है बल्कि अनुबंध की शर्तों के अनुसार कंपनी के निर्देशानुसार कृषि कार्य करते हैं।
        • अनुबंध कृषि में क्रेता कंपनी या संस्था किसानों से कृषि उत्पादन के बदले निर्धारित अनुबंध के आधार पर उचित मूल्य का भुगतान करती है।
        • अनुबंध कृषि में किसान कंपनी को अपनी जमीन तथा मजदूरी देता है बदले में कंपनी किसान को जमीर का किराया व मजदूरी, कृषि लागते, विपणन सुविधा, पर्यवेक्षण आदि काम करता है।


        प्रमुख कृषि कानून (Major Agricultural Laws)-


          (B) सहकारी खेती को बढ़ावा देकर (By Promoting Cooperative Farming)-

          • जब अनेक छोटे-छोटे किसान अपनी जोतों (Small Holding) को आपस में मिलाकर कृषि करते हैं तो इसे सहकारी कृषि (Co-operative Agriculture) कहते हैं।
          • सहकारी खेती हेतु किसान सहकारी समिति (Cooperative Society) का गठन करते हैं।
          • समिति को बैंकों से सस्ता कर्ज (Cheap Loan) प्राप्त हो जाता है।
          • समिति के सदस्य मिलकर वेयरहाउस (Warehouse), कोल्ड स्टोरेज (Cold Storage) आदि का निर्माण करते हैं।
          • सहकारी खेती में किसानों की स्वायत्तता (Autonomy) बरकरार रहती है।
          • किसाने जब संगठित होते है तब संसाधनों (Resource) का बेहतर इस्तेमाल करते हैं।


          2. कृषि विपणन की समस्या (Problem of Agricultural Marketing)-

          • कृषि विपणन में उन सभी गतिविधियों (Activities), एजेंसियों (Agencies) तथा नीतियों (Policies) को शामिल किया जाता है जिनके द्वारा कृषि उत्पादों को किसान के खेत से लेकर अंतिम उपभोक्ता (Consumer) तक पहुंचाया जाता है।
          • कृषि विपणन में बहुत सारी गतिविधियां होती है। जैसे-
          • (I) फसल को उगाना (Growing Crops)
          • (II) फसल को काटना (Harvesting)
          • (III) कृषि उत्पाद का श्रेणीकरण एवं विभाजन करना (Grading and Dividing Agricultural Products)
          • (IV) पैकिंग (Packing)
          • (V) परिवहन (Transporting)
          • (VI) भंडारण (Storing)
          • (VII) विज्ञापन (Advertising)
          • (VIII) वितरण एवं विक्रय करना (Distributing and Selling)


          कृषि विपणन में चुनौतियां (Challenges in Agricultural Marketing)-

          • भारत में किसानों को विपणन में बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है।
          • (I) अशिक्षा (Illiteracy)
          • (II) अजागरूकता (Unawareness)
          • (III) मूल्य संबंधी सूचनाओं के अभाव (Lack of Price Information)
          • (IV) मंडियों की कपटपूर्ण रीतियां के कारण किसान अपने कृषि उत्पादों को औने-पौने दामों पर किसी स्थानीय व्यापारी या साहूकार को विक्रय कर देते हैं।
          • (V) वित्त का अभाव (Lack of Finance)
          • (VI) परिवहन संबंधित चुनौतियां (Transportation Challenges)


          कृषि उत्पाद विपणन समितियों में चुनौतियां (Challenges in Agricultural Produce Marketing Committees) या APMC में चुनौतियां (Challenges in APMC)-

          • APMC Full Form = Agriculture Produce Marketing Committee
          • APMC का पूरा नाम = कृषि उत्पादन बाजार समिति
          • राज्य सरकारों के द्वारा ए.पी.एम.सी. अधिनियम 2003 (APMC Act- 2003) पारित किए गए है।
          • APMC Act = Agriculture Produce Marketing Committee Act
          • APMC Act = कृषि उत्पादन बाजार समिति अधिनियम
          • ए.पी.एम.सी. अधिनियम (APMC Act) के अनुसार कृषि उत्पादों को सिर्फ कृषि मंडियों में ही बेचा जा सकता है।
          • इन मंडियों की संख्या कम है तथा मंडी तक पहुंचने के लिए किसानों को परिवहन लागत वहन करनी पड़ती है तथा परिवहन व्यवस्था भी अल्प विकसित होती है।
          • मंडियों के द्वारा विभिन्न शुल्क तथा कर लगाए जाते हैं जिससे किसानों की आय प्रभावित होती है।
          • मंडियों में लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों को ही फसल बेची जाती है।
          • मंडियों में लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों की संख्या कम होती है।
          • लाइसेंस प्राप्त व्यापारियों के द्वारा कार्टेल या समूह का निर्माण कर लिया जाता है।
          • कार्टेलाइजेशन या समूह के कारण किसानों को प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य नहीं मिल पाता है।
          • किसानों की सहायता के लिए 'आडतिया' (Arhtiya) नामक मध्यस्थ होता है जो अपनी सेवा की राशि वसूल करता है। इससे किसानों का लाभ कम हो जाता है तथा मध्यस्थों की श्रृंखला बन जाती है।
          • मंडी में भंडारण (Storage), गुणवत्ता परीक्षण (Quality Testing), श्रेणी विभाजन (Grade Division) का अभाव, निश्चित मापतोल व्यवस्था का अभाव तथा अन्य आधारभूत ढांचा (Infrastructure) अत्यधिक कमजोर होता है जिससे फसलों को नुकसान होता है।


          सुधार हेतु सुझाव एवं योजनाएं (Suggestions and Schemes for Improvement)-

          • (I) नियमित मंडियों की स्थापना करना।
          • (II) एक ही राष्ट्रीय बाजार का विकास।
          • (III) कृषि उत्पादों का श्रेणी विभाजन एवं मानकीकरण।
          • (IV) किसानों को बाजार से संबंधित सूचनाएं उपलब्ध कराना।
          • (V) यातायात सुविधाओं का विकास करना।
          • (VI) मानक बाट एवं माप तोल की अनिवार्यता।
          • (VII) कृषि उत्पादों के उचित भंडारण व्यवस्था का विकास करना।
          • (VIII) किसानों को वित्त एवं साख सुविआएं उपलब्ध कराना।
          • (IX) उचित न्यूनतम समर्थन मूल्य का निर्धारण करना।
          • (X) सरकारी खरीद की उचित व्यवस्था सुनिश्चित करना।


          कृषि विपणन में सुधार हेतु सरकार के द्वारा किए गये प्रयास-


            3. उच्च गुणवत्ता के बीजों का अभाव (Lack of High Quality Seeds)-

            • प्रमाणित बीजों की अनुपलब्धता।
            • अधिक मूल्य के कारण वहनीय नहीं है।
            • भौगोलिक चुनौतिया।
            • जीएम (GM) फसलों को लेकर स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं।
            • GM Full Form = Genetically Modified
            • GM का पूरा नाम = आनुवांशिक रूप से संशोधित
            • सुधार हेतु योजना- बीज ग्राम योजना (Beej Gram Scheme)


            बीज ग्राम योजना (Beej Gram Scheme)-

            • बीज ग्राम योजना की शुरुआत भारत सरकार के द्वारा वर्ष 2014 में की गई थी।

            • बीज ग्राम योजना के अंतर्गत किसानों को बीज उत्पादन में सहायता देने के साथ ही फसलों के लिए उच्चकोटि के बीज उपलब्ध कराए जाते हैं।


            4. सिंचाई संसाधनों का अभाव (Lack of Irrigation Resources)-

            • (I) समस्या (Problem)
            • (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)


            (I) समस्या (Problem)-

            • भारतीय कृषि के समक्ष सिंचाई एक बहुत बड़ी चुनौती है।
            • भारतीय कृषि मुख्यतया मानसून पर आधारित है इसलिए भारतीय कृषि को "मानसून का जुआ" (Gamble of Monsoon) कहा जाता है।
            • भारत में सिंचाई के मुख्य स्रोत (Main Sources of Irrigation in India)-
            • (A) नलकूप (TubeWell)
            • (B) नहर (Canal)
            • (C) कुआ (Well)
            • (D) तालाब (Pond)
            • (E) अन्य (Other)
            • पिछले कुछ वर्षों से नलकूपों से सिंचाई बढ़ी है जिससे कृषि लागत बढ़ गई है तथा भू-जल के अत्यधिक दोहन के कारण बहुत से क्षेत्र डार्क जोन (Dark Zone) घोषित हो चुके है।
            • नहरी क्षेत्र में नहर का रखरखाव समय पर ना होने पर सेम (SEM) की समस्या देखी जाती है।
            • वाष्पीकरण (Evaporation) के कारण भी सिंचाई जल का नुकसान होता है।


            लघु सिंचाई परियोजनाएं (Minor Irrigation Projects)-

            • लघु सिंचाई परियोजनाएं 2000 हैक्टेयर तक कृषि योग्य कमांड क्षेत्र वाली परियाजनाएं होती है।


            मध्यम सिंचाई परियोजनाएं (Medium Irrigation Projects)-

            • मध्यम सिंचाई परियोजनाएं 2,000 हैक्टेयर से 10,000 हैक्टेयर तक कृषि योग्य कमांड क्षेत्र वाली परियोजनाएं है।


            वृहद सिंचाई परियोजनाएं (Major Irrigation Projects)

            • वृहद सिंचाई परियोजनाएं 10,000 हैक्टेयर से अधिक कृषि योग्य कमांड क्षेत्र वाली परियोजनाएं है।


            (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)-


            5. उर्वरकों से संबंधित समस्या (Fertilizers Related Problem)-

            • (I) समस्या (Problem)
            • (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)


            (I) समस्या (Problem)-

            • मृदा में मुख्य उर्वरक के रूप में नाइट्रोजन (Nitrogen- N), फास्फोरस (Phosphorus- P) और पोटेशियम (Potassium- K) का अनुपात 4 : 2 : 1 (N : P : K = 4 : 2 : 1) होना चाहिए लेकिन भारत में यह अनुपात 8 : 3 : 1 (N : P : K = 8 : 3 : 1) है।
            •  इस असंतुलन का मुख्य कारण सब्सिडी युक्त रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग है।
            • सब्सिडी युक्त रासायनिक उर्वरकों में सर्वाधिक प्रयोग यूरिया का किया जाता है।
            • रासायनिक उर्वरकों (यूरिया) से भूमि की उत्पादकता प्रभावित होती है तथा भू-जल भी दूषित होता है।


            (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)-


              6. कृषि वित्त की समस्या (Problem of Agricultural Finance) या कृषि ऋण की समस्या (Problem of Agriculture Credit)-

              • किसानों को दो कार्यों के लिए कर्ज (ऋण) की आवश्यकता होती है। जैसे-
              • (I) उत्पादन गतिविधियों के लिए (For Production Activities)-
              • उत्पादन गतिविधियों के लिए ऋण जैसे- बीज, खाद, उर्वरक, कृषि उपकरण, भूमि आदि खरीदने हेतु।
              • (II) गैर उत्पादक गतिविधियों के लिए (For Non-Productive Activities)-
              • गैर उत्पादक गतिविधियों के लिए ऋण जैसे- तीज, त्योहार, शादी, बच्चों की पढ़ाई-लिखाई आदि हेतु।
              • उपर्युक्त दोनों प्रकार की कृषि कर्ज (ऋण) आवश्यकता के लिए कर्ज देने हेतु दो साधन होते हैं। जैसे-
              • (I) संस्थागत स्त्रोत (Institutional Sources)-
              • संस्थागत या संगठित या औपचारिक स्त्रोतों में क्रमशः वाणिज्यिक बैंक (Commercial Bank), सहकारी बैंक (Cooperative Bank), ग्रामीण बैंक (Rural Bank)
              • (II) गैर संस्थागत स्त्रोत (Non Institutional Sources)-
              • गैर संस्थागत या असंगठित या अनौपचारिक स्त्रोतों में साहूकार (Moneylender), महाजन (Mahajan), चैट्टी (Chetty), रेड्डी (Reddy), जमींदार (Zamindar) इत्यादि।
              • सामान्यतः किसानों को उत्पादन गतिविधियों के लिए संस्थागत कर्ज प्राप्त हो जाता है। जो तीन प्रकार का होता है। जैसे-
              • (I) अल्पकालीक कृषि कर्ज (Short Term Agriculture Loan)
              • (II) मध्यम कालीन कृषि कर्ज (Mid Term Agriculture Loan)
              • (III) दीर्घकालीन कृषि कर्ज (Long Term Agriculture Loan)


              (I) अल्पकालीक कृषि कर्ज (Short Term Agriculture Loan)-

              • अल्पकालीक कृषि कर्ज 15 महीनों के लिए दिया जाता है।
              • अल्पकालीक कृषि कर्ज खाद (Fertilizer), बीज (Seed), चारा (Fodder) आदि खरीदने के लिए दिया जाता है।


              (II) मध्यम कालीन कृषि कर्ज (Mid Term Agriculture Loan)-

              • मध्यम कालीन कृषि कर्ज 15 माह से 5 वर्ष तक के लिए दिया जाता है।
              • मध्यम कालीन कृषि कर्ज कृषि उपकरण (Farm Equipment), पशुधन (Livestock), कृषि औजार (Farm Implement) आदि खरीदने के लिए दिया जाता है।


              (III) दीर्घकालीन कृषि कर्ज (Long Term Agriculture Loan)-

              • दीर्घकालीन कृषि कर्ज 5 वर्ष से 20 वर्ष तक के लिए दिया जाात है।
              • दीर्घकालीन कृषि कर्ज जमीन (Land), कृषि मशीनरी (Agriculture Machinery) आदि खरीदने के लिए दिया जाता है।


              कृषि ऋण की समस्या (Problem of Agriculture Credit)-

              • वित्तीय समावेशन के अभाव में औपचारिक या संस्थापगत स्त्रोतों से वित्त की उपलब्धता कम होती है। इस कारण किसान कर्ज की आवश्यकताओं के लिए अनौपचारिक या गैर संस्थागत स्त्रोतों पर निर्भर होते हैं। जहाँ ब्याज की दरें ज्यादा, शर्ते कठिन व वसूली के तरीके निर्मम होते हैं।
              • भारत में लगभग 52% कृषि मानसून पर निर्भर है। अतः फसल उत्पादन में जोखिम बहुत ज्यादा होता है। कम उत्पादन के कारण कई बार किसान लिए गए कर्ज को समय पर नहीं चुका पाते हैं।
              • कई बार किसानों के द्वारा ऋण राशि का प्रयोग कृषि में निवेश की बजाय तात्कालिक घरेलू आवश्यताओं के लिए किया जाता है जिससे उत्पादन कम होता है और वे ऋण नहीं चुका पाते हैं। तथा पुनः ऋण चुकाने के लिए किसानों को कर्ज लेना पड़ता है और वे कर्ज जाल में फस जाते हैं और जब किसानों को कर्ज जाल से निकलने का रास्ता नहीं मिलता है तो किसान आत्महत्या कर लेते हैं।


              कृषि ऋण की समस्या में सुधार हेतु किए गए उपाय (Measures taken to improve the problem of agricultural credit)-

              • (I) बजट 2023-24 में कृषि क्षेत्र के लिए 20 लाख करोड़ रुपये का ऋण लक्ष्य रखा गया है।
              • (III) प्राथमिक क्षेत्र के ऋण का 18% कृषि कर्ज के तौर पर देना होता है।
              • (IV) क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (Regional Rural Bank- RRB) व लघु वित्त बैंकों (Small Finance Bank) की व्यवस्था।
              • (V) सहकारी बैंकों (Cooperative Bank) के माध्यम से किसानों को दीर्घकालिक ऋण (Long Term Loan) और अल्पकालिक ऋण (Short Term Loan) प्रदान करना।
              • (VI) ऋण माफी योजना (Laon Exemption Scheme)
              • (VII) ब्याज सहायता योजना (Interest Subvention Scheme)


              (VII) ब्याज सहायता योजना (Interest Subvention Scheme- ISS)-

              • ब्याज सहायता योजना सन् 2006-07 से लागू है।
              • ब्याज सहायता योजना के तहत किसानों को तीन लाख रुपये तक की राशि 7% ब्याज दर पर प्रदान की जाती है।
              • यदि किसान समय पर कर्ज चुकाते हैं तो किसानों को ब्याज सहायता योजना के तहत ब्याज दर पर 3% सब्सिडी प्रदान की जाती है। अर्थात् प्रभावी ब्याज दर 4% (सामान्य 7%) प्रतिवर्ष होती है।
              • ब्याज सहायता योजना का क्रियान्वयन नाबार्ड और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के द्वारा किया जाता है।
              • RBI Full Form = Reserve Bank of India
              • RBI का पूरा नाम = भारतीय रिजर्व बैंक
              • वर्तमान में ब्याज सहायता योजना (ISS) का नाम बदलकर संशोधित ब्याज सहायता योजना (Modified Interest Subvention Scheme- MISS) कर दिया गया है।


              7. जोखिम कम करने के लिए कृषि बीमा की कमी (Lack of Agricultural Insurance to mitigate the risk)-

              • (I) समस्या (Problem)
              • (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)


                  (I) समस्या (Problem)-

                  • कृषि अत्यधिक जोखिम युक्त व्यवसाय है।
                  • कृषि में फसल उगाई से लेकर कटाई तक कई चुनौतियों से नुकसान की संभावना होती है।
                  • किंतु भारत में जागरुकता व वित्त के अभाव में कृषि बीमा (Agricultural Insurance) अत्यधिक कम है।


                  (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)-


                  8. अस्पष्ट भू आलेख (Ambiguous land graph)-

                    • (I) समस्या (Problem)
                    • (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)


                      (I) समस्या (Problem)-

                      • अस्पष्ट भू आलेखों के कारण कानूनी विवादों की संख्या अधिक है जिससे भूमि पर निवेश तथा कृषि उत्पादन प्रभावित होता है।


                      (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)-


                      9. किसानों की कम आय (Low income of farmers)-

                      • (I) समस्या (Problem)

                      • (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)


                      (I) समस्या (Problem)-

                      • राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) ने हाल ही में ग्रामीण भारत में कृषि परिवारों की स्थिति आकलन सर्वेक्षण (SAS) 2019 जारी किया।
                      • NSO Full Form = National Statistical Office
                      • NSO का पूरा नाम = राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय
                      • SAS Full Form = Status Assessment Survey
                      • SAS का पूरा नाम = स्थिति आकलन सर्वेक्षण
                      • स्थिति आकलन सर्वेक्षण (SAS) के अनुसार सन् 2018-19 के दौरान भारत में एक कृषि परिवार की औसत कुल मासिक आय 10,829 रुपये थी जो फसल वर्ष 2012-13 में 6,427 रुपये ही थी।
                      • किसानों की कम आय होने का मुख्य कारण आय का एक ही स्त्रोत कृषि कार्य होना है।


                      (II) सुधार हेतु उपाय (Measures for Improvement)-

                      • (A) प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम किसान स्कीम)
                      • (B) प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (Pradhan Mantri Kisan Maandhan Yojana-PMKMY)
                      • (C) प्रधानमंत्री कुसुम योजना (Pradhan Mantri Kusum Yojana/ PM-KUSUM)
                      • (D) समन्वित कृषि को बढ़ावा देकर (By Promoting I.F.S.)
                      • (E) कृषि अवसंरचना निधि (Agriculture Infrastructure Fund)


                      (A) प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (Pradhan Mantri Kisan Samman Nidhi Yojana/PM Kisan Scheme)-

                      • शुरुआत- प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना की शुरुआत 24 फरवरी, 2019 को की गई थी।
                      • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना एक केंद्रीय योजना है। अर्थात् 100% भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित है।
                      • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसान परिवार को 6000 रुपये प्रति वर्ष तीन किस्तों में 2-2 हजार रुपये दिए जाते हैं।

                      • मंत्रालय (Ministry)-

                      • प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना का क्रियान्वयन कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय (Ministry of Agriculture and Farmers Welfare) के द्वारा किया जा रहा है।


                      (B) प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना (Pradhan Mantri Kisan Maandhan Yojana-PMKMY)-

                      • PMKMY Full Form = Pradhan Mantri Kisan Maandhan Yojana
                      • PMKMY का पूरा नाम = प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना
                      • प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना एक पेंशन योजना है।
                      • प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना में 18 से 40 वर्ष तक के किसानों को 55 से 200 रुपये के बीच प्रीमियम जमा कराना होगा।
                      • प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत 18 से 40 वर्ष आयु तक के ऐसे किसान जो प्रीमियम जमा करवा रहे है उन किसानों को 60 वर्ष की आयु के बाद प्रति माह 3000 रुपये की पेंशन दी जाएगी।
                      • प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना में भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) को पेंशन कोष का फंड प्रबंधक (Fund Manager) नियुक्त किया गया है।
                      • LIC Full Form = Life Insurance Corporation of India
                      • LIC का पूरा नाम = भारतीय जीवन बीमा निगम
                      • योग्यता (Eligibility)-
                      • 18 से 40 वर्ष की आयु का कोई भी किसान प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना में शामिल हो सकता है।


                      (C) प्रधानमंत्री कुसुम योजना (Pradhan Mantri Kusum Yojana/ PM-KUSUM)-

                      • PM-KUSUM Full Form = Pradhan Mantri Kisan Urja Suraksha evam Utthan Mahabhiyan
                      • PM-KUSUM का पूरा नाम = प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान
                      • प्रधानमंत्री कुसुम योजना (PM-KUSUM) की शुरुआत सन् 2019 में की गई थी।
                      • प्रधानमंत्री कुसुम योजना के अंतर्गत किसानों को सोलर पैनल 60% सब्सिडी पर मिलते हैं जिससे किसान बिजली का उत्पादन कर सकते हैं।
                      • अपनी आवश्यकता की पूर्ति के बाद किसान शेष बची बिजली को बेच सकता है जिससे किसान को अतिरिक्त आय होगी।
                      • हिस्सा (Share)-
                      • प्रधानमंत्री कुसुम योजना में हिस्सा क्रमशः किसान ः बैंक ः केंद्र सरकार ः राज्य सरकार = 10% : 30% (Loan) : 30% : 30%
                      • पहला प्लांट (First Plant)-
                      • प्रधानमंत्री कुसुम योजना के तहत भारत का पहला सौलर ऊर्जा प्लांट (Solar Energy Plant) कोटपूतली के भालोजी गाँव (Bhaloji Village, Kotputli) में लगाया गया है।


                      (D) समन्वित कृषि को बढ़ावा देकर (By Promoting I.F.S.)-

                      • IFS Full Form = Integrated Farming System
                      • IFS का पूरा नाम = एकीकृत कृषि प्रणाली
                      • एकीकृत कृषि प्रणाली का तात्पर्य कृषि की उस प्रणाली से है जिसमें कृषि के विभिन्न घटक जैसे फसल उत्पादन, मवेशी पाल, फल तथा सब्जी उत्पादन, मधुमक्खी पालन, वानिकी इत्यादि को इस प्रकार समेकित किया जाता है की वे एक दूसरे के पूरक हो। जिससे संसाधनों की क्षमता, उत्पादकता एवं लाभप्रदता में पर्यावरण को सुरक्षित रखते हुए वृद्धि की जा सके इसे एकीकृत कृषि प्रणाली कहते हैं।


                      (E) कृषि अवसंरचना निधि (Agriculture Infrastructure Fund)-

                      • कृषि अवसरंचना निधि की शुरुआत 9 अगस्त 2020 को की गई थी।
                      • कृषि अवसरंचना निधि का कुल बजट 1 लाख करोड़ रुपये।
                      • कृषि अवसंरचना निधि के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से 2025-26 तक 2 करोड़ रुपये अधिकतम ऋण दिया जाएगा।
                      • कृषि अवसंरचना निधि के तहत ऋण कृषि क्षेत्र में कार्य कर रही संस्थाओं को ही दिया जाता है।
                      • वित्त वर्ष 2020-21 से 2032-33 तक कृषि अवसरंचना निधि के तहत ब्याद दर पर 3% सब्सिडी दी जाएगी।
                      • उद्देश्य (Objective)-
                      • कृषि अवसंरचना निधि का उद्देश्य फसलों की कटाई के बाद अनाज के प्रबंधन हेतु अवसरंचना (Post Harvest Management) का विकास करना है।


                      10. अपर्याप्त भंडारण एवं परिवहन की असुविधा (Inadequate storage facilities and transportation)

                      • (I) प्रधानमंत्री किसान सम्पदा योजना (PM Kisan Sampada Yojana- PMKSY)
                      • (II) ऑपरेशन ग्रीन्स (Operation Greens)- 2018


                      महत्वपूर्ण लिंक (Important Link)-

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